दीपावली का पर्व एक नहीं बल्कि पूरे पांच दिनों तक चलता है। इस महोत्सव की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है और इसके दूसरे दिन नरक चतुर्दशी पड़ती है। नरक चतुर्दशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।
दिवाली के ठीक एक दिन पहले कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन लोग घरों के कुछ विशेष स्थानों पर दीप प्रज्वलित करते हैं। मान्यता है कि इस दिन मुख्य द्वार के पास दीया जरूर जलाना चाहिए जिससे घर की सुख समृद्धि बनी रहे।
नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, काली चौदस, नरक चौदस, रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से यम देव की पूजा और उनके नाम से दीपदान करने का विधान है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी यह तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
नरक चतुर्दशी की तिथि और शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi Puja Shubh Muhurat)
- कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि आरंभ - 23 अक्टूबर 2022, शाम 6 बजकर 3 मिनट से
- कार्तिक चतुर्दशी तिथि समापन -24 अक्टूबर, शाम 5 बजकर 27 मिनट पर
- इस योग में काली चौदस 23 अक्टूबर 2022, रविवार को रात 11:42 से 24 अक्टूबर 2022 प्रात: 12:33 तक रहेगी और इसी मुहूर्त में काली माता का पूजन होगा।
- नरक चतुर्दशी उदया तिथि के अनुसार -24 अक्टूबर 2022, सोमवार को मनाई जाएगी।
नरक चतुर्दशी का महत्व
हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन विशेष रूप से यम देव की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए दीपदान किया जाता है। इस दिन घर के बाहर स्थित किसी नाली के पास दीपक प्रज्वलित किया जाता है और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने की प्रार्थना की जाती है। इस दिन यदि आप सरसों के तेल का दीपक जलाकर मुख्य द्वार पर रखती हैं तो माता लक्ष्मी का आगमन होता है और पूरे साल उनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)
- नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि कर्म से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ़ करें और सभी देवी देवताओं को स्नान कराएं।
- घर के मंदिर में दीपक जलाएं और प्रदोष काल के समय घर के मुख्य द्वार या आंगन में दीपक जलाएं।
- एक दीपक यमदेव के नाम का जलाएं और मुख्य द्वार के बाहर रखें।
- इस दिन कुछ लोग व्रत भी रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा माता लक्ष्मी समेत करते हैं।
नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi Katha)
एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में नरकासुर नामक राक्षस ने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। उसके भीतर अनगिनत अलौकिक शक्तियां थीं जिसकी वजह से उससे युद्ध करना किसी के वश में नहीं था।
जब नरकासुर की यातनाएं बहुत ज्यादा बढ़ गईं तब सभी देवता भगवान कृष्ण के पास पहुंचे और उनसे बचाव की प्रार्थना की। सभी देवताओं की स्थिति देखते हुए श्रीकृष्ण उनकी मदद के लिए तैयार हो गए।
नरकासुर को अभिशाप मिला था कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों ही होगी। तब बड़ी ही चतुराई से भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी के सहयोग से कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन नरकासुर को वध कर दिया। नरकासुर की मृत्यु के बाद 16 हजार बंधकों को मुक्त किया गया। तब से इन 16 हजार बंधकों को पटरानियों के नाम से जाना जाने लगा। नरकासुर की मृत्यु के बाद कार्तिक मास की अमावस्या के ठीक एक दिन पहले लोग नरक चतुर्दशी मनाने लगे।
इस प्रकार नरक चतुर्दशी के दिन किया गया पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है और विधि- विधान से से पूजा करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: shutterstock.com and wallpapercave.com
क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?
आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।