Jagannath Rath Yatra 2023: जानिए नेत्र उत्सव पर किस रूप में दर्शन देंगे प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा

रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग पुरी एकत्रित होने के लिए आते हैं। चलिए जानते हैं कि नेत्र उत्सव में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा किस रूप में दर्शन देंगे।

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हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण करते हैं। इस दिन भव्य और विशालकाय रथों पर विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा नगर भ्रमण कर गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर भी कहा जाता है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए देश विदेश से लोग पुरी एकत्रित होने के लिए आते हैं। चलिए जानते हैं कि नेत्र उत्सव कब है और इस उत्सव में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा किस रूप में दर्शन देंगे।

कब है नेत्र उत्सव?

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इस साल 19 जून यानी आज नेत्र उत्सव पर प्रभु जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस अवसर पर जगन्नाथ जी के नव यौवन के रूप में दर्शन होते हैं। इसके दूसरे दिन पर भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा मौसीबाड़ी जाते हैं। नेत्र उत्सव पर शाम के समय में भजन भी होता है।

किस रूप में दर्शन देंगे प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा?

मान्यता है कि नेत्र उत्सव में प्रभु के अलौकिक रूप के दर्शन मात्र से पुण्य मिलता है। इस बार प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं बहन सुभद्रा नव यौवन में अपने भक्तों को दर्शन देंगे। पुराणों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने के लिए अपनी इच्छा जाहिर की। जिसके बाद जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा के रथ पर बैठकर नगर घूमने गए थे। जिसके बाद वो मौसी के घर गुंडिचा भी गए और सात दिन तक यहां रूके। तभी से ये रथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है। इसके अलावा लोक कथाओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि, भगवान कृष्ण के मामा कंस उन्हें रथ पर मथुरा बुलाते हैं। जिस पर सवार होकर वो अपने भाई के साथ मथुरा जाते हैं तभी से ये रथ यात्रा शुरू हुई।

जगन्नाथ पुरी में भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण का मंदिर है। इस मंदिर में लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं। इसका मुख्य आकर्षण का केंद्र है जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा। ये रथ यात्रा किसी त्योहारों से कम नहीं होती है। देश-विदेश से लोग इसमें हिस्सा लेने आते हैं।

रथ यात्रा महोत्सव है बहुत खास

जब मंदिर के गर्भ से सभी मूर्तियों को बाहर निकाला जाता है, और इनकी रथ यात्रा कराई जाती है। इसके बाद इन्हें वापस स्थान पर स्थापित कर दिया जाता है। यह महोत्सव सिर्फ जगन्नाथ में ही नहीं होता। बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद मंदिर में भी रथयात्रा निकाली जाती है।इसे भी पढ़ें: Jagannath Rath Yatra 2023: आखिर क्यों यात्रा से 15 दिन पहले बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ

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Image Credit- jagran

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