दिल्ली बेहतर है या मुंबई? इस पर बहस तो सालों से चली आ रही है। किसी का कहना है कि दिल्ली का खाना अच्छा है तो कोई कहता है मुंबई के लोग अच्छे हैं। कोई हमें दिल्ली की दिलदारी की कहानी सुनाता है तो कोई कभी न सोने वाली मुंबई की बातें बताता है। ऐसी ही बहस हमने छेड़ दी बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा धूपिया के साथ।
आपको बता दें कि नेहा का बचपन दिल्ली में बीता है और उनकी पढ़ाई भी दिल्ली से ही हुई है। नेहा ने एक खास बातचीत के दौरान हमें बताया कि वो दिल्ली में पली-बढ़ी हैं मगर, मुंबई से उन्हें प्यार है, मुंबई उनकी जान है। नेहा ने हमसे मुंबई और दिल्ली के बीच के अंतर पर चर्चा की और कहा, ''हां, थोड़ा फर्क तो है ही!'' आइये आपको बताते हैं कि नेहा ने दिल्ली-मुंबई की बहस के बारे में और क्या-क्या कहा-
आपको बता दें कि नेहा दिल्ली के जीसस और मैरी कॉलेज से पढ़ी हुई हैं, उन्होंने बताया कि उनके कॉलेज के बाहर खाने के लिए बहुत कुछ था। “श्री फूड का खाना मुझे बहुत पसंद था, मैंने वहां की हर एक चीज़ खाई है। नेहा ने कहा, ''NDMC की चाट को मैं कैसे भूल सकती हूँ। ख़ान चाचा के यहां से तरह-तरह के वेज और नॉन वेज रोल्स और नत्थू के छोले भटूरे का स्वाद तो मैं कभी नहीं भूल सकती। ''
Image Courtesy:Instagram (@nehadhupia)
नेहा ने मुंबई के खाने की भी खूब तारीफ की और कहा कि यहां जैसी चाट कहीं नहीं मिल सकती। नेहा ने कहा, ''रास्ते के ठेले पर भी आपको इतने गज़ब की चाट मिलेगी कि आप उगलियां चाटते रह जाएंगे। जुहू बीच पर रबड़ी-गोला और पाव भाजी कमाल की हैं। यहां आकर मुझे पता चला कि डोसा में भी वैरायटी होती है और मुंबई वालों के पास इसकी पूरी लिस्ट है।''
खाने के मामले में नेहा अपनी मम्मी की तारीफ भी खूब करती हैं। उन्होंने बताया, ''मेरी मां बहुत अच्छा खाना बनाती हैं, इसलिए कभी उन्हें बाहर का खाने का मन नहीं हुआ मगर, अब मुंबई में आकर वह बाहर का खाना खाने लगी हैं।
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नेहा के पापा इंडियन नेवी में थे, इसलिए वह फौजी क्लब के आसपास रहती थीं। नेहा ने हमें बताया, ''गोल्फ क्लब में मैं अपना ज्यादातर समय बिताती थीं। इसके अलावा कमानी ऑडिटोरियम, पुरानी दिल्ली और उसकी गलियां मुझे आज भी याद है। पुरानी दिल्ली की बात ही कुछ और थी, अब तो मैं वहां नहीं जा सकती मगर उस जगह को मैं आज भी बहुत मिस करती हूं।''
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नेहा ने अकेले रहने पर भी हमसे चर्चा की। उनका कहना था, ''लोगों को लगता है कि इंसान मुंबई जा रहा है तो वह बिगड़ जाएगा लेकिन ऐसा नहीं होता। यह जगह आपको बहुत कुछ सिखाती है। मुझे लगता है कि अकेले रहने से आप बिगड़ते नहीं, बल्कि ज़िम्मेदार बनते हैं, मुझे तो मुंबई ने यही सिखाया है। इसके अलावा मुझे मुंबई का बांद्रा इलाका और टाउन बहुत पसंद हैं। यहां कितनी सारी पुरानी इमारतें हैं, जो कि बहुत ही सुंदर हैं। बांद्रा की स्ट्रीट शॉपिंग में भी मुझे बहुत मज़ा आता है।''
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नेहा ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के लोग भी बहुत अलग है। दिल्ली के लोग थोड़े लाउड है मगर दिलवाले हैं। वहीं मुंबई के लोग बहुत प्रैक्टिकल है, यहां लोग आपको जानना चाहते हैं, ना कि आपके परिवार और खानदान को। लोगों की सोच में भी बहुत फर्क है। दिल्ली के लोग मुंबई के लोगों की तुलना में थोड़े से कंज़र्वेटिव हैं और यहां के लोग खुले दिमाग के हैं। दिल्ली के लोगों को समझने में बहुत तकलीफ होती है और मुंबई के लोग काफी सहज होते हैं। इंटरव्यू के आखिर में नेहा ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के बीच की बहस कभी ख़त्म नहीं होगी और होनी भी नहीं चाहिए, इन दोनों के बारे में एक साथ बात करने में काफी मज़ा जो आता है।
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