बिहार में नीट पेपर लीक मामले के बाद नीतीश सरकार ने पेपर लीक की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून लाने का फैसला लिया है। यह कदम राज्य में शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को बनाए रखने के मकसद से उठाया गया है। यहां इस संदर्भ में कुछ खास बिंदुओं का सारांश दिया गया है।
तीन संशोधन विधेयकों को पारित किया
आपको बता दें, बिहार विधानसभा ने 24 जुलाई को तीन संशोधन विधेयकों को पारित किया है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (संशोधन) विधेयक, 2024, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (संशोधन) विधेयक, 2024, और बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024। इन विधेयकों का मकसद राज्य की शिक्षा और नगरपालिका व्यवस्थाओं को सुधारना और अधिक पारदर्शी एवं प्रभावी बनाने का हवाला दिया गया है।
नीट (NEET) परीक्षा, जो कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है, में पेपर लीक होने का मामला सामने आया है। इस मामले ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा जगत में काफी चिंता और नाराजगी पैदा की है। इसलिए, अब पेपर लीक या इससे जुड़ी अन्य किसी भी गतिविधि में शामिल पाए जाने वाले व्यक्तियों को कठोर सजा दी जाएगी।
बिहार पेपर लीक बिल पास होने के बाद क्या होगा?
सजा और जुर्माना
बिहार विधानसभा से पेपर लीक बिल पास होने के बाद अब पेपर लीक करने वालों को 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय (cognizable) और गैरजमानती (non-bailable) होंगे, अर्थात् पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और जमानत आसानी से नहीं मिल सकेगी।
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अभ्यर्थी पर सजा
अगर कोई अभ्यर्थी नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है, तो उसे कम से कम तीन से पांच साल की सजा और अधिकतम 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि परीक्षा प्रणाली में कदाचार और अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सेवा प्रदाता पर जुर्माना और जांच
परीक्षा में शामिल सेवा प्रदाता अगर कानून का उल्लंघन करते हैं तो उनके लिए एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही चार साल के लिए ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। इस विधायक के लागू के बाद पेपर लीक की जांच अब डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे।
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मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा 1981 का कानून अब नहीं होगा लागू
बिहार विधानसभा में मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा पेश किया गया विधेयक पारित हो गया है, जिससे 1981 का कानून अब प्रभावी नहीं रहेगा। इस नए विधेयक का मकसद परीक्षा प्रणाली में सुधार लाना और कदाचार को रोकना है। मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि परीक्षाओं में नामांकन और सरकारी सेवाओं के लिए आयोजित परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें आती रहती थीं।
हाल के दिनों में हुई गड़बड़ियों के कारण केंद्र और राज्य सरकार दोनों चिंतित थीं और इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत महसूस की गई। केंद्र सरकार पहले ही इस दिशा में कानून बना चुकी है, जिसे अब बिहार राज्य सरकार भी लागू कर रही है। राज्य सरकार द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं में यह नया कानून लागू होगा।
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