(In which vessel we should keep gangajal) धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा स्वर्ग से बहती है। भारतीय परंपरा में गंगा को बेहद पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यता है कि गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभई पाप नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि तीज-त्योहरों में बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पर स्नान करने के लिए आते हैं और गंगाजल घर लेकर जाते हैं। अब ऐसे में कुछ लोग इसे प्लास्टिक के डिब्बे में लेकर जाते हैं। जो अशुभ माना जाता है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि गंगाजल को किस बर्तन में रखना शुभ माना जाता है, ताकि शुभ फलों की प्राप्ति हो सके।
जानें गंगाजल से जुड़े कुछ नियम (rules for keeping Ganga water)
- गंगाजल कभी भी अपवित्र स्थान पर नहीं रखना चाहिए।
- पूजा के दौरान संकल्प लेने के दौरान गंगाजल का ही प्रयोग किया जाता है।
- गंगा जल को कांसे या तांबे के के बर्तन में भरकर रखें।
- गंगाजल को कभी भी प्लास्टिक के डिब्बे में नहीं रखना चाहिए।
- गंगाजल को हमेशा ईशान कोण दिशा में ही रखना शुभ माना जाता है।
- गंगाजल को स्पर्श करने के बाद कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। इससे व्यक्ति को कभी शुभ परिणाम नहीं मिलता है।
जानें किस बर्तन में गंगाजल रखना होता है शुभ (which vessel keeping Ganga water is auspicious)
पूजा के दौरान संकल्प लेते समय गंगाजल को प्रयोग में लाएं और इसे हमेशा कांसे या तांबे (तांबे के लोटे का उपाय) के बर्तन में ही रखना चाहिए। इसे बेहद पवित्र माना जाता है। गंगाजल को कभी भी अंधेरे वाली जगह पर बंद करके नहीं रखना चाहिए। इससे अशुभ माना जाता है।
किस दिशा में गंगाजल रखना होता है शुभ (In which direction is it auspicious to keep Ganga water?)
गंगाजल (गंगाजल उपाय) को हमेशा घर के ईशान कोण दिशा में रखना चाहिए। क्योंकि इस दिशा में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। अगर आपके पास थोड़ी मात्रा में गंगाजल है, तो आप पूजा वाले में जल में उसे मिलाकर गंगाजल की तरह ही प्रयोग में ला सकते हैं। गंगाजल को स्पर्श करने के बाद हमेशा सच बोलना चाहिए।
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गंगाजल भरने के दौरान मंत्र का जाप (Chant these Mantras while filling Ganga water)
अगर आप किसी भी पात्र में गंगाजल भर रहे हैं, तो इस दौरान कुछ मंत्रों का जाप करना बेहद जरूरी माना जाता है।
- इन मंत्रों का 108 बार जाप करें और उसके बाद गंगाजल लें।
- गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति।
- ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः.
- गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं, त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां.
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- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु.
- ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:.
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