भारत में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इनमें से एक है केरल का विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला का मंदिर। इस मंदिर में हर दिन लाखों भक्त आते हैं। मगर, अब तक यह भक्त हमेशा पुरुष ही होते थे मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने महिलाएं भी आ सकती हैं। इस मंदिर में बीते कई सालों से महिलाओं के आने पर प्रतिबंध लगा हुआ था। जिसका विरोध करने पर अब इस मंदिर में महिलाओं का भी प्रवेश हो सकता है। पहले इस मंदिर में10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता था। ऐसा मानना था कि इस उम्र की महिलाओं को पीरियड्स होते हैं इसलिए इन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं मिलना चाहिए। जिन महिलाओं को प्रवेश मिलता भी था उनका भी उम्र प्रमाण पत्र पहले देखा जाता था। वैसे यह मंदिर केवल इसलिए खास नहीं है कि यहां महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता था बल्कि यह इस 800 साल पुराने मंदिर का महत्व और इतिहास और भी ज्यादा रोचक है। आइए जानते हैं मंदिर के बारे में।
भगवान अयप्पा का मंदिर है सबरीमाला
सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा होती है। भगवान अयप्पा के बारे में कहा जाता है कि वह भगवान शिव और माता मोहिने के पुत्र थे। जब भगवान विष्णु मोहिनी का अवतारण धारण करके धरती पर आए तो उनकी खूबसूरती को देख कर भगवान शिव मोहित हो गए और उनका वीर्यपात हो गया था। उनके वीर्य से सास्वत नामक पुत्र का जन्म हुआ जिसे साउथ इंडिया में अयप्पा कहा गया। दक्षिण भारत में अयप्पन को बहुत माना जाता है और इस लिए वहां इनके कई मंदिर हैं। इनका सबसे प्रमुख मंदिर है सबरीमाला। इसे दक्षिण का तीर्थस्थल भी कहा जाता है।
क्या है धार्मिक कथा
धार्मिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के वक्त जब देवताओं और दानवों के बीच लड़ाई हो रही थी तब भगवन विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और पृथ्वी पर प्रकट हो गए। मोहिन के रूप सौंदर्य को देख कर जहां सभी देवता और दानव मोहित हो गए वहीं भगवान शिव भी मोहिनी को देख कर मोहित हो उठे और उन्हें विर्यपात हो गया। इससे एक बच्च्े की उत्पत्ती हुई जिसे भगवान शिव ने पंपा नदी के तट पर छोड़ दिया। इस दौरान राजा राजशेखरा ने उन्हें 12 सालों तक पाला। बाद में अपनी माता के लिए शेरनी का दूध लाने जंगल गए अयप्पा ने राक्षसी महिषि का भी वध किया।
अय्यप्पा के बारे में यह भी कहा जता है कि उनके माता-पिता ने उनकी गर्दन में घंटी बांधकर छोड़ दिया था। जब अयप्पा को पता चला कि उनके असली मातापिता राजशेखरा नहीं है तो वह सब कुछ छोड़ कर जंगल चले गए थे।
अयप्पा मंदिर का महत्व
भारत के केरल राज्य में शबरीमाला मंदिर है जहां पर अयप्पा स्वामी की पूजा होती हैं। कहा जाता है विश्व में मक्का मदीना में भक्तों की जितनी भीड़ जुटती है उतनी ही भीड़ हर दिन इस मंदिर में जुटती है। यहां पर लोग वश्विभर से शिव के पुत्र के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। इस मंदिर का नाम सबरीमाला इसलिए पड़ा क्योंकि यह मंदिर 18 पहाडि़यों से घिरा हुआ है और दक्षिण में पर्वतमाला को सबरीमाला कहा जाता है
यहां आने का एक खास मौसम और समय होता है। जो लोग यहां तीर्थयात्रा के उद्देश्य से आते हैं उन्हें इकतालीस दिनों का कठिन वृहताम का पालन करना होता है। तीर्थयात्रा में श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन से लेकर प्रसाद के प्रीपेड कूपन तक उपलब्ध कराए जाते हैं। दरअसल, मंदिर नौ सौ चौदह मीटर की ऊंचाई पर है और केवल पैदल ही वहां पहुंचा जा सकता है।
मंदिर की 18 पावन सीढ़ियां
चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं। पहली पांच सीढ़ियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है। इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। अगली तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीजें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं से भरी होती है। मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कैसे पहुंचें मंदिर?
- आपको सबसे पहले केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम पहुंचना होता है और उसके बाद यहां से सबरीमाला तक बस या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है।
- सबरीमाला मंदिर तक पहुंचने के लिए पंपा पहुंचना जरूरी होता है वहां से पैदल यात्रा शुरू होती है। यह यात्रा जंगलों के रास्ते होती है। पांच किलोमीटर पैदल चलकर 1535 फीट ऊंची पहाड़ियों पर चढ़कर सबरिमला मंदिर में अय्यप्प के दर्शन प्राप्त होते हैं।
- अगर आप रेल मार्ग से आ रही हैं तो आपको कोट्टयम या चेंगन्नूर रेलवे स्टेशन नज़दीक है। यहां से पंपा तक बस से पहुंच सकती हैं।
- यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट तिरुअनंतपुरम है, जो सबरीमला से कुछ किलोमीटर दूर है।
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