हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को लेकर कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं जिनका पालन बेहद जरूरी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि किसी भी भगवान के पूजन के दौरान यदि कोई भी भूल-चूक हो जाती है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
इसी वजह से लोग पूजन में इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि नियमों का पालन अवश्य किया जाए। ऐसे ही भगवानों में से एक हैं भगवान शिव। शिवजी को देवों के देव के रूप में पूजा जाता है और उनकी कृपा से मनोकामनाओं की पूर्ति के द्वार खुल जाते हैं।
हम सभी शिव जी को प्रसन्न करने के लिए न जाने कितने उपाय आजमाते हैं। कभी हम शिवलिंग पर चंदन का लेप करते हैं तो कभी जल चढ़ाते हैं। इन सभी उपायों में से भगवान शिव को जल अर्पित करना सबसे अच्छा माना जाता है।
यदि आप नियम से जल चढ़ाते हैं और पवित्रता का पालन करते हैं तो समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और पूजा का पूर्ण फल भी मिलता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि यदि आप जल चढ़ाते समय कुछ गलतियां करते है तो आपको पूजन का पूर्ण फल भी नहीं मिलता है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें कि आपको शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय किन गलतियों से बचने की सलाह दी जाती है।
गलत दिशा में न चढ़ाएं जल
कभी भी शिवलिंग पर जल चढ़ाने में आपको गलत दिशा की ओर नहीं खड़े होना चाहिए। दक्षिण और पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। उत्तर दिशा को शिव जी का बायां अंग माना जाता है जहां माता पार्वती विराजमान हैं। इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव और पार्वती दोनों की कृपा मिलती है।
खड़े होकर न चढ़ाएं जल
जब भी आप शिवलिंग पर जल अर्पित करें हमेशा ध्यान में रखें कि आपको खड़े होकर जल अर्पित नहीं करना है। यदि आप खड़े होकर जल अर्पित करती हैं तो इसका फल नहीं मिलता है। बैठकर शिवलिंग पर जल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है।
इस पात्र से न चढ़ाएं जल
अगर आप शिवलिंग पर स्टील या लोहे के पात्र से जल चढ़ाती हैं तो ये शुभ नहीं माना जाता है। कभी भी ऐसे बर्तनों से शिवलिंग पर जल अर्पित न करें जिनमें किसी ऐसी धातु का इस्तेमाल किया गया हो। शिवलिंग पर जल हमेशा तांबे के लोटे से चढ़ाना ही शुभ माना जाता है।
इसके साथ ही आपको ये ध्यान में रखना है कि जब आप जल चढ़ाएं तो जलधारा टूटनी नहीं चाहिए और एक साथ ही जल अर्पित करना चाहिए। लेकिन यदि आप जल के स्थान पर दूध चढ़ा रही हैं तब तांबे के लोटे का इस्तेमाल न करें।
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जल चढ़ाने के लिए शंख का न करें इस्तेमाल
शिवलिंग पर शंख से जल न चढ़ाएं। शिव पूजन में शंख का इस्तेमाल वर्जित होता है क्योंकि एक पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी ने एक बार शंखचूड़ राक्षस का वध किया था और मान्यता है कि शंख उसी राक्षस की हड्डियों से बना होता है।
शाम के समय न चढ़ाएं जल
यदि आप शिवलिंग (शिवलिंग की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं करनी चाहिए) पर जल अर्पित करती हैं तो आपको समय का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि आप जल प्रातः 5 से 11 बजे तक चढ़ाएंगी तो ये विशेष रूप से फलदायी होगा। कभी भी शाम के समय शिवलिंग पर जल न चढ़ाएं। ऐसा करने से शिव पूजन का फल नहीं मिलता है।
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इस तरह न चढ़ाएं जल
यदि आप शिव जी का जलाभिषेक कर रही हैं तो ध्यान रहे कि जल में अन्य कोई भी सामग्री न मिलाएं। ऐसी मान्यता है कि जल में कुछ भी मिलाने से जल की पवित्रता कम हो जाती है जिससे पूका का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
यदि आप भी शिव कृपा पाने के लिए शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं तो आपको यहां बताई बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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