आज के समय में जैसी सामाजिक स्थितियां हैं, उसमें बच्चों को साहसी बनाना और भी ज्यादा जरूरी हो गया है। समाज में बढ़ती विषमता, आक्रामकता, आपराधिक गतिविधियों के मद्देनजर बच्चों को भी निडर बनाना बेहद जरूरी हो गया है। आइए जानें कुछ ऐसे तरीके जिनके जरिए आप अपने बच्चों को साहसी बना सकती हैं-
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बच्चों को सुनाएं महानायकों की कहानियां
सदियों से मां बच्चों को रात में सोते समय महानायकों और वीर राजाओं की कहानी सुनाती आई हैं। दरअसल यह बच्चों के मन में साहस भरने का एक दिलचस्प तरीका है। बच्चे रात में सोने के समय बिल्कुल शांत भाव से मां की बात सुनते हैं। इस समय में अगर मां बच्चों को वीर महापुरुषों, स्वतंत्रतता सेनानियों के बहादुरी के किस्से सुनाती हैं तो बच्चों के मन में उनके जैसा बनने की चाह जगती है। वे भी इन पुरुषों की तरह कुछ बड़ा कर दिखाने के लिए हिम्मत करने और मुश्किलों से लड़ने के बारे में सोचते हैं।
पेरेंट्स दिखाएं हिम्मत
बच्चे पहली सीख अपने मम्मी-पापा से लेते हैं। अगर आप स्वयं साहसी है और किसी भी तरह की समस्या आने पर घबराती नहीं हैं, शांत तरीके से उसे हैंडल करती हैं तो आपके बच्चे में भी वही चीजें आएंगी। इसीलिए अगर आप चाहती हैं कि आपके बच्चे बहादुर बनें तो आपको भी बच्चे के सामने खुद को मजबूती से पेश करने की जरूरत है।
बच्चों को बात-बात पर ना डांटें
अगर आप बच्चों को हर छोटी-बड़ी बात पर डांटेंगी या उन पर रोक-टोक लगाएंगी तो बच्चों का खुद पर कॉन्फिडेंस कम हो सकता है। छोटी-मोटी गलतियों पर बच्चों को प्यार से समझाएं और कभी उनकी गलतियां नजरअंदाज भी करें। किसी बड़ी गलती पर ही उन्हें डांटें, इससे बच्चे आपकी बात गंभीरता से लेंगे और उस पर अमल करने की कोशिश करेंगे। हर बात पर डांट पड़ने से बच्चों के मन में डर बैठ जाता है और वे छोटी-छोटी मुश्किलों में घबराने लगते हैं।
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आउटडोर गेम्स में बच्चों को हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें
बच्चे को मैदान या पार्क में दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें। खेलों में बच्चे हेल्दी कंपटीशन करते हैं और इस दौरान वे जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। स्पोट्समैन स्पिरिट विकसित होने से बच्चों के मन से डर दूर होता है और वे हर तरह की स्थिति का सामने करने के लिए तैयार होते हैं।
बहुत ज्यादा प्रोटेक्टिव ना हों
अगर आप बच्चे के लिए ओवर प्रोटेक्टिव हैं और उनकी हर छोटी चीज पर चिंतित हो जाते हैं तो इससे बच्चे खुद अपनी जिम्मेदारियां समझना नहीं सीखेंगे। बच्चों को जब आप उनकी चीजें खुद संभालने के लिए प्रेरित करेंगे तो वह सामने आने वाली मुश्किलों से पार पाने के लिए स्वयं हल निकालने को प्रेरित होंगे।
तो अब अपने बच्चे के लिए चिंतित होना छोड़ दीजिए। उसे खुशियां दीजिए, उसका साथ दीजिए और किसी भी मुश्किल में उसके साथ खड़ी नजर आइए। आपका बच्चा इस राह पर आगे बढ़ते हुए आसानी से साहस और निडरता की भावना से ओतप्रोत हो जाएगा।
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