घर की हर एक दिशा किसी न किसी चीज का प्रतिनिधित्व करती है। जहां कुछ स्थान वास्तु के अनुसार घर के लिए शुभ माने जाते हैं, वहीं कुछ जगहों पर चीजों को स्थापित करने से आपके घर में परेशानियां भी आ सकती हैं।
वास्तविकता है कि घर के लिए वास्तु बहुत ज्यादा मायने रखता है और यदि आप इसके नियमों का सही ढंग से पालन नहीं करते हैं तो आपको जीवन में असफलताएं मिलने के साथ आर्थिक हानियां भी हो सकती हैं।
ऐसे ही वास्तु नियमों के अनुसार घर में किचन का भी एक सही स्थान रखने की सलाह दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि किचन गलत स्थान पर होता है तो घर के लोगों के जीवन में समस्याएं बनी रहती हैं और अन्न-धन की कमी रहती है। इसी वजह से किचन को घर में प्रमुख स्थान बताया जाता है। खासतौर पर वास्तु बताता है कि घ रखा किचन कभी भी घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में दिशा में नहीं होना चाहिए।
लेकिन यदि किसी वजह से घर में किचन का स्थान इसी दिशा में है तो आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए वास्तु विशेषज्ञ डॉ मधु कोटिया से जानें आप इस दिशा में मौजूद किचन के लिए कौन से वास्तु नियमों का पालन करना जरूरी है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन क्यों नहीं होना चाहिए
दक्षिण-पश्चिम दिशा पृथ्वी के तत्वों को दर्शाती है, जो राक्षस 'नैरुत्ति' और उससे संबंधित ग्रह राहु द्वारा शासित होता है - वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इसे सबसे उग्र ग्रहों में से एक माना जाता है। वास्तु शास्त्र के मूल सिद्धांत के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम को एक अशुभ दिशा माना जाता है। यह दिशा स्थिरता का भी प्रतिनिधित्व करती है जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, पेशेवर या वित्तीय हो सकती है।
इसलिए इस दिशा में कोई भी स्थान होने से सुख और समृद्धि के लिए दोषों या वास्तु दोषों को संतुलित करना जरूरी है। मान्यता है की दक्षिण-पश्चिम कोने में किचन होने से घर की सकारात्मक ऊर्जा नष्ट होने लगती है और यह वहां के निवासियों के लिए प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि से संबंधित समस्याएं पैदा कर सकता है।
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दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन के लिए वास्तु उपाय
यदि आपके घर में किचन की यही दिशा है तो उसे आप कुछ वास्तु उपायों से दोष मुक्त कर सकती हैं। इसके लिए आप सही रंगों का चुनाव करें और सही दिशा में खड़े होकर खाना बनाने के लिए सही दिशा में गैस स्टोव रखें।
कैसा होना चाहिए किचन का रंग
यदि आपका किचन दक्षिण-पश्चिम दिशा में है तो आप इसका रंग (किचन में वास्तु के अनुसार कराएं रंग) पीला या भूरा कराएं। ये रंग नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने में मदद करेंगे। यदि आप ऐसे रंग दीवारों पर करवाएंगी तो किचन के वास्तु दोषों को मुक्त किया जा सकता है। इस तरह के किचन में आप गैस स्टोव को दक्षिण पूर्व कोने में रख सकते हैं, इससे आपके दोष दूर होते हैं।
किचन के प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक बनाएं
यदि आपके घर का किचन दक्षिण-पश्चिम दिशा में है तो आप इसके प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। ये किसी भी नकारात्मक शक्ति के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। आप चाहे तो किचन के दरवाजे में आम के पत्ते का तोरण भी लगा सकती हैं।
पानी का इस्तेमाल कम करें
यदि संभव हो तो इस दिशा में मौजूद किचन में पानी का इस्तेमाल कम से कम करें। यदि संभव हो तो इस किचन में बर्तन धोने का स्थान कहीं बाहर बनाएं। ये दिशा आपके पानी के स्थान के लिए शुभ नहीं मानी जाती है और आपको कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती है।
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दक्षिण -पश्चिम दिशा में किचन होने से क्या नुकसान हैं
दक्षिण पश्चिम किचन की स्थिति घर के लोगों के बीच रिश्ते की समस्याओं, विवाह में देरी और बच्चे होने में देरी जैसी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। ये दिशा घर के मालिक की सेहत के लिए शुभ नहीं मानी जाती है और इस स्थान पर किचन होने से बिना वजह बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इन्हीं कारणों से दक्षिण -पश्चिम को रसोई के इस दिशा को पूरी तरह से टालने की सलाह दी जाती है।
हालांकि ये कुछ वास्तु उपाय हैं, लेकिन फिर भी ये दिशा किचन के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। अगर आपका किचन इसी दिशा में है तो आपको वास्तु विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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