पापा मुझे आज स्कूल नहीं जाना....अंकल मुझे बहुत मारते हैं। मम्मा आप तो बोलती थी की स्कूल में पढ़ाई करके हम बहुत आगे बढ़ेंगे और खूब सारा पैसा कमाएंगे, मेरे अच्छे नंबर आए तो आप मुझे मेरी फेवरेट बार्बी दिलाओगी। मां मुझे फिर भी स्कूल नहीं जाना क्योंकि वहां मुझे वो अंकल बहुत मारते हैं और मेरे रोने पर मेरा मुंह दबाकर पापा को मारने की धमकी देकर डराते हैं। उफ़ वो नन्ही सी बच्ची की आवाज जिसने शायद अभी ठीक से बोलना भी नहीं सीखा है वो अपनी तोतली आवाज में रोते हुए मानो हम सबसे एक ही सवाल कर रही है कि ये कैसा स्वतंत्र भारत है जो आजादी की 78 वीं सालगिरह मना चुका है, लेकिन इस देश की बेटी घर, वर्कप्लेस, सड़कों और अब स्कूल जिसे विद्या के मंदिर के रूप में पूजा जाता है, वहां भी महफूज नहीं है।
देश की बेटियों के साथ ऐसी दरिंदगी का जिम्मेदार कौन है?
वास्तव में मुंबई के करीब ठाणे जिले के बदलापुर नर्सरी कक्षा की दो बच्चियों के साथ हुआ यौन शोषण इस बात का गवाह है कि आजाद भारत में मानवता ने शायद दम तोड़ दिया है। 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' के नारे लगाने वाले लोग क्या इस बात का जवाब दे सकते हैं कि जब बेटी स्कूल में ही सुरक्षित नहीं है तो पढ़ाई कैसे करेगी? हम खुद को भले ही कितना आगे बढ़ता हुए देखें, भले ही हमने चांद पर कदम रख लिया हो, चाहे क्यों न हमने पृथ्वी के साथ मंगल ग्रह में भी अपना परचम फहरा दिया हो, लेकिन जब तक देश की बेटी ही सुरक्षित न हो तो ऐसे देश के विकासशील होने का भला क्या फायदा।
कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद ठाणे में छोटी बच्चियों के साथ किए गए यौन शोषण की घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है। एक ही सवाल मन में बार-बार आता है कि स्कूल में हो रही इस दरिंदगी के लिए जिम्मेदार आखिर कौन? क्या हमारे पालन-पोषण में कमी है या फिर ऐसे दरिंदों को देश में शरण देना देश की जनता की गलती है।
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क्या नर्सरी क्लास की बच्चियों के साथ होने वाले यौन शोषण का जिम्मेदार उनका पहनावा है?
देश में जब भी कोई बलात्कार या यौन शोषण की घटना होती है तब न जाने कितने लोग उस लड़की को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। चाहे साल 2012 में निर्भया के साथ हुई भीभत्स घटना हो या फिर हाल ही में कोलकाता की ट्रेनी डॉक्टर का रेप केस और मर्डर की बात।
ऐसे कई लोग हैं जिनके मुंह से अक्सर यही कहते सुना है कि जब लड़कियां इस तरह के कपड़े पहनेंगी तो ऐसी घटनाएं होंगी ही, अरे जब रात के समय दोस्तों के साथ घूमने निकलोगी तो फिर किसी को दोष देने का क्या फायदा? अगर लड़कियों के साथ होने वाली किसी भी घटना के लिए उनका पहनावा जिम्मेदार है तो जरा खुद से ही एक बार ये सवाल करके देखिए कि क्या स्कूल में यौन शोषण की शिकार 4-5 साल की छोटी बच्चियों का पहनावा ही इस घटना का जिम्मेदार है? सोशल मीडिया पर लड़कियों के पहनावे पर सवाल उठाने वालों से मेरा एक सवाल है कि क्या ऐसी कोई भी घटना आपकी बेटी के साथ होती तब भी आपका यही विचार होता?
क्या स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था है बच्चियों के यौन शोषण की जिम्मेदार?
सच्चाई की तह तक जाएं तो कहीं न कहीं स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था पर यह प्रश्न चिह्न उठाया जा सकता है कि आखिर क्यों नर्सरी की बच्चियों को टॉयलेट ले जाने के लिए एक पुरुष सफाई कर्मी की मौजूदगी पर किसी को कोई समस्या नहीं थी? क्या स्कूल में फीमेल स्टाफ की कमी थी? बदलापुर के इस पुराने इंग्लिश मीडियम स्कूल में कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए सफाई कर्मचारी की हिम्मत कैसे हुई कि वो छोटी बच्चियों के साथ ऐसी घिनौनी हरकत करे? आखिर कहां थी स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था और कैसे लड़कियों की कक्षा में एक मेल कर्मचारी को आने का मौका दिया गया।
क्या ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है पुलिस?
बदलापुर में बच्चियों के साथ यौन शोषण की घटना 12 और 13 अगस्त की है। बदलापुर के आदर्श स्कूल में 23 साल के एक सफाई कर्मी अक्षय शिंदे ने नर्सरी क्लास की दोनों बच्चियों का यौन शोषण किया। उसके बाद से ही दोनों बच्चियां स्कूल जाने से डर रही थीं। बच्चियों के इस व्यवहार से उनके माता-पिता को संदेह हुआ। उन्होंने बच्चियों से पूछताछ की तो यौन शोषण की ये घटना सामने आई। वहीं एक और पेरेंट ने उसी कक्षा की दूसरी लड़की के माता-पिता से बात की और जब डॉक्टर ने दोनों बच्चियों की जांच की तो पूरी घटना सामने आई।
अगर हम ऐसी घटनाओं की बात करें तो क्या इन घटनाओं की जिम्मेदार कहीं न कहीं पुलिस भी है? इस मामले में भी पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने जब शिकायत की तब पुलिस ने 12 घंटे से अधिक समय तक उन्हें इंतजार करवाया। बाद में जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग के मामले में हस्तक्षेप करने के बाद एफआईआर दर्ज की गई। अगर किसी भी घटना को तुरंत संज्ञान में लेकर उस पर प्रतिक्रिया दिखाई जाए और आरोपी को तुरंत सजा मिले तो शायद इन घटनाओं का अनुपात कम हो सकता है।
क्या स्कूल में घटने वाली इन घटनाओं का जिम्मेदार है स्कूल प्रशासन?
इस घटना के चार दिन बाद स्थिति सामने आई तब स्कूल प्रशासन ने सभी अभिभावकों से सार्वजनिक माफी मांगी। वहीं स्कूल प्रबंधन ने प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया, जबकि क्लास टीचर और मेड को नौकरी से निकाल दिया गया है।
वहीं स्कूल प्रशासन ने उसके साथ भी कॉन्ट्रैक्ट वापस ले लिए जिसने मेल स्वीपर को कॉन्ट्रैक्ट पर भेजा था। वास्तव में क्या स्कूल प्रशासन का माफ़ी मांगना ही काफी है? क्या वास्तव में इस घटना के लिए कहीं न कहीं स्कूल प्रशासन जिम्मेदार है? अगर मेरी सोच की बात करें तो वास्तव में इस घटना का जिम्मेदार स्कूल प्रशासन ही है और यदि उचित सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान दिया जाता तो शायद ऐसी घटनाएं न होतीं।
देश की बेटियों के साथ ऐसी घटनाएं आखिर कब तक?
वास्तव में दिल दहल उठता है जब टीवी के ब्रेकिंग न्यूज़ में ऐसा कुछ दिखाई देता है कि स्कूल जाते हुए बच्ची के साथ ड्राइवर ने यौन शोषण किया या फिर स्कूल के टॉयलेट में बच्चों के साथ गलत हरकतें की गईं। एक मां होने के नाते मेरे मन में हर बार यही सवाल आता है कि आखिर देश की बेटियां कब तक हर जगह अपनी सुरक्षा की गुहार लगाएंगी? आखिर कब तक बेटी घर में, स्कूल में, वर्क प्लेस पर और सड़कों पर खुद को असुरक्षित महसूस करेंगी? आखिर कब तक मानवता शर्मशार होती रहेगी और बेटियां सबके सामने सुरक्षा की भीख मांगेंगी।
वास्तव में ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है इसका पता लगाना आज भी एक सवाल है और हम सभी उसका जवाब ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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