हिन्दू धर्म में जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का विशेष महत्व है। इस रथ यात्रा का आयोजन हर साल उड़ीसा के पुरी में स्थित जग्रनाथ मंदिर में किया जाता है और यह यात्रा 12 दिनों तक चलती है। मान्यता है कि इस दौरान जगन्नाथ जी 9 दिनों के लिए अपनी मौसी के घर गुंडिचा माता मंदिर जाते हैं।
इस साल यह रथ यात्रा 1 जुलाई 2022, शुक्रवार को आरंभ होकर 12 जुलाई तक चलेगी। हर साल इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए लोग देश विदेश से पहुंचते हैं और इस रथ यात्रा को पर्व की तरह मनाते हैं। रथ यात्रा में शामिल होने वाली तीन प्रमुख मूर्तियां भगवान जगन्नाथ, बलराम जी तथा सुभद्रा जी की होती हैं।
उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के पवित्र चार धामों में से एक है और यह वैष्णव मंदिर श्री हरि के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। वैसे पूरे साल इनकी पूजा मंदिर के गर्भगृह में होती है, लेकिन आषाढ़ माह में तीन किलोमीटर की अलौकिक रथ यात्रा के जरिए इन्हें उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर लाया जाता है।
ये मंदिर 800 वर्ष पुराना है यहां भगवान् श्री कृष्ण भगवन जग्रनाथ के रूप में विराजित हैं और उनके साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभ्रद्रा की भी पूजा की जाती है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस रथ यात्रा की कहानी।
हर साल क्यों निकाली जाती है रथयात्रा
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी। तब जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा मंदिर भी गए और वहां नौ दिन तक ठहरे। ऐसी मान्यता है कि तभी से यहां पर रथयात्रा निकालने की परंपरा है। इस रथ यात्रा को लेकर कई मान्यताएं है। इस रथ यात्रा के बारे में स्कन्द पुराण ,नारद पुराण में भी विस्तार से बताया गया है।
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मौसी के घर क्यों जाते हैं भगवान जगन्नाथ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुरी स्थित गुंडिचा मंदिर को उनकी मौसी का घर माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुंडिचा मंदिर में ही भगवान जगन्नाथ जीका अवतरण हुआ था। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को अलग-अलग रथों पर स्थापित करके नगर भ्रमण कराया जाता है।
साल 2022 में रथ यात्रा के दिनों की सूची
- 01 जुलाई 2022, शुक्रवार- रथ यात्रा प्रारंभ
- 05 जुलाई, मंगलवार - हेरा पंचमी, पांच दिन गुंडिचा मंदिर में वास करेंगे भगवान जगन्नाथ
- 08 जुलाई, शुक्रवार - संध्या दर्शन
- 09 जुलाई, शनिवार, बहुदा यात्रा
- 10 जुलाई, रविवार- सुनाबेसा- इस दिन जगन्नाथ जी गुंडिचा मंदिर से बाहर आते हैं।
- 11 जुलाई, सोमवार- आधार पना इस दिन दिव्य रथों पर एक विशेष पेय अर्पित किया जाता है।
- 12 जुलाई, मंगलवार- नीलाद्री बीजे
रथ यात्रा के लिए भगवान श्री कृष्ण, बलराम और देवी सुभद्रा के लिए अलग अलग 3 रथ बनाए जाते है। जब रथ यात्रा शुरू होती है तब सबसे आगे वाला रथ भगवान बलराम का होता है बीच में देवी सुभद्रा का रथ होता है और सबसे पीछे वाला रथ भगवान श्री जग्रनाथ जी का होता है। इस प्रकार 12 दिनों की रथ यात्रा बेहद दिलचस्प होती है और भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी होती है।
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