बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेसेज़ में से एक मनीषा कोइराला जल्द ही संजय दत्त की बायोपिक ‘संजू’ में नरगिस दत्त का किरदार निभाते हुए दिखाई देंगी। मनीषा की ज़िन्दगी को भी पलट कर देखें तो इन्होने भी कई उतार चढ़ाव का सामना किया है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ना आसान तो नहीं हैं! मनीषा ने हमसे ख़ास बातचीत के दौरान बताया कि बीती हुई ज़िन्दगी में उन्होंने बहुत कुछ देखा और अपने हेल्थ पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया मगर, उन्हें यकीन है कि आने वाली ज़िन्दगी वो बहुत ही खुशहाल तरीके से जीएंगी। वो अपना पूरा ध्यान रखेंगी और ज्यादा से ज्यादा वही काम करेंगी जिसमें उन्हें ख़ुशी मिलती है।
मनीषा ने रिलेशनशिप को लेकर भी हमसे बाते की और बताया कि कैसे एक लड़का और एक लड़की रिलेशनशिप को अलग अलग तरीके से देखते हैं। वहीं, दूसरी तरफ मनीषा ने बेबी गर्ल अडॉप्ट करने की भी इच्छा ज़ाहिर की। आइये जानते हैं मनीषा ने और क्या क्या कहा-
सबसे पहले अपने आप से प्यार करें
मनीषा ने रिलेशनशिप के बारे में बात करते हुए कहा, “रिलेशनशिप के बारे ,में मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि मैंने अपनी ज़िन्दगी भर किसी सहारे की खोज की! मुझे यह बहुत बाद में पता चला कि ये सहारा मैं खुद हूँ। घूम फिर के मुझे यह समझ में आया गया कि सबसे पहले मुझे अपने आप से प्यार करना है। तो सहारा देने वाला मेरे अन्दर ही था और मैं इतने सालों से इस सवाल का जवाब ढूंढ रही थी कि मुझे कौन संभालेगा? अब मुझे समझ में आ गया है कि जो मैं अपने लिए करूंगी वो मेरे लिए नहीं कर सकता।”
मनीषा आगे कहती हैं कि अब मुझे किसी सहारे की ज़रूरत भी नहीं पड़ती। कैंसर के ख़त्म होने के बाद भी मैं काफ़ी समय तक कमज़ोर महसूस कर रही थी, ऐसा लगता था कि मैं नहीं रही तो क्या होगा। मेरे अंत समय में मेरा कौन ध्यान रखेगा। लेकीन ये सब बकवास था... और मुझे बहुत समय बाद यह बात समझ आई। अब मेरे अन्दर अपने आपको लेकर बहुत विश्वास है और अब मैं अपने आप से सवाल करती हूँ कि क्या मुझे सच में किसी के सहारे की ज़रूरत है?
बेबी गर्ल को लेना चाहती हैं गोद
मनीषा ने कहा, “मैने मेरे भाई की बेटी के अन्दर बहुत सारी अच्छी क्वालिटीज़ देखी हैं। तो उसे देखकर कई बार मैंने सोचा है कि भविष्य में क्या मैं भी बेबी गर्ल अडॉप्ट कर सकती हूँ? और मैं चाहती हूँ मेरी बेटी में भी मेरी भतीजी की तरह क्वालिटीज़ हो! अगर मैंने सच में बेबी गर्ल गोद लूंगी तो मैं चाहूंगी कि वो सबसे पहले अपने आप की इज़्ज़त करना सीखे और खुद में विश्वास रखे। मैं चाहती हूँ कि वो ऐसा सोचे कि ये जो ज़िन्दगी मिली है उसे पूरी तरह से एन्जॉय करे।”
शादी को लेकर लड़के और लड़कियों की सोच होती है अलग
मनीषा बताती हैं, 'लड़कियां लड़कों को लेकर बहुत ज्यादा सोचती हैं क्योंकि वो हमेशा से शादी करना चाहती हैं, मेरा मतलब है कि शादी का ख्याल लड़कियों में कहीं न कहीं ज़रूर होता है। लड़कों को मैरिड मैन नहीं बनना होता, लेकिन लड़कियां कुछ अलग सोचती हैं! लड़कियों को अपना घर चाहिए होता है, उन्हें ‘मेरा’ वाली फीलिंग बहुत होती है। जैसे, मेरा घर हो, मेरी दुनिया हो और मेरे बच्चे हों!'
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