रामायण ग्रंथ में न जाने कितनी ऐसे कथाएं हैं जिनके बारे में आज भी पूरी तरह से जानकारी नहीं है। ऐसी ही एक कथा है रावण की पत्नी मंदोदरी के जीवन और रावण की मृत्यु के बाद के उनके जीवन के बारे में।
हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, लंका के राजा रावण की रानी के रूप के रूप में मंदोदरी को वर्णित किया जाता है। रामायण में उन्हें सुंदर, पवित्र और पतिव्रता स्त्री के रूप में दिखाया गया है।
उन्हें रामायण काल की सबसे सुन्दर पंच कन्याओं के रूप में जाना जाता है और मान्यता है कि उनके नाम से कई बाधाएं दूर होती हैं। आइए जानें रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी के जीवन के बारे में कुछ प्रचलित कथाओं के बारे में।
कौन थीं मंदोदरी
मंदोदरी असुरों के राजा मायासुर और अप्सरा हेमा की बेटी थीं। मंदोदरी उस समय की सबसे सुंदर और गुणवती स्त्री थीं। इसी वजह से लंकापति रावण ने उनसे विवाह किया और वो लंका की पटरानी बनीं।
मंदोदरी के दो पुत्र को मेघनाद और अक्षय कुमार थे। हालांकि कुछ पौराणिक कथाओं में माता सीता को भी मंदोदरी की पुत्री के रूप में वर्णित किया जाता है। मंदोदरी को एक पतिव्रता स्त्री के रूप में याद किया जाता है और अपने पति रावण के लाख दोषों के बावजूद, मंदोदरी उनसे प्रेम करती थीं और उन्हें अपना सर्वस्व मानती थीं।
यही नहीं मंदोदरी रावण को हमेशा सन्मार्ग पर चलने की सलाह देती थीं। रामायण में रावण के प्रति उसके प्रेम और निष्ठा का वर्णन मिलता है।
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रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ
पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि रामायण काल में प्रभु श्री राम ने जब रावण का वध किया उस समय लंका में सिर्फ रावण के भाई विभीषण मौजूद थे। उस समय राम जी ने विभीषण का राज्याभिषेक कर दिया और उन्हें लंकापति नियुक्त किया।
उस समय मंदोदरी ने विभीषण की शरण ले और उनकी पत्नी के रूप में जीवन व्यतीत करने लगीं। हालांकि रामायण में इस बात का कहीं बहुत ज्यादा जिक्र नहीं है और कुछ लोगों का मानना यह भी है कि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने मृत्यु को चुना और वो सती हो गईं।
रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी के जीवन से जुड़े अन्य तथ्य
एक पौराणिक कथा में इस बात का जिक्र मिलता है कि रावण की मृत्यु के बाद राम ने मंदोदरी को सांत्वना दी और उन्हें रानी और उनके पति की विधवा के रूप में उनके कर्तव्यों की याद दिलाई।
इसके साथ ही उन्होंने लंका के नए राजा की पटरानी बनने की सलाह भी दी, लेकिन मंदोदरी ने विधवा का जीवन ही स्वीकार किया और आध्यात्म में डूब गईं। मंदोदरी ने अपना आगे का जीवन धार्मिक प्रथाओं के लिए समर्पित कर दिया।
हालांकि इसका भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है और यह इस तथ्य पर आधारित है कि मंदोदरी एक धर्मपरायण स्त्री थीं और शायद इसी वजह से रावण की मृत्यु के बाद उन्होंने ऐसे ही जीवन को अपनाया होगा।
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मंदोदरी के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- मंदोदरी हेमा नाम की अप्सरा की बेटी थी। एक बार देवराज इन्द्र की सभा में ऋषि कश्यप के पुत्र माया की दृष्टि हेमा पर गई और वह उस पर मोहित हो गए। माया ने हेमा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा।
- शादी के बाद हेमा ने मायासुर की बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम मथुरा रखा गया। अप्सरा की पुत्री होने के कारण मथुरा अत्यंत सुन्दर और आकर्षक थी।
- जब मंदोदरी का विवाह हुआ तो उसके पिता मयासुर ने योग्य वर की खोज शुरू की, लेकिन उसे अपनी सुंदर पुत्री के योग्य कोई वर नहीं मिला।
- मयासुर ने मंदोदरी को रावण से मिलवाया। जैसे ही रावण की दृष्टि मंदोदरी पर गई, वह मोहित हो गया और उसने जल्दी से विवाह के लिए प्रस्ताव रखा।
- रावण ने मंदोदरी को वचन दिया कि हमेशा केवल मंदोदरी ही उसकी पत्नी और लंका की रानी होंगी। विवाह के बाद मंदोदरी को उपहार के रूप में, मायासुर ने रावण को सोने की लंका दी।
- एक कहानी यह भी है कि रावण की मृत्यु एक विशेष बाण से हुई थी और इस बाण की सूचना मंदोदरी ने ही हनुमान को दी थी।
रावण की मृत्यु के बाद वास्तव में मंदोदरी का क्या हुआ इस बात के लिए कोई प्रमाणिक तथ्य नहीं मिलते हैं, लेकिन कुछ कथाओं में उनके आगे के जीवन के बारे में जिक्र मिलता है।
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