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Gender equality के मामले में भारत 21 पायदान नीचे फिसला: डब्ल्यूईएफ

लैंगिक समानता के मामले में भारत की स्थिति चीन से बुरी। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में 21 पायदान नीचे फिसल कर 108वें स्थान पर पहुंचा। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2017-11-06, 16:53 IST

Gender equality के मामले में भारत की स्थिति दिन पर दिन गिरते जा रही है और अब ये बात ग्लोबल लेवल पर भी जाहिर हो चुकी है। इसलिए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की रिपोर्ट में भारत gender equality के मामले में 21 पायदान नीचे फिसलकर 108वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल इस सुची में भारत 87वें स्थान पर था। भारत की ये गिरावट अर्थव्यवस्था में महिलाओं की कम भागीदारी और मामूली वेतन के कारण हुई है। भारत इस सूची में चीन और बांग्लादेश से भी नीचे स्थान पर है। 

चीन 100वें स्थान पर

इस रिपोर्ट में 144 देशों को शामिल किया गया है। इस सूची में अमेरिका 49वें, बांग्लादेश 47वें और चीन 100वें स्थान पर है। वहीं, सूची में आइसलैंड पहले और नॉर्वे दूसरे पर है। फिनलैंड तीसरे स्थान पर, रवांडा चौथे और स्वीडन पांचवे नम्बर पर है। 

डब्ल्यूईएफ की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2017 के अनुसार भारत ने महिला और पुरुषों के मामले में 67 फीसदी अंतर मिटाने में सफलता हासिल की है। लेकिन अब भी ये बाकी बहुत सारे देशों से पीछे है। 

महिला-पुरुष के बीच का अंतर मिटाने में लगेगा कम से कम 100 साल

इस इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा पहली बार है कि जेंडर गैप के मामले में हालात सुधरने के बजाय बिगड़ी है। खासकर हेल्थ, एजुकेशन, वर्क प्लेज़ और पॉलिटिक्स में महिलाओं की स्थिति खराब हुई है। रिपोर्ट का कहना है कि अगर जेंडर गेप को मिटाने की रफ्तार ऐसे ही रही तो महिला और पुरुषों के बीच की खाई को मिटाने में 100 साल लगेंगे।

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डब्लूईएफ का कहना है कि जेंडर गेप को मिटाने की कोशिशें 2017 में आकर ठहर सी गई हैं। पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार अनुमान लगाया था कि इस रफ्तार से महिला-पुरुषों के बीच की असमानता को दूर करने में 83 साल लगेंगे। लेकिन इस साल की रिपोर्ट काफी निराशाजनक रही है।

ये ऐसी तीसरी रिपोर्ट है जिसमें भारत को लगातार निराशा हुई है। पिछले दिनों जारी हुई महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट में भारत की राजधानी को सबसे खराब राज्यों में से एक बताया गया था। वहीं थॉम्सन रॉयर्टस फाउंडेशन के एक सर्वे के अनुसार पूरे महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन शौषण के मामले में दिल्ली पूरे भारत में टॉप पर थी और पूरी दनिया में चौथे नम्बर पर रखा गया था।  

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