शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है और इस दिन उनकी पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शनि स्तोत्र का पाठ करना शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत प्रभावशाली तरीका माना जाता है। लेकिन किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की तरह, शनि स्तोत्र का पाठ करते समय भी कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि आपको इसका पूर्ण लाभ मिल सके। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने के नियम के बारे में जानते हैं।
शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करते समय इन नियमों का करें पालन
- शनि स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शारीरिक शुद्धता के साथ-साथ मन की शुद्धता भी अनिवार्य है। किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- शनि स्तोत्र का पाठ शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त या संध्याकाल में करना सबसे उत्तम माना जाता है। पाठ करते समय अपना मुख पश्चिम दिशा की ओर रखें, क्योंकि यह शनिदेव की दिशा मानी जाती है।
- पाठ के लिए एक शांत और एकांत स्थान चुनें। जिसस पाठ विधिवत रूप से शांति से किया जा सके।
- पाठ करते समय कुश या ऊनी आसन का प्रयोग करें। भूमि पर बैठकर पाठ करने से बचें।
- पाठ शुरू करने से पहले शनिदेव के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं और धूपबत्ती जलाएं।
- पाठ शुरू करने से पहले अपनी मनोकामना के साथ संकल्प अवश्य लें कि आप यह पाठ किस उद्देश्य से कर रहे हैं।
- शनि स्तोत्र के मंत्रों का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए। गलत उच्चारण से पाठ का प्रभाव कम हो सकता है।
- शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति को तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
- इस बात का विशेष ध्यान रखें कि शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष विधान है।
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शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने का महत्व
शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह शनि से संबंधित सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। शनि के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव, चिंता और अशांति का अनुभव हो सकता है। शनि स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक स्थिरता आती है। शनिदेव न्याय के साथ-साथ कर्मों के अनुसार फल भी देते हैं। निष्ठापूर्वक शनि स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि आती है। रुके हुए काम बनते हैं और नए अवसरों की प्राप्ति होती है।
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