आजकल डिजिटल और AI के जमाने में फोन पर किसी की भी बात रिकॉर्ड करना बहुत आसान हो गया है। कई बार लोग बातें करते हुए रिकॉर्डिंग चालू कर देते हैं, लेकिन सामने वाले को पता ही नहीं चलता। लोग सोचते हैं कि ऐसे बिना बताए किसी की बात रिकॉर्ड करना गलत नहीं है, लेकिन कानून इसे गलत मानता है।
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया था। इसके मुताबिक, निजता का अधिकार (Right to Privacy) हमारे संविधान के अनुच्छेद 21 का हिस्सा है। इसका सीधा मतलब यह है कि आप किसी की इजाजत के बिना उसकी बातचीत, फ़ोटो या वीडियो रिकॉर्ड नहीं कर सकते। अगर कोई आपकी बात छिपकर रिकॉर्ड करता है, तो ये आपके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
आज इस लेख में हम जानेंगे कि किसे रिकॉर्डिंग करने का अधिकार है, बिना बताए रिकॉर्डिंग करने पर कानून क्या कहता है और अगर आपकी निजता का हनन हुआ है, तो आप क्या कर सकते हैं।
भारत में कौन कर सकता है और कौन नहीं कॉल रिकॉर्डिंग?
भारत में छिपकर किसी की कॉल रिकॉर्ड करना आम तौर पर गलत है, लेकिन कुछ खास हालात और जगहों पर ऐसा करना कानूनी भी हो सकता है।
कौन कर सकता है रिकॉर्डिंग?
आप अपनी बातचीत रिकॉर्ड कर सकते हैं मतलब, अगर आप अपने दोस्त या रिश्तेदार से बात कर रहे हैं, तो आप अपनी तरफ़ से उस बात को रिकॉर्ड कर सकते हैं।
कौन नहीं कर सकता रिकॉर्डिंग?
अगर आप दो लोगों की बातचीत में शामिल नहीं हैं और आप चुपके से उनकी बातें रिकॉर्ड करते हैं, तो ये निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
भारत में कॉल रिकॉर्डिंग पर कौन से कानून लागू होते हैं?
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885: इस कानून के तहत, केवल सरकार ही सही इजाजत लेने के बाद फोन कॉल रिकॉर्ड कर सकती है। कोई आम नागरिक ऐसा नहीं कर सकता।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 72: अगर किसी के पास कोई कॉल रिकॉर्डिंग है और वो उसे बिना अनुमति के किसी और के साथ शेयर करता है, तो उसे सजा हो सकती है।
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 65B: अदालत में रिकॉर्डिंग को तभी माना जाता है जब वो असली हो, कानूनी तरीके से ली गई हो और उसके साथ डिजिटल सर्टिफ़िकेट भी हो।
अगर आप खुद बातचीत में शामिल हैं, तो क्या रिकॉर्डिंग कानूनी है?
हां, अगर आप किसी बातचीत में खुद शामिल हैं और उसे रिकॉर्ड करते हैं, तो ये कानूनी है। लेकिन, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि उस रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है। अगर आप किसी की बदनामी करने, ब्लैकमेल करने या उसकी इजाजत के बिना सार्वजनिक रूप से शेयर करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
रिकॉर्डिंग कब गैरकानूनी मानी जाती है?
अगर आप किसी बातचीत का हिस्सा नहीं हैं और फिर भी छिपकर किसी की बातें रिकॉर्ड करते हैं, तो ये गैरकानूनी है। इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाता है।
अगर आप बातचीत में शामिल थे लेकिन आपने सभी की इजाजत के बिना कॉल रिकॉर्ड की और उसे शेयर कर दिया, तो आपको IT अधिनियम 2000 की धारा 72 के तहत 3 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अगर आप किसी की निजी या संवेदनशील जानकारी वाली रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर डाल देते हैं और इससे किसी की इज्जत को ठेस पहुंचती है, तो आपके खिलाफ IPC (भारतीय दंड संहिता) के तहत मानहानि और गोपनीयता भंग का मुकदमा चलाया जा सकता है।
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