पढ़ें महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी ये खास बातें

उज्जैन नगरी में बाबा महाकाल के दर्शन के लिए करोड़ो की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और यहां महादेव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है। 

Mahakaleshwar Jyotirlinga mahakal bhasm aarti facts ()

(mahakaleshwar jyotirlinga mahakal bhasm aarti facts) मध्य प्रदेश के उज्जैन को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। उनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालु दुनिया भर से आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त यहां आता है। उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यहां की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। अब ऐसे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी खास बातों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

जानें क्यों होती है महाकाल की भस्म आरती

   mahakal bhasm aarti

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार दूषण नाम के एक राक्षस ने उज्जैन नगरी में तबाही मचा दी थी। यहां के ब्राह्मणों ने भगवान शिव से उसके प्रकोप को दूर करने के लिए विनती भी की। भगवान शिव ने दूषण को चेतावनी दी, लेकिन वह माना नहीं। क्रोधित शिव जी ने यहां महाकाल के रूप में प्रकट होकर अपने क्रोध से दूषण नामक राक्षस को भस्म कर दिया। ऐसा माना जाता है कि बाबा भोलेनाथ ने यहां दूषण के भस्म से अपना श्रृंगार किया था। इसलिए आज भी यहां भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार भस्म से किया जाता है।

पढ़ें भस्म आरती से जुड़ी ये खास बातें

whatsapp image    at  am

यह पहला ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ (भोलेनाथ मंत्र) की दिन में कुल 6 बार आरती की जाती है। जिसमें पहली आरती भस्म से की जाती है। महाकाल बाबा का सुबह 04 बजे भस्म से आरती किया जाता है। इसे मंगला आरती भी कहा जाता है। ऐसा कहते हैं कि महाकाल भस्म आरती से प्रसन्न होते हैं। वहीं भस्म आरती महाकाल को उठाने के लिए की जाती है। महाकाल की आरती केवल और ढोल, नगाड़े बजाकर किया जाता है।

इसे जरूर पढ़ें - आखिर क्यों भगवान शिव को कहा जाता है महाकाल

ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में महाकाल की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाने की परंपरा थी, लेकिन कुछ सालों से अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी (शमी के उपाय) पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार किया जाता है। पश्चात उसी से भस्म आरती की जाती है। ऐसी मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति को रोग दोष से छुटकारा मिल सकता है।

इसे जरूर पढ़ें - महाकालेश्वर और काल भैरो मंदिर से जुड़े 3 बड़े रहस्य, जानें कैसे पहुंचें और कहां ठहरे

महाकाल की भस्म आरती के पीछे ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शिव श्मशान के साधक हैं। भस्म महाकाल का श्रृंगार है। भस्म से आशय है राख देह का अंतिम सत्य और सृष्टि का सार भी है। बाबा महाकाल को भस्म लगाने से संसार के नाशवान होने का संदेश देता है।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- Freepik

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहांक्लिक करें-

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP