भारत में शादी को बहुत ही पवित्र बंधन माना जाता है। वहीं जब बात तलाक का आती है, तो यह काफी बड़ा फैसला होता है। तलाक के बाद पति-पत्नी दोनों अलग होकर अपने-अपने रास्ते निकल लेते हैं। अगर वे चाहें तो बाद में दुबारा शादी भी कर सकते हैं। लेकिन, कभी-कभी पति या पत्नी में से कोई एक अपनी शादी को खत्म करना चाहता है, लेकिन दूसरा इसके लिए तैयार नहीं होता है। ऐसी सिचुएशन में बहुत स्ट्रेस और उलझन होने लगती है। खासकर महिलाओं के लिए जो अपने आप को शादी में फंसा हुआ महसूस करती हैं और तलाक चाहती हैं। लेकिन पति इसके लिए तैयार नहीं होता है, तो आपको अपने कानूनी अधिकारों के बारे में पता होना जरूरी है, ताकि आप कानून की मदद से तलाक ले सकें।
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क्या आप तलाक ले सकती हैं, भले ही आपका पति तैयार न हो?
भारत में तलाक के नियम अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग हैं। जैसे- हिंदुओं के लिए हिंदू विवाह अधिनियम, मुसलमानों के लिए मुस्लिम व्यक्तिगत कानून, ईसाइयों के लिए भारतीय तलाक अधिनियम।
अगर आप तलाक लेना चाहती हैं और आपका पति इसके लिए राजी नहीं है, तो भी आप तलाक ले सकती हैं। तलाक के लिए पति-पत्नी दोनों की सहमति की जरूरत नहीं होती है। अगर पति या पत्नी में से कोई भी कानून के अनुसार वैध तरीके से तलाक चाहता, तो उसे फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दायर करनी चाहिए। कोर्ट दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला लेता है कि तलाक दिया जाना चाहिए या नहीं।
आमतौर पर कोई महिला कोर्ट में पति द्वारा शारीरिक और मानसिक हिंसा, पत्नी को छोड़कर अलग रहना, पति का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होना या पति द्वारा धर्मांतरण के लिए मजबूर करने जैसे कारणों को बताती है, तो कोर्ट इसे तलाक के लिए वैध मानता है। लेकिन, अगर पति कोर्ट के सामने आरोपों को नकार देता है, तो कोर्ट तलाक की याचिका को रोक देता है। ऐसे में अपने दावों को मजबूत करने के लिए आपको जरूरी सबूत जैसे मैसेज, गवाह और मेडिकल रिकॉर्ड को पेश करना होता है।
अगर आपका पति तलाक देने से मना कर दे तो क्या होगा?
अगर पति आपको तलाक देने से मना कर दे, तो आप तलाक की याचिका कोर्ट में दाखिल कर सकती है। कोर्ट दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए बुलाता है। अगर कोर्ट को आपके द्वारा बताए गए कारण सही लगते हैं, तो वह आपके पति की सहमति के बिना भी तलाक दे सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में पार्टनर का तलाक देने से इनकार करने पर यह प्रोसेस लंबा खिच सकता है। लेकिन, अगर आपके पास वैलिड सबूत हैं, तो केस आपके पक्ष में आएगा।
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एक पत्नी के पास कानूनी अधिकार क्या हैं?
तलाक प्रोसेस के दौरान एक पत्नी के पास कई कानूनी अधिकार होते हैं, जिनके बारे में जान लेना जरूरी होता है।
- सबसे पहले आप खुद तलाक की याचिका दाखिल करने की अधिकारी मानी जाती हैं।
- आप अपने पति से तलाक याचिका के दौरान भी गुजारे भत्ते की मांग कर सकती है, ताकि आप अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।
- अगर आपके बच्चा है, तो कोर्ट मां को उसकी कस्टडी देता है, जिससे आप अपने बच्चे का ख्याल रख पाएं।
- इसके साथ ही, वैवाहिक संपत्ति या अन्य किसी भी संपत्ति पर आपका भी हक होता है।
- अगर आपका पति घरेलू हिंसा या दुर्व्यवहार करता है, तो आप सुरक्षा के लिए कानूनी कदम उठा सकती है और कोर्ट से अपनी सिक्योरिटी की मांग कर सकती हैं।
तलाक के लिए अर्जी कैसे दाखिल करें?
- सबसे पहले एक फैमिली लॉयर से सलाह लें, जो तलाक के कानूनी दांव-पेंच को जानता हो।
- फिर आपका वकील तलाक की याचिका तैयार करके फैमिली कोर्ट में जमा करता है।
- इसके बाद, कोर्ट आपके पति को इस याचिका के बारे में नोटिस भेजेगी ताकि उन्हें भी इसकी जानकारी हो।
- फिर, दोनों पक्षों की कोर्ट में सुनवाई होगी, यहां आप अपना पक्ष रख सकती हैं।
- कई बार कोर्ट शादी बचाने के लिए काउंसलिंग कराने की सलाह भी देता है। जिसे कूलिंग पीरियड कहा जाता है।
- अगर कोर्ट को आपका पक्ष और सबूत सही लगते हैं, तो वह तलाक को मंजूरी देते हुए अंतिम फैसला जारी करता है।
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