बंगाल में दुर्गा पूजा में क्यों होता है सिंदूर खेला? जानिए इसका इतिहास

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर दुर्गा पूजा में सिंदूर खेला का भी आयोजन किया जाता है। जानते हैं क्या होता है सिंदूर खेला

  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2023-10-06, 16:16 IST
What is the ritual of Sindur Khela

Sindoor Khela: दुर्गा पूजा हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। 9 दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की जाती है।वैसे तो देश भर में इसकी धूम रहती है लेकिन दुर्गा पूजा के वक्त पश्चिम बंगाल का नजारा ही कुछ और रहता है। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा काफी भव्य होती है। बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं। यहां की दुर्गा पूजा देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। सबसे खास बात यह है कि बंगाल में दुर्गा पूजा में सिंदूर खेला मनाया जाता है। बहुत कम लोगों को इस परंपरा की जानकारी होती है। तो चलिए जानते हैं क्या है यह सिंदूर खेला? इस परंपरा की शुरुआत कब हुई क्या हैं इसका इतिहास?

क्या है सिंदूर खेला? (What is the ritual of Sindoor Khela)

durga puja in bengal

जिस दिन मां दुर्गा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है यानी जिस दिन उनकी विदाई होती है उसी दिन बंगाल में सिंदूर खेला मनाया जाता है। मां दुर्गा की मांग सिंदूर से भर कर उनकी विदाई की जाती है। विजयदशमी के दिन सभी शादीशुदा महिलाएं मां दुर्गा को पान के पत्ते से सिंदूर चढ़ती हैं। मां दुर्गा को मिठाई खिलाई जाती है। इसके बाद सभी सुहागन महिलाएं मां से आशीर्वाद लेती हैं,फिर एक दूसरे को सिंदूर लगाकर जश्न मनाती है। इस परंपरा को निभाकर महिलाएं अपनी शादीशुदा जिंदगी को सुखद और सौभाग्यशाली बनाने की प्रार्थना करती हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा सुहाग की रक्षा करती हैं।

क्या है सिंदूर खेला का इतिहास? (Is Sindoor Khela only for married woman)

सिंदूर खेला की प्रथा आज की नहीं बल्कि सदियों पुरानी है। जी हां 450 साल पहले इस प्रथा की शुरुआत की गई थी। यह रस्म पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ जिससे में शुरु हुई थी। ऐसी मान्यता है की मां दुर्गा साल भर में एक बार अपने मायके आती हैं और 10 दिन रुकने के बाद वापस से अपने ससुराल चली जाती हैं। जब मां अपने मायके आती हैं तो उसे अवधि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि सिंदूर खेला के साथ ही बंगाली समुदाय का एक बहुत ही खास धुनुची डांस भी किया जाता है। इस नृत्य के जरिए मां दुर्गा को खुश किया जाता है।

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Image Credit:Social media

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