मौनी अमावस्या हर साल माघ महीने की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन मौन रहकर पवित्र नदियों पर स्नान करने का विशेष महत्त्व है। इस साल मौनी अमावस्या 11 फरवरी को है और इस बार भी यहां माघ महीने में चलने वाले माघ मेले का आरंभ हो चुका है। इस साल 27 फरवरी से कुम्भ मेले की शुरुआत भी होने वाली है जो कि 27 अप्रैल तक चलेगा। मौनी अमावस्या पर पवित्र स्नान करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से प्रयागराज पहुंचे हैं।
मौनी अमावस के एक दिन पहले से ही श्रद्धालु कई तरह के रूप में पूजा और अनुष्ठान करते हुए नज़र आये। सभी श्रद्धालु ईश्वर की शरण में कुछ पल बिताने की मनसा से अपने जरूरी सामानों के साथ वहां पहुंचे हैं और इसका अद्भुत नज़ारा देखने को मिला मौनी अमावस्या के एक दिन पहले। आइए देखें तस्वीरें -
हर जगह है श्रद्धालुओं की भीड़
मौनी अमावस्या के एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का का बड़ा समूह यहां इकठ्ठा होने लगा था। यहां हर जगह पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नज़र आ रही है। कहीं बड़ी संख्या में यज्ञ अनुष्ठान करते हुए, तो कहीं बड़ी संख्या में ईश्वर की भक्ति में लीन नज़र आ रहे हैं।
अमावस्या के कुछ दिन पहले से ही यह दृश्य नज़र आ रहा है। कोरोना काल में यह पहला मौका है जब देश -विदेश में एक साथ इतनी भीड़ देखने को मिल रही है। यह पूरा दृश्य भक्तों को अटूट भक्ति को दिखाता है।
माघ मेले में तीसरा सबसे बड़ा स्नान
अपने सामान और खाने पीने के पूरे इंतज़ाम के साथ के साथ भक्त संगम, पवित्र गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर 'मौनी अमावस्या' के दिन, तीसरे और सबसे शुभ स्नान के लिए पहुंचते हैं। इस बार भी सबसे बड़े स्नान के लिए श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं और रात से ही संगम में डुबकी लगाने के सिलसिला शुरू हो गया है। प्रयागराज में महीने भर चलने वाले हिंदू धार्मिक मेले "माघ मेले " का शुभारम्भ हो चुका है।
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पुण्य की डुबकी लगाने का सिलसिला
मौनी अमावस्या (मौनी अमावस्या में न करें ये काम) स्नान पर्व के लिए माघ मेला में श्रद्धालुओं के आने का क्रम अमावस के एक दिन पहले 10 फरवरी, बुधवार की आधी रात के बाद तक चलता रहा। मेला क्षेत्र में पहुंचे श्रद्धालु शिविर में आसरा लेते रहे। 10 फरवरी बुधवार रात 12:19 बजे से शुरू होकर अमावस्या तिथि गुरुवार रात 11:48 तक रहेगी।
इस दिन क्या करें
जाने माने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी के अनुसार मौनी अमावस्या को मौन रहकर व्यक्ति को तप और उपासना करनी चाहिए, इससे व्यक्ति को दिव्य ऊर्जा तो प्राप्त होती है साथ ही पितृदोष,कुंडली दोष से छुटकारा मिलता है वाणी में ओजस्विता और प्रखरता आती है।
बन रहा है शुभ संयोग
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माघ अमावस्या के दिन संगट तट और गंगा पर देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए पवित्र स्नान शुभ माना जाता है। इस साल मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा और छह ग्रह मकर राशि में होने महासंयोग बना रहे हैं। इस शुभ संयोग को महोदय योग कहते हैं। मान्यता है कि महोदय योग में कुंभ में डुबकी और पितरों का पूजन करने से अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।
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Image Credit: pallav paliwal