एकादशी तिथि का हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। इस तिथि के दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग विष्णु जी का पूजन और एकादशी का व्रत पूरे श्रद्धा भाव से करते हैं उन्हें जीवन में सफलता मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। चूंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है इसलिए इसे हरि का दिन भी कहा जाता है।
पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं जबकि अधिक मास लगने पर में 26 एकादशियां होती हैं। प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी तिथि कहा जाता है और इसका बहुत अधिक महत्व होता है। लेकिन इस दिन कुछ चीजें खाने की पाबंदी है जिनमें से मुख्य है चावल। जी हां एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें एकादशी तिथि के दिन चावल क्यों नहीं खाना चाहिए।
एकादशी के दिनचावल खाने के दुष्प्रभाव
एकादशी व्रत का एक नियम ये है कि एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है। भले ही इसे मान्यता मात्र माना जाए लेकिन ज्योतिष की बात करें तब भी इस दिन चावल खाने से व्यक्ति के लिए मुक्ति के द्वार बंद हो जाते हैं।
एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाना चाहिए
एक पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया। उस समय उनका अंश धरती में समा गया और चावल एवं जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि (जानें कब है जया एकादशी) थी। तब से ऐसा कहा जाता है कि महर्षि मेधा ने चावल और जौ के रूप में धरती पर जन्म लिया। इसलिए चावल व जौ को जीव माना जाता है। यही वजह है कि इस दिन चावल का सेवन करना पूरी तरह से वर्जित माना जाता है।
एकादशी के दिन चावल न खाने के वैज्ञानिक कारण
डॉ आरती दहिया जी बताती हैं कि वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चंद्रमा जो मन का कारक ग्रह है उसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। इससे मन एकाग्र होने की बजाय चंचलता की ओर अग्रसर होता है। मन के चंचल होने से इसका असर हम पर, हमारे क्रिया कलापों पर अत्यधिक पड़ता है। मन में एकाग्रता नहीं रहने से व्रत के नियमों का पालन करने में भी परेशानी होती है। यही वजह है कि शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है।
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क्या कहता है विष्णु पुराण
विष्णु पुराण में यह कहा गया है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति के सभी पुण्य समाप्त हो जाते हैं, क्योंकि चावल मुख्य रूप से भगवान का भोजन है। इसलिए जहां तक संभव हो एकादशी तिथि के दिन चावल का निषेध करें जिससे किसी भी पाप से बचा जा सके।
एकादशी तिथि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार किसी भी एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन विष्णु जी का पूजन करने और विष्णु जी के लिए फलाहार व्रत रखने से समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य को इस दिन सभी व्यसनों का त्याग करते हुए भगवान का पूजन करना चाहिए जिससे उसके सभी पापों से मुक्ति मिलने के साथ उसकी मनोकामनाओं की पूर्ति भी हो सके। इस दिन लोग मुख्य रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के लिए व्रत एवं पूजन करते हैं जिससे उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण ही सकें।
एकादशी के दिन और क्या नहीं खाना चाहिए
एकादशी तिथि को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कुछ और खाने की चीज़ों का त्याग करना चाहिए जिससे भगवान विष्णु जी की कृपा दृष्टि प्राप्त हो सके। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चावल के अलावा जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली का सेवन करना भी वर्जित होता है। इसलिए यदि आप श्री हरि का पूजन सच्चे ह्रदय से करते हैं तो आपको इन चीजों का सर्वथा त्याग करना चाहिए। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है इसलिए इस दिन पान खाना भी वर्जित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी तिथि के दिन दिन मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन जैसी तामसी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए और इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करते हुए भगवान श्री हरी का जाप व व्रत करना चाहिए।
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यदि आप भी भगवान् विष्णु की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो एकादशी तिथि में चावल के साथ अन्य तामसिक चीजों का उपभोग करने से बचें। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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