हिंदू धर्म महाशिवरात्रि का पर्व सौभाग्यशाली माना जाता है। यह व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए विशेष रूप से समर्पित है। महाशिवरात्रि के दिन, भक्तगण पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं। यह दिन शिव भक्ति, पूजन और व्रत से परिपूर्ण होता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इस दिन रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अब ऐसे में इस दिन अगर आप भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर रहे हैं तो किस मुहूर्त में करें। किन नियमों का पालन करें और किन मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक मुहूर्त यहां देखें (Mahashivratri Rudrabhishek Puja Muhurat 2025)
- इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन आप शुभ मुहूर्त के हिसाब से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं। यहां चार प्रहर में रुद्राभिषेक के मुहूर्त के बारे में विस्तार से पढ़ें।
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 06:19 बजे से रात 09:26 बजे तक।
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय -26 फरवरी को रात 09:26 बजे से 27 फरवरी को रात 12:34 बजे तक।
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी 2025 को रात 12:34 बजे से सुबह 03:41 बजे तक।
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी 2025 को सुबह 03:41 बजे से सुबह 06:48 बजे तक।
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रुद्राभिषक करने के दौरान इन नियमों का करें पालन
- अनुष्ठान शुरू करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- शिवलिंग को साफ करें और उसे एक वेदी पर रखें।
- कलश को पानी से भरें और उसमें थोड़ा गंगाजल मिलाएं।
- शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा और फूल चढ़ाएं।
- रुद्राभिषेक के दौरान दीपक और धूप जलाएं।
- इस दौरान रुद्राक्ष माला से भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
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रुद्राभिषेक के दौरान करें भगवान शिव के मंत्रों का जाप
अगर आप भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर रहे हैं तो इस दौरान उनके मंत्रों का जाप विशेष रूप से करने से लाभ हो सकता है। साथ ही व्यक्ति को मनचाहे फलों की प्राप्ति हो सकती है।
- ऊं नमः शिवाय:
- ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।1 उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
- जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्बितं पुजिङ्ग तुङ्ग मस्तकात्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥
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Image Credit- HerZindagi
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