relation between ber fruit and goddess lakshmi ()

क्या है बेर और माता लक्ष्मी का संबंध?

सर्दियों के दिनों में आने वाला यह फल बेर खट्टे-मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है इसका संबंध माता लक्ष्मी से है? <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-03-04, 19:40 IST

बेर का फल जो कि सर्दियों में आता है, यह खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद है। स्वाद और सेहत के अलावा बेर के फल का सीधा संबंध माता लक्ष्मी से भी है यानी बेर के फल का धार्मिक महत्व भी बहुत रोचक है। बहुत से भक्तों को यह नहीं पता कि माता लक्ष्मी और बेर का एक गहरा संबंध है, इसलिए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे।

क्या है बेर और माता लक्ष्मी का संबंध?

What is the relation between ber and goddess lakshmi

स्कंद पुराण की कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु हिमालय पर्वत पर तपस्या करने गए, तब वहां बहुत तेज हिमपात हुआ। हिमपात के बर्फ से भगवान विष्णु बर्फ में पूरी तरह से ढक गए। भगवान विष्णु को ऐसे बर्फ में ढका हुआ देख माता लक्ष्मी से रहा न गया और वह भी वहां भगवान विष्णु को बर्फ से बचाने के उपाय में जुट गईं। माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को बर्फ से बचाने के उपाय सोचती है और स्वयं बेर का रूप धारण कर भगवान के पास जाकर उनकी रक्षा करने लगती है। चुकी बेर का तासीर गर्म होता है और यह ठंडी जगहों में शरीर को गर्मी पहुंचाने के लिए सही है, इसलिए माता लक्ष्मी बेर के पेड़ का रूप धारण करती है।

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कई वर्षों की या जाता?  तपस्या पूरी करने के बाद जब भगवान विष्णु माता लक्ष्मीको अपने पास बेर के पेड़ के रूप पुरी तरह से ढकी हुई देखते हैं तो प्रसन्न हो जाते हैं। माता लक्ष्मी से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु कहते हैं, कि तुमने भी मेरी तरह ठंड में तपस्या की है। इसलिए आज से इस जगह पर तुम्हें मेरे साथ पूजा जाएगा और तुमने मेरी रक्षा बदरी (बेर) के रूप में की है, इसलिए अब से मुझे बदरी के नाथ यानी बद्रीनाथ के नाम से जाना जाएगा। देखा जाए तो बेर का वृक्ष साक्षात माता लक्ष्मी का ही रूप है।

स्कंदपुराण में बद्रीनाथ धाम के बारे में क्या कहा गया है?

relation between ber fruit and goddess lakshmi

हिंदू धर्म में बद्रीनाथ धाम का विशेष महत्व है यह उत्तराखंड राज्य में स्थित है और ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी वास करते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार 'बहूनि सन्ति तीर्थानि दिव्य भूमि रसातले, बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यति', मतलब स्वर्ग, पृथ्वी तथा नर्क तीनों ही जगह पर लाखों तीर्थ स्थल हैं, लेकिन फिर भी बद्रीनाथ तीर्थ धाम जैसा कोई दूसरा तीर्थ न कभी था, और न ही कभी होगा। बद्रीनाथ की भव्यता और वातावरण से यहां आने वाले हर यात्री मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और बार-बार यहां आने की इच्छा रखते हैं।  

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Image Credit: Freepik

 

 

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