भारत छोड़ो आंदोलन साल 1942 में आज के दिन यानी 8 अगस्त से ही शुरू हुआ था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी और ब्रिटिश हुकूमत को इस आंदोलन से हिला दिया था। हमारे देश के सभी आंदोलनों में से 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन था। आइए इसके बारे में आपको कुछ खास बातें बताते हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन क्यों शुरू किया गया?
भारत में आजादी की लड़ाई कई सालों से चल रही थी। भारत छोड़ो आंदोलन की जरूरत इसलिए पड़ी थी, क्योंकि बिना मर्जी के भारत को द्वितीय विश्वयुद्ध में धकेल दिया गया था। द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत के हजारों सैनिक शहीद हो गए थे। इस कारण से भारत के लोगों ने भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने का फैसला किया।
भारत छोड़ो आंदोलन कब से शुरू हुआ था?
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त 1942 को हुई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे अधिवेशन में इसकी शुरुआत की थी। भारत छोड़ो आंदोलन एक ऐसा आंदोलन जिसने ब्रिटिश हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया था। इस आंदोलन के दौरान लगभग 14 हजार से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया गया था।इसे भी पढ़ें- ब्रिटिश साम्राज्य ने चुराई है दुनिया की ये बेशकीमती चीजें
भारत छोड़ो आंदोलन में किन क्रांतिकारियों ने हिस्सा लिया था?
महात्मा गांधी ने इस आंदोलन की शुरुआत, मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में 8 अगस्त 1942 को अपने ऐतिहासिक भाषण से की थी। 'करो या मरो' का नारा भी इस आंदोलन के दौरान दिया गया था। भारत छोड़ो आंदोलन में कई क्रांतिकारियों ने हिस्सा लिया था। इसमें महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, अब्दुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे कई बड़े नेता भी शामिल थे। इन्हें इस आंदोलन के दौरान गिरफ्तार भी कर लिया गया था।(क्या आपको पता है तिरंगा फहराने के भी होते हैं नियम? )
भारत छोड़ो आंदोलन क्यों बहुत खास था?
यह आंदोलन इसलिए बेहद खास था क्योंकि गांधीजी के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन में पूरे देश के लोग शामिल हुए थे और अंग्रेजों के खिलाफ एक जुट होकर खड़े हुए थे। इस आंदोलन में 'भारत छोड़ो' नारे ने भी अहम भूमिका निभाई थी क्योंकि इस नारे भारत के लोगों में अंग्रेज़ों के खिलाफ अंतिम लड़ाई लड़ने का जज्बा दिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन में कई लोगों ने गंवाई थी जान
इस आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की तरफ से हुई गोलीबारी में लगभग 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बावजूद किसी तरह का सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ था।इसे भी पढ़ेंः Azaad Bharat, Azaad Naari : क्या आप खुद को आजाद मानती हैं? इस स्वतंत्रता दिवस पर जुड़िए herzindagi की मुहिम से और शेयर करें अपनी बात
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