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ऊं का उच्चारण किस मुद्रा में बैठकर करना चाहिए?

ऊं शब्द अपने आप में पूरे ब्रह्मांड के सामन है। इसका जान करने के लिए कुछ नियमों का पालन करने बेहद जरूरी होता है। आइए इस लेख में जानते हैं कि ऊं का उच्चारण किस मुद्रा में बैठकर करना शुभ माना जाता है। 
Editorial
Updated:- 2025-01-01, 12:00 IST

सनातन धर्म में मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है और इन मंत्रों का जाप करने के लिए नियमों के बारे में भी बताया गया है। वहीं सभी मंत्र में ऊं का जिक्र किया जाता है। इसी कारण सभी शुभ काम को मंत्रों से जोड़कर देखते हैं। आपको बता दें, ऊं एक ऐसा मंत्र है, जिसकी ध्वनि मात्र से ही व्यक्ति को समस्त देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

ऊं का उच्चारण करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऊं को सभी मंत्रों में शक्तिशाली माना जाता है। ऊं को ब्रह्मांड की मूल आवाज माना जाता है। यह सृष्टि के आरंभ में उत्पन्न हुई पहली ध्वनि है।

ऊं साक्षात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऊं का जाप मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है। अब ऐसे में अगर कोई ऊं का उच्चारण कर रहा है, तो इसे किस मुद्रा में बैठकर करना शुभ माना गया है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी द्वारा बताए नियमों के बारे में जानते हैं।

किस मुद्रा में बैठकर करें ऊं का उच्चारण?

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ऊं का उच्चारण शांत स्थान पर एकाग्र मन से करना चाहिए। इससे मानसिक शांति मिलती है और स्वास्थ्य के लिए यह उच्चारण शुभ माना जाता है। ऊं का उच्चारण सही मुद्रा में बैठकर करना उत्तम माना गया है।
पद्मासन मुद्रा में करें ऊं का उच्चारण - यह बेहद आसान मुद्रा है। इसमें दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है। यह मुद्रा शरीर को स्थिर रखती है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है। इस मुद्रा में बैठकर ऊं का उच्चारण कर सकते हैं।

सिद्धासन मुद्रा में करें ऊं का उच्चारण - इस मुद्रा में एक पैर को दूसरे पैर की जांघ पर रखा जाता है। यह मु्द्रा ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं। इसलिए सिद्धासन मुद्रा में बैठकर ऊं का उच्चारण करें।

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सुखासन मुद्रा में करें ऊं का उच्चारण - इस मुद्रा में दोनों पैरों को मोड़कर घुटनों को जमीन पर रखा जाता है। इसलिए आप सुखासन मुद्रा में बैठकर ऊं का उच्चारण करें।

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वज्रासन मुद्रा में करें ऊं का उच्चारण - इस मुद्रा में घुटनों के बल बैठकर एड़ियों पर बैठना होता है। यह मुद्रा पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसलिए ऊं का उच्चारण वज्रासन मुद्रा में बैठकर करना शुभ माना गया है।

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