Kamika Ekadashi 2023 Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi aur Mahatva: हिन्दू धर्म में सावन की एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है।
सावन की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान धर्म-शास्त्रों में बताया गया है।
ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ. राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं सावन की कामिका एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से।
कामिका एकादशी 2023 की डेट और शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
- सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ: 12 जुलाई, दिन बुधवार, शाम 5 बजकर 59 मिनट
- सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का समापन: 13 जुलाई, दिन गुरुवार (गुरुवार के उपाय), शाम 6 बजकर 24 मिनट
- ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल 13 जुलाई को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
कामिका एकादशी 2023 पूजा विधि (Kamika Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
- कामिका एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
- अब आचमन कर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें।

- सूर्य देव को अर्घ्य दीना उर सूर्य मंत्रों का जाप करें। सूर्य स्तुति भी जरूर करें।
- इसके बाद, भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
- भगवान विष्णु को पुष्प, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत आदि अर्पित करें।
- श्री हरि के साथ मां लक्ष्मी को कुमकुम, कमल फूल, हल्दी आदि अर्पित करें।
- कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को भोग लगाएं।
- कामिका एकादशी के दिन विष्णु चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

- इसके बाद, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती उतारें और प्रसाद बाटें।
- अगले दिन, द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत का पारण करें।
कामिका एकादशी 2023 का महत्व (Kamika Ekadashi 2023 Mahatva)
- कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा से हर कामना पूरी होती है।
- माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से कार्य पूर्ती में आ रही बाधा दूर होती है।
- सावन की कामिका एकादशी का व्रत शुभ फलों की प्राप्ति कराता है।
कामिका एकादशी 2023 की व्रत कथा (Kamika Ekadashi 2023 Vrat Katha)
- एक गांव में ठाकुर नाम का आदमी रहता था जो बहुत क्रोधी था।
- एक दिन उस ठाकुर का ब्राह्मण से झगड़ा हो गया था।
- गुस्से में आकर उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी।
- इसके कारण उसे ब्रह हत्या का दोष लग गया।
- ठाकुर ने एक सिद्ध मुनि से इस दोष से मुक्ति का उपाय पूछा।
- मुनि ने थाजुर को एकादसी का व्रत रखने के लिए कहा।
- ठाकुर ने पूर्ण श्रद्धा से एकादशी का व्रत रखा और दोष मुक्ति की कामना की।
- भगवान विष्णु ने स्वयं उसे दर्शन देकर उसकी कामना पूरी की।
- इसी घटना के बाद सावन की एकादशी कामिका एकादशी कहलाने लगी।
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