मिलिए कृपा शाह से जिसने की थी आसिफा के परिवार की मदद, वो भी ऐसे

कृपा शाह ने कई बार अपनी खूबसूरत पेंटिंग्स के ज़रिये सोशल मेसेजेस दिए हैं और ऐसा ही एक मेसेज उन्होंने आसिफा की एक पेंटिंग के ज़रिये भी पूरे समाज को दिया है, आइए जानते हैं पूरी बात-

  • Inna Khosla
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2018-12-21, 14:25 IST
meet krupa shah who helped asifa parents by her painting main

आसिफा का नाम शायद ही कोई भूल सकता है। 8 साल की बच्ची आसिफा का दुःख सिर्फ एक कहानी बनकर रह गया है। अखबारों की हेडलाइन से निकल कर अब आसिफा की बातें मानों हवा हो गई हैं। लेकिन, इसी बीच कोई ऐसा भी था जो आसिफा परिवार के बारे में सोच रहा था और वो हैं कृपा शाह। कृपा शाह मुंबई में पली बढी एक जानी-मानी आर्टिस्ट हैं जिनकी पेंटिंग्स Krupa Arts के नाम से मशहूर हैं।

कृपा सोशल एक्टिविटीज़ में भी बहुत एक्टिव हैं। कृपा सिर्फ असहाय लोगों की मदद नहीं करतीं बल्कि, उन्हें खुद के दम पर रास्तों पर चलना भी सfखाती हैं। कृपा ने कई बार अपनी खूबसूरत पेंटिंग्स के ज़रिये सोशल मेसेजेस दिए हैं और ऐसा ही एक मेसेज उन्होंने आसिफा की एक पेंटिंग के ज़रिये भी पूरे समाज को दिया है, आइS जानते हैं पूरी बात-

महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेन्द्र फड़णवीस ने भी दिया साथ

meet krupa shah who helped asifa parents by her painting

कृपा ने आसिफा की एक खूबसूरत पेंटिंग बनाई थी जिसके ज़रिये उन्होंने फंड जमा किये और 1 लाख रूपये से भी ज्यादा की रकम जमा करके उन्होंने आसिफा के परिवार वालों तक पहुंचाई और इसमें उनका साथ महाराष्ट्र के चीफ मिन्सिटर देवेन्द्र फड़णवीस ने भी दिया। इस बारे में बात करते हुए कृपा ने हमसे कहा कि मुझे आसिफा के लिए बुरा तो लगा ही लेकिन मैं उसके परिवार की मदद भी करना चाहती थी। मुझे तकलीफें हुईं उसके परिवार तक पहुंचाने में मगर, गवर्मेंट ने मेरी मदद भी की। सच कहूं तो अच्छे लोगों के सामने मुझे कुछ बोलना ही नहीं पड़ा, मैंने बस पेंटिंग बनाई फंड जमा करने के लिए जो कर सकती थी वो किया और लोग मेरे साथ जुड़ते चले गए।

मैं डरी थी मगर, मेरे पति और मेरे फादर इन लॉ मेरे साथ थे

meet krupa shah asifa painting

कृपा ने कहा कि सभी जानते हैं कि आसिफा के केस को लेकर क्या क्या हुआ था, कुछ संगठन के लोगों ने दुष्कर्म के आरोपियों का साथ दिया, वहीं कुछ ने दोषियों को सज़ा दिलवाने की भी कोशिश की। और इन सबके बीच जब मैंने ऐसा कुछ करने का सोचा तो मैं डर गई थी लेकिन, मेरे पति और मेरे फादर इन लॉ ने मुझे ये चैलेंज लेने के लिए कहा और अपना पूरा सपोर्ट दिया। मुझे नहीं लगता कि मैंने अब तक बच्ची के लिए कुछ ख़ास किया है, यह एक छोटी सी मदद थी और यह कोशिश थी कि समाज में रहने वाले लोगों को यह समझ में आए कि जब ऐसा दर्दनाक कुछ होता है तो आपको कैसे एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। मैं अगर किसी एक की सोच में भी बदलाव लाई हूं तो मैं कामयाब हूं।

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