डिजिटल हाउस अरेस्ट एक नया साइबर धोखाधड़ी का तरीका है जिसमें ठग सरकारी अधिकारियों का बहाना बनाकर लोगों को डराते हैं और उनसे पैसे ऐंठते हैं। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको भी सावधानियां बरतनी चाहिए। डिजिटल हाउस अरेस्ट आजकल एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। नोएडा, ग्वालियर और लखनऊ में हुई घटनाएं इस बात का स्पष्ट उदाहरण हैं कि कैसे साइबर ठग लोगों को निशाना बनाकर लाखों रुपये की ठगी कर रहे हैं। हाउस अरेस्ट के नए तरीके यह है कि ठग नकली पुलिस स्टेशन, नकली सरकारी कार्यालय स्थापित करते हैं। नकली वर्दी पहनकर ठगी को अंजाम देते हैं।
ग्वालियर में महिला डॉक्टर से 38 लाख रुपये की ठगी
ग्वालियर में हुई ऐसी ही एक घटना ने डिजिटल हाउस अरेस्ट के बढ़ते खतरे को उजागर किया है। ठगों ने महिला डॉक्टर को डिजिटल माध्यमों का उपयोग कर हाउस अरेस्ट में रखा। 38 लाख रुपए की ठगी की। ठगों ने ठगी की राशि को यूएसडीटी में कन्वर्ट किया। इसके बाद यूएसडीटी के जरिए राशि को यूएई और चीन में अपने साथियों तक भेजा। वहीं, पुलिस ने जब आरोपियों के मोबाइल ट्रांजेक्शन चेक किए, तो खुलासा हुआ कि उन्होंने करोड़ों रुपए की ट्रांजेक्शन की थी। भारत के अलावा, यूएई और चीन में भी पैसे भेजे गए थे। भोपाल से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। मामले की जांच जारी है और पुलिस अन्य संलिप्त आरोपियों की तलाश कर रही है।
नोएडा का मामला
नोएडा में महिला डॉक्टर पीड़िता से ठगों ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताकर फर्जी गिरफ्तारी वॉरंट की धमकी दी और 60 लाख रुपये की ठगी की। महिला डॉक्टर को दो दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखा।
लखनऊ का मामला
हिंदी के मशहूर कवि और साहित्यकार नरेश सक्सेना को ठगों ने नकली CBI अफसर बनकर उन्हें 6 घंटे तक एक कमरे में बंद रखा। हालांकि, परिवार के सदस्यों ने समय पर पहुंचकर ठगी से बचाया। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक साइबर ठगी की बढ़ती घटनाएं साल 2023 में देश में 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी रिकॉर्ड की गई हैं। भारतीय बैंकों द्वारा की गई रिपोर्ट में पिछले एक दशक में 65,017 मामलों की जानकारी मिली, जिसके कारण कुल 4.69 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
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अनजान व्यक्ति या संस्था को अपनी पर्सनल जानकारी देने से बचें
अगर कोई अज्ञात नंबर से फोन करता है और खुद को सरकारी अधिकारी बताता है, तो उस पर तुरंत विश्वास न करें। इसकी अच्छे से तहकीकात कर लें। किसी भी संदिग्ध ईमेल या एसएमएस पर क्लिक न करें और उसमें दिए गए लिंक पर न जाएं। किसी भी अनजान व्यक्ति या संस्था को अपनी पर्सनल जानकारी जैसे कि बैंक अकाउंट नंबर, पासवर्ड आदि साझा न करें। अगर कोई व्यक्ति आपसे किसी बहाने से OTP या किसी अन्य तरह का ऑथेंटिकेशन कोड मांगता है, तो उसे न बताएं। साइबर धोखाधड़ी के बारे में समाचारों और अलर्ट्स पर नजर रखें। अपने सभी अकाउंट्स के लिए मजबूत और अलग-अलग पासवर्ड का इस्तेमाल करें।
डिजिटल हाउस अरेस्ट से बचने के लिए इन 10 बातों का ध्यान रखें
- सुरक्षित पासवर्ड का उपयोग करें यानी मजबूत और अनोखे पासवर्ड बनाएं और उन्हें नियमित तौर पर बदलते रहें।
- Two-factor authentication (2FA) ऑन करें। ये आपके खातों की सुरक्षा में एक अलग परत जोड़ता है।
- सॉफ़्टवेयर अपडेट रखें। अपने ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउजर और अन्य सॉफ़्टवेयर को नियमित तौर पर अपडेट रखें।
- वायरस स्कैनर का इस्तेमाल करें। एक विश्वसनीय वायरस स्कैनर का उपयोग करें और नियमित तौर पर अपने डिवाइस को स्कैन करें।
- संदिग्ध ईमेल और लिंक से बचें। अज्ञात स्रोतों से ईमेल और लिंक पर क्लिक न करें।
- सार्वजनिक वाई-फाई का इस्तेमाल न करें। सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करते समय संवेदनशील जानकारी न भेजें।
- अपने डिवाइस पर फायरवॉल ऑन करें और इसे नियमित तौर पर अपडेट रखें।
- अपने डेटा का नियमित तौर पर बैकअप बनाएं।
- केवल सुरक्षित वेबसाइटों (HTTPS) का उपयोग करें और अविश्वसनीय वेबसाइटों से बचें।
- साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक रहें और नवीनतम खतरों और सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी हासिल करें।

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