स्मार्टफोन से 3 साल तक दूरी, UPSC क्रैक कर बनीं IAS.. पढ़िए 24 की उम्र में अधिकारी बनने वाली नेहा ब्याडवाल के सफलता की कहानी

24 वर्षीय नेहा ब्याडवाल ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर IAS बनकर मिसाल कायम की। उन्होंने 3 साल तक स्मार्टफोन से दूरी बनाए रखी, सेल्फ-स्टडी पर ध्यान दिया और कोचिंग के बजाय ऑनलाइन नोट्स व टेस्ट सीरीज पर निर्भर रहीं। उनकी यह कहानी दृढ़ निश्चय और एकाग्रता से सफलता पाने की प्रेरणा देती है।
Neha Byadwal IAS

आज के दौर में जहां स्मार्टफोन हमारी जिदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है, वहीं हर कोई सोशल मीडिया और डिजिटल दुनिया से जुड़ा हुआ है। ऐसे में, खुद को इन चीजों से दूर रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन कल्पना कीजिए कि कोई युवा इस डिजिटल आकर्षण से खुद को पूरी तरह अलग कर दे और अपने लक्ष्य पर एकाग्र हो जाए, तो क्या यह इतना आसान होगा? इतन ही नहीं, फोन से दूरी बना कर देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी को क्रैक करके भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी बन जाना भी आसान नहीं है। लेकिन, महज 24 साल की एक युवा महिला ने यह कारनामा कर दिखाया है। यह उन सभी युवाओं के लिए एक सबक भी है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए समर्पण और अनुशासन की राह पर चलना चाहते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं- नेहा ब्याडवाल की, जिनकी सफलता की कहानी सिर्फ उनकी कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता को ही नहीं दिखाती है, बल्कि उनके असाधारण त्याग और दृढ़ निश्चय को भी प्रदर्शिर करती है। बता दें कि नेहा ने अपने लक्ष्य को पाने के लिए स्मार्टफोन से 3 साल तक दूरी बनाए रखी और इसी एकाग्रता ने उन्हें कम उम्र में ही अधिकारी बनने का गौरव दिलाया। उनकी यह यात्रा बताती है कि सफलता के लिए सुविधाएं नहीं, बल्कि समर्पण और सही रणनीति मायने रखती है। तो आइए 24 साल की उम्र में IAS बनने वाली नेहा ब्याडवाल की सफलता की पूरी कहानी जानते हैं।

नेहा ब्याडवाल के IAS बनने तक का सफर

IAS अधिकारी नेहा ब्याडवाल की कहानी आज की तेजी से भागती, तकनीक-प्रेरित दुनिया में एक असाधारण मिसाल है। जहां ज्यादातर लोग अपने फोन के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते, वहीं नेहा ने पूरे तीन साल तक अपने स्मार्टफोन को खुद से दूर रखने का साहसिक निर्णय लिया। यह त्याग उन्होंने सिर्फ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करना के लिए किया था। यह निर्णय उनके गहरे समर्पण को दर्शाता है, जो उन्हें कई अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों से अलग करता है।

नेहा ब्याडवाल का जन्म जयपुर में हुआ था, लेकिन उनका बचपन छत्तीसगढ़ में बीता, जहां उनके पिता एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। पिता के लगातार तबादलों के कारण नेहा ने बचपन से ही खुद को नई परिस्थितियों में ढालना सीखा। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा डीपीएस कोरबा और डीपीएस बिलासपुर से पूरी की। इसके बाद रायपुर के डीबी गर्ल्स कॉलेज से विश्वविद्यालय में टॉप किया। शुरू से ही, नेहा का जीवन अनुशासन और महत्वाकांक्षा से परिभाषित था। एक मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ उन्होंने अपना ध्यान भारत की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पर केंद्रित किया।

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असफलताओं से मिली सीख और साहसिक निर्णय

कई उम्मीदवारों की तरह, नेहा ने भी इस परीक्षा के लिए अथक परिश्रम और बड़े त्याग किए। हालांकि, उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उन्हें तीन बार असफल होने के भावनात्मक झटके से गुजरना पड़ेगा। इन लगातार असफलताओं के बाद भी, उन्होंने हार नहीं मानी। नेहा ने अपनी असफलताओं का विश्लेषण किया और एक साहसिक कदम उठाया। उन्हें एहसास हुआ कि उनका स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की आदतें उनके कीमती घंटों और मानसिक स्पष्टता को छीन रही थीं। मात्र 24 साल की उम्र में, नेहा ने 960 अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया रैंक 569 के साथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। नेहा के त्याग और कड़ी मेहनत ने आखिरकार रंग दिखाया और वे वह लाखों उम्मीदवारों के लिए एक प्रेरणा बन गईं।

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तीन साल तक बनाई फोन से दूरी

अपनी एकाग्रता को बढ़ाने के बजाय, उन्होंने तीन साल के लिए अपना फोन पूरी तरह से छोड़ दिया। कोई व्हाट्सएप नहीं, कोई इंस्टाग्राम नहीं, कोई यूट्यूब नहीं, उनके पास सिर्फ किताबें, एक बेसिक कीपैड फोन और अपने लक्ष्य पर ध्यान था। यह निर्णय उनके लिए एक गेम चेंजर साबित हुआ। इन तीन सालों के दौरान, नेहा ने एक निर्धारित दिनचर्या का पालन किया। वह प्रतिदिन 8-10 घंटे पढ़ाई करती थीं। अपने नोट्स खुद बनाती थीं। वे स्मार्टफोन या किसी भी ऑनलाइन कोचिंग के बिना खुद को इस एग्जाम के लिए प्रिपेयर किया। उनकी जीवनशैली पूरी तरह से ऑफलाइन, सरल और अपने लक्ष्य पर केंद्रित थी।

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Image credit- Freepik


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