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क्यों बच्चे से पहले पालतू जानवर को चुन रहे हैं भारतीय? जानें क्‍या है पेरेंट‍िंग का ये नया ट्रेंड और इसके पीछे की दिलचस्प वजह

भारतीय शहरों में अब एक नया ट्रेंड दिख रहा है क‍ि लोग बच्चे से पहले पालतू जानवरों को प्राथम‍िकता दे रहे हैं। अब ये पर‍िवार का सदस्‍य बन चुके हैं। ऐसे कपल खुद को पेट पेरेंट्स कह रहे हैं। ये सिर्फ शौक नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव है। हम आपको पेट पेरेंट‍िंग के बारे में व‍िस्‍तार से जानकारी देने जा रहे हैं।
Editorial
Updated:- 2025-10-17, 14:25 IST

आजकल भारत में एक नया ट्रेंड तेजी से देखने को मिल रहा है। वो है Pet Parenting Trend। अब लोग बच्चे अपनाने से पहले पालतू जानवरों को परिवार का सदस्य बनाने लगे हैं। कहीं ये सिर्फ फैशन है, तो कहीं लोग अपने जीवन में प्यार, खुशी और Companionship की तलाश में ये स्‍टेप ले रहे हैं। शहरों में अकेलापन, काम का बोझ और लाइफस्टाइल बदलने के कारण लोग बच्चों की बजाय पालतू जानवरों के साथ ज्यादा समय बिताना पसंद कर रहे हैं।

पेट पेरेंटिंग के इस नए रुझान में लोग अपने पालतू जानवरों की देखभाल, खाना-पीना, हेल्‍थ और खुशियों का पूरा ध्यान रखते हैं, जैसे वे अपने बच्चों के लिए करते हैं। इस तरह पालतू जानवर सिर्फ दोस्त नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे क‍ि भारत में पेट पेरेंटिंग क्यों बढ़ रही है। इसके पीछे की दिलचस्प वजहें क्या हैं। आइए जानते हैं-

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पेट पेरेंटिंग क्या है?

पेट पेरेंटिंग का मतलब है कि आप अपने पालतू जानवर को सिर्फ जानवर की तरह नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा और अपने बच्चे जैसा प्यार देने लगते हैं। इसमें आप उसकी देखभाल, खाना, हेल्‍थ और खुशी का पूरा ध्यान रखते हैं। आप उसके लिए खिलौने, खास फूड, कपड़े और यहां तक कि जन्मदिन भी मनाते हैं। सोशल मीड‍िया पर तो इनके कई वीड‍ियोज सामने आते रहते हैं। इसका सीधा मतलब ये है क‍ि वे अब आपके ल‍िए स‍िर्फ पेट नहीं, बल्‍क‍ि आपके पर‍िवार का ह‍िस्‍सा बन गए हैं।

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भारत में क्यों बढ़ रहा है इसका क्रेज?

  • बच्चे पालने में स्कूल, ट्यूशन, हेल्‍थ और बाकी के खर्चे बहुत ज्यादा होते हैं। वहीं, पालतू जानवर की देखभाल का खर्च कम और मैनेज करने वाला होता है। इस वजह से कई लोग जानवरों को परिवार का सदस्य बनाने में ज्यादा कंफर्टेबल रहते हैं।
  • बड़े-बड़े शहरों में लोग अक्सर अकेले रह जाते हैं। बच्चे बड़े होकर अपने काम में बि‍जी हो जाते हैं, जिससे पेरेंट्स अकेलापन महसूस करते हैं। ऐसे में पेट एन‍िमल्‍स के साथ समय बिताना, उनका ख्याल रखना और उनके प्यार को महसूस करना उनके स्‍ट्रेस को कम करता है।
  • आज की जनरेशन आजादी चाहती है। उनके लिए खुशी, लाइफ में बैलेंस और मेंटल पीस ज्यादा मायने रखती है। बच्चा होना अब उनकी प्राथमिकता नहीं है। इससे वे पेट एन‍िमल्‍स के साथ समय बिताना ज्‍यादा पसंद करते हैं।

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भारत में पेट पेरेंटिंग सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल, अकेलापन और फीलि‍ंग्‍स का मेल है। लोग जानवरों को अपना बच्चा नहीं तो परिवार का हिस्सा जरूर मानते हैं।

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Image Credit- Freepik/AI Generated

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