वर्ष में पड़ने वाली हर एकादशी महत्वपूर्ण होती है और एक अलग उद्देश्य से मनाई जाती है। पापांकुशा एकादशी के नाम से ही पता चलता है कि इस एकादशी पर जो जातक व्रत रखता है, उसे हर तरह के पाप से मुक्ति मिल जाती है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति मौन्य रहकर भगवत गीता का पाठ करता है उसे बहुत ही लाभ मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है उसे पुण्य की प्राप्ति होती हैं और उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
पापाकुंशा एकादशी की तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष पापाकुंशा एकादशी 6 अक्टूबर को सुबह 6:16 पर आरंभ होगी और 7 अक्टूबर को 8:37 पर समाप्त हो जाएगी।
क्या पापाकुंशा एकादशी का महत्व?
पुराणों में इस बात का जिक्र मिलता है कि पापाकुंशा एकादशी क्या है, इसके महत्व के बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। यह एकादशी आपको पाप और पुण्य में फर्क समझाती है और पाप से दूर और पुण्य करीब ले जाती है। इस एकादशी पर जो भी मनुष्य व्रत रखता है उसके द्वारा पूर्व में किए गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
पापाकुंशा एकादशी के व्रत की विधि
इस दिन जो जातक व्रत रख रहे हैं उन्हें इस विधि का अनुसरण करना चाहिए-
- पापाकुंशा एकादशी के दिन आपको गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर जैसे अनाज को न हाथ लगाना चाहिए और इनका सेवन करना चाहिए। बल्कि इस सभी तरह के अनाज की पूजा आपको पापाकुंशा एकादशी वाले दिन करनी चाहिए।
- यह व्रत बिना संकल्प लिए नहीं किया जा सकता है। इसलिए आपको सुबह उठ कर स्नान करके साफ कपड़े पहनने हैं और फिर आप एकादशी की पूजा की शुरुआत कर सकती हैं।
- इस व्रत के लिए आपको कलश स्थापना करनी होती हैं और भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा करनी होती है।
- व्रत के दूसरे दिन ही आप अन्न ग्रहण कर सकते हैं।

पापाकुंशा एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें?
- आपके मन यदि किसी के लिए बुरे विचार हैं तो उन्हें त्याग दें।
- इस दिन किसी पर भी क्रोध न करें और किसी के साथ बहस भी न करें।
- जितना हो सके मौन रहने की कोशिश करें क्योंकि इस व्रत में मौन रहा जाता है।
- इस दिन आपको कोई भी गलत कार्य नहीं करना है और चारों प्रहर में पूजा करनी है।
- आप इस दिन पीली वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं।
- इतना ही नहीं, आप किसी बुजुर्ग की सेवा करके भी इस दिन सभी तरह के पापों से मुक्ति पा सकते हैं।
- आपको इस दिन किसी भी विलासिता का सुख नहीं भोगना होता है।
- आपको अपनी काम इच्छा पर भी नियंत्रण रखना होता है।
- इस दिन किसी स्त्री का अपमान भी न करें।
- हो सके तो आप इस एकादशी पर गंगा स्नान भी जरूर करें।
- भगवान विष्णु की पूजा में तिल का जरूर प्रयोग करें।
आपके लिए छठ का पर्व शुभ हो। उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।
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