
Prayagraj Magh Mela: प्रत्येक वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने में माघ मेले का आयोजन किया जाता है। इस साल प्रयागराज में इस मेले का प्रारंभ 03 जनवरी, 2025 से हो रहा है। इस मौके पर पूरे प्रयागराज-संगम क्षेत्र को सजाया और व्यवस्थित किया जाता है ताकि स्नान पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। हालांकि इस बार का माघ मेले हर साल से अलग होने वाला है। इसके पीछे का मुख्य कारण पहली बार जारी किया जाने वाला लोगो है। इस लोगो में चंद्रमा की 14 कलाएं, अक्षयवट, महात्मा का चित्र, बहती हुई गंगा, लेटे हुए हनुमान जी और उड़ते हुए पंछी उपस्थिति है। साथ ही लोगो के ऊपर माघे निमज्जवं यत्र पापं परिहरेत् तत श्लोक माघ मास लिखा गया है। चलिए इस लेख में जानते हैं लोगो पर चित्रित किए गए प्रतिबिंब का क्या है मतलब और अर्थ-

मेला के दर्शन तत्त्व को परिलक्षित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से माघ मेले का लोगो जारी किया गया है। इस लोगो के अन्तर्गत तीर्थराज प्रयाग, संगम की तपोभूमि तथा ज्योतिषीय गणना के अनुसार माघ मास में संगम की रेती पर अनुष्ठान करने की महत्वता को समग्र रूप से दर्शाया गया है।
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लोगो में सूर्य एवं चंद्रमा की 14 कलाओं की उपस्थिति माघ मेला 2026 सर्वप्रथम लोगो में सूर्य एवं चंद्रमा की 14 कलाओं को दिखाया गया है। इसके साथ ही लोगो में अक्षयवट, महात्मा का चित्र, लेटे हुए हनुमान जी, बहती गंगा और उड़ते हुए पंछी दिखाए गए हैं।
लोगो के ऊपर संस्कृत में 'माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् तत:' लिखा है। इसका अर्थ माघ के महीने में स्नान करने से सभी पाप मुक्ति हो जाती है।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य, चंद्रमा एवं नक्षत्रों की स्थितियों को प्रतिबिंबित करता है, जो प्रयागराज में माघ मेले का कारक बनता। भारतीय ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्रमा 27 नक्षत्रों की परिक्रमा लगभग 27.3 दिनों में पूर्ण करता है। माघ मेला इन्हीं नक्षत्रीय गतियों के अत्यंत सूक्ष्म गणित पर आधारित है। जब सूर्य मकर राशि में होता है और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा माघी या अश्लेषा-पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रों के समीप होता है, तब माघ मास बनता है और उसी काल में माघ मेला आयोजित होता है।
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