भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की जिंदगी रोमन टाइम के अनुसार चलती है। फिर चाहे हमारे बर्थडे हो, वेडिंग एनिवर्सरी हो या फिर पब्लिक हॉलीडे ही क्यों न हो सब कुछ Pope Gregory XIII's के ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चल रही है। जिसमें जूलियस सीजर ने 45 B.C में बदलाव किया था। फरवरी में वसंत आता है, जुलाई में बारिश और दिसबंर में ठंड का मौसम होता है यह तो हम सभी को पता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर कैलेंडर के 12 महीनों के नाम कैसे रखे गए हैं और इनके पीछे का क्या मतलब है।
क्या आपने कभी सोचा है कि 12 महीनों का साल सितंबर, अक्तूबर और दिसंबर के साथ क्यों खत्म होता है। जिनका मतलब सातवां, आठवां, नौवां और दसवां होता है। अगर यह सवाल आपके मन में आता है, तो इसका जवाब हम यहां लेकर आए हैं। साथ ही साथ कैलेंडर क्यों बना और इसके पीछे की असली वजह क्या थी, इस बारे में भी यहां कुछ फैक्ट्स लेकर आए हैं।
क्यों बनाया गया था ग्रेगोरियन कैलेंडर?
पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, Pope Gregory ने कैलेंडर समय का हिसाब रखने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को टैक्स जमा करने के बारे में याद दिलाने के लिए बनाया था। यही वजह है कि इसे कैलेंडर का नाम दिया गया। क्योंकि, प्राचीन रोम में कैलेंड्स वह दिन होता था, जिस दिन Debts रिकॉर्ड किया जाते थे।
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कैसे बना ग्रेगोरियन कैलेंडर?
प्राचीन रोम का एक साल पहले सिर्फ 10 महीनों का ही होता था। जिसका पहला महीना Romulus के पहले लीजेंड राजा के नाम पर रखा गया था। पहला महीना Martius था। इसके बाद Aprilis, Maius and Iunius महीने आते थे। यह सभी नाम रोम सभ्यता के देवताओं से जुड़े थे। इसके बाद पांचवे महीने के लिए Quintilis, छठे महीने के लिए Sixtilis, सातवें के लिए सितंबर, आठवें के लिए अक्तूबर, नौवें के लिए नवंबर और दसवें महीने के लिए दिसंबर इस तरह के नाम दिए गए थे। इसके बाद जनवरी और फरवरी जोड़े गए थे।
कई बार हुआ ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलाव
पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, ग्रेगोरियन कैलेंडर को कई बार संशोधित किया गया है। रोम के शासक जूलियस सीजर ने भी इसमें बदलाव किया था और इसकी जगह जूलियन कैलेंडर चलाया था। यूरोप में एक लंबे समय तक जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया गया था।
जूलियस सीजर ने रोम का शासक बनने के बाद फैसला लिया था कि कैलेंडर को धरती के सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाने के हिसाब से बनाया जाएगा। आज हम जिस कैलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे सोलर कैलेंडर भी कहा जाता है। जूलियस सीजर के समय पर जनवरी और फरवरी को आखिरी से साल के शुरुआत में कर दिया गया और लीप ईयर भी शामिल किया गया, जिससे कैलेंडर को सोलर ईयर से जोड़ा जा सके। जूलियस सीजर के निधन के बाद Quintilis महीने का नाम बदलकर जूलियस के सम्मान में जुलाई कर दिया गया और Sextilis का नाम रोम शासक Augustus के सम्मान में अगस्त कर दिया गया।
आज का ग्रेगोरियन कैलेंडर
साल 1582 में Pope Gregory XIII ने जूलियन कैलेंडर में कई बदलाव किए। जिसमें से सबसे पहले साल के दिनों को 365.25 से कम करके 365.2425 दिन किया गया। जिससे कैलेंडर में लीप ईयर कैलकुलेट करने में आसानी रहे। इतिहासकारों का मानना है कि जूलियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल के आसपास शुरू होता था। ऐसे में जब Pope Gregory XIII ने कैलेंडर बदला तो नया साल 1 जनवरी को मनाया जाने लगा। तब जिन लोगों को कैलेंडर में बदलाव की खबर देर से मिली वह मार्च के आखिरी में नया साल मनाते रह गए। इसकी वजह से कुछ लोगों ने उनका मजाक उड़ाया तब से 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे भी कहा जाने लगा।
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कैसे मिले जनवरी से लेकर दिसंबर को नाम?
- जनवरी: रोमन भगवन Janus के नाम पर जनवरी महीने का नाम रखा गया है।
- फरवरी: लैटिन शब्द Februa से फरवरी बना है। जिसका मतलब to cleanse है। रोमन कैलेंडर में februarius महीना Februalia से आया था, जिसका मतलब है प्यूरोफिकेशन का त्योहार
- मार्च: यह नाम रोमन गॉड ऑफ वार Mars के नाम से आया है।
- अप्रैल: लैटिन शब्द aperio से अप्रैल महीने का नाम बना है। इस शब्द का मतलब है to open है जो कलियों के लिए है।
- मई: यह नाम रोम की देवी Maia से आया है। साथ ही लैटिन शब्द maiores से बना है जिसका मतलब बुजुर्ग होता है।
- जून: यह नाम भी रोमन भगवान Juno से आया है।
- जुलाई: रोम के शासक जूलियस सीजर के नाम पर जुलाई महीना बना है।
- अगस्त: जूलियस सीजर के नाती अगस्त्स सीजर के नाम पर यह अगस्त महीने का नाम रखा गया है।
- सितंबर: लैटिन शब्द septem से सितंबर महीना बना है, जिसका मतलब इंग्लिश में सेवन यानी सात होता है। यह रोमन महीने का सातवां महीना भी हुआ करता था।
- अक्टूबर: लैटिन शब्द octo से अक्तूबर महीने का नाम बना है।
- नवंबर: लैटिन शब्द novem से नवंबर महीना बना है।
- दिसंबर: लैटिन शब्द decem से दिसंबर महीना बना है।
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Image Credit: Freepik and Herzindagi
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