कोलकाता रेप और मर्डर केस ने पूरे देश में महिलाओं की स्थिति पर एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। जहां एक तरफ सिस्टम कानून बदल कर अपना पल्ला झाड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ समाज महिलाओं को तुरंत चारदीवारी में कैद कर देना चाहता है। इसी का नतीजा था कि बंगाल सरकार ने अस्पतालों में महिला डॉक्टरों की नाइट शिफ्ट ना लगाने का फैसला दिया था।
महिला डॉक्टरों की नाइट शिफ्ट ना लगाने का फैसला सिर्फ हैरान नहीं, बल्कि परेशान भी करता है। साथ ही यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि क्या रात की शिफ्ट रोकने से महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध रुक जाएंगे? क्या सिर्फ महिलाओं के खिलाफ अपराध रात को ही होते हैं? अगर इन सवालों का जवाब नहीं मिल रहा है तो बंगाल सरकार के फैसले पर सोचने की जरूरत है।
अगर आप सच में चाहते हैं कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध कम या खत्म हो जाएं तो उसके लिए समाज और सोच बदलने की जरूरत है। महिलाओं की नाइट शिफ्ट रोकने और कानून बदलने की जगह सोच को बदलने की बात सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी की है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बंगाल सरकार के फैसले को क्रिटिसाइज किया है और कहा है कि सुरक्षा देना आपका काम है।
कोलकाता महिला डॉक्टर रेप और मर्डर के बाद ममता सरकार के रात की शिफ्ट पर रोक लगाने वाले फैसले पर कहा- "आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात को काम नहीं कर सकती हैं? महिला डॉक्टरों को क्यों लिमिट किया जाए? उन्हें कोई रियायत नहीं चाहिए...महिलाएं बिल्कुल उसी समय शिफ्ट में काम करने के लिए तैयार हैं।"
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CJI ने आगे कहा- "मिस्टर सिब्बल, आपको इस पर गौर करना होगा। इसका जवाब है कि आपको सुरक्षा देनी होगी। पश्चिम बंगाल को अपना नोटिफिकेशन सही करना होगा, आपकी जिम्मेदारी सुरक्षा देना है, आप नहीं कह सकते हैं कि महिलाएं रात को काम नहीं कर सकतीं। पायलट, आर्मी और अन्य सभी रात को काम करते हैं।"
CJI ने साथ ही कहा है कि महिलाओं के रात में काम नहीं करने की स्थिति उनके करियर पर प्रभाव डालेगी। कोर्ट के कहने पर ममता सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने जवाब में संबंधित धारा को हटाने के लिए कहा है।
बंगाल सरकार के फैसले को लेकर हमने सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट जूही अरोड़ा से भी बात की है। एडवोकेट जूही अरोड़ा का कहना है कि राज्य सरकार का यह फैसला बहुत ही बेतुका है कि महिला डॉक्टरों को रात की शिफ्ट नहीं करनी चाहिए। यह हमारे संविधान का घोर अपमान है, जो कहता है कि पुरुषों और महिलाओं को एक बराबर अधिकार है।
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अगर पुरुष रात को बाहर जा रहे हैं और वह सुरक्षित हैं तो महिलाएं क्यों नहीं हो सकतीं। एडवोकेट का कहना है कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं की सुरक्षा का ध्यान रखे, चाहे वह रात में काम करें, डॉक्टर हो या कोई अन्य प्रोफेशनल रहें। एडवोकेट ने CJI की बात की सराहना करते हुए कहा है कि घर से काम के लिए निकलने वाली हर महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। फिर चाहे महिला दिन में करे या रात में काम करे।
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