हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पूजनीय माना जाता है। इसे माता लक्ष्मी का स्वरूप और भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है। नियमित रूप से तुलसी की पूजा और देखभाल करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। मान्यता है कि तुलसी में जल अर्पित करने से घर में खुशहाली आती है और समृद्धि बनी रहती है। तुलसी की पूजा से जुड़े कई नियम बताए गए हैं, जिनमें जल चढ़ाने की दिशा भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यदि सही दिशा में मुख करके जल अर्पित किया जाए, तो इसका अधिक लाभ प्राप्त होता है। गलत दिशा में जल अर्पण करने से पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिलता। इसलिए, तुलसी पूजन करते समय वास्तु के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानते हैं कि तुलसी में जल अर्पण करते समय किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए और इससे जुड़े कौन-कौन से विशेष नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे अधिकतम शुभ फल की प्राप्ति हो सके।
तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने का महत्व
तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय माना जाता है। इसे न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक और औषधीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी का पौधा पर्यावरण को शुद्ध करने, सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और कई रोगों से बचाव करने में सहायक होता है। यही कारण है कि हिंदू धर्मग्रंथों में तुलसी की पूजा और उसमें जल अर्पित करने की परंपरा को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि तुलसी में जल चढ़ाने से न केवल भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तुलसी की पूजा करने और नियमित रूप से उसमें जल अर्पित करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इसके अलावा, तुलसी का पौधा वायुमंडल को शुद्ध करता है और इसके औषधीय गुण कई रोगों से बचाव में सहायक होते हैं। इसलिए, तुलसी में जल चढ़ाने की परंपरा धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों से लाभकारी मानी जाती है।
तुलसी में जल चढ़ाने की सही दिशा
वास्तु शास्त्र की मानें तो तुलसी में जल चढ़ाते समय आपका मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। इन दिशाओं को सकारात्मक ऊर्जा की दिशा माना जाता है और यह घर में शुभता को बढ़ाती हैं। पूर्व दिशा को सूर्य के उदित होने की दिशा माना जाता है, जो प्रकाश, ऊर्जा और ज्ञान का प्रतीक है। वहीं उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है, जो धन और समृद्धि से जुड़ी होती है। अगर आप सही दिशा की तरफ मुख करके तुलसी के पौधे में जल चढ़ाते हैं तो इससे खुशहाली बनी रहती है।
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तुलसी के पौधे में पूर्व दिशा की तरफ मुख करके जल चढ़ाने के लाभ
तुलसी के पौधे में पूर्व दिशा की तरफ मुख करके जल चढ़ाने से सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। सूर्यदेव को ज्ञान, स्वास्थ्य और शक्ति का स्रोत माना जाता है। पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त मिलती है। इस दिशा में जल चढ़ाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर बनी रहती हैं। पूर्व दिशा को बुद्धि और उन्नति की दिशा भी माना जाता है, जिससे जीवन में तरक्की मिलती है।
तुलसी के पौधे में उत्तर दिशा में मुख करके जल चढ़ाने के लाभ
यदि आप उत्तर दिशा की तरफ मुख करके तुलसी के पौधे में जल चढ़ाते हैं तो आपके जीवन में धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा माना जाता है और इस दिशा में मुख करके तुलसी में जल चढ़ाने से आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती है। उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके तुलसी में जल चढ़ाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह दिशा मन को स्थिरता प्रदान करती है और ध्यान एवं पूजा के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।
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तुलसी के पौधे से जुड़े वास्तु नियम
तुलसी के पौधे को घर में सही स्थान पर लगाना और उसकी पूजा सही विधि से करना आवश्यक होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार तुलसी पूजन के कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं। आइए जानें उनके बारे में-
- तुलसी का पौधा हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण दिशा में लगाना चाहिए। आप तुलसी के पौधे को घर के आंगन में भी लगा सकते हैं। इसे घर के मुख्य द्वार के पास रखना भी शुभ हो सकता है।
- तुलसी में जल अर्पित करने का सबसे शुभ समय प्रातःकाल होता है। सूर्योदय के बाद तुलसी में जल देना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। आपको तुलसी के पौधे में संध्या काल में जल अर्पित करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय तुलसी माता के विश्राम का होता है। आपको इस समय तुलसी के स्पर्श से भी बचना चाहिए।
- तुलसी पूजन करते समय आपके मन में पवित्रता और श्रद्धा होनी चाहिए। किसी भी अशुद्ध अवस्था में तुलसी पूजन नहीं करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते रविवार और एकादशी को नहीं तोड़ने चाहिए और इन दिनों में तुलसी में जल चढ़ाने से भी बचना चाहिए। आम दिनों में भी आप जब भी तुलसी की पत्तियां तोड़ें पहले तुलसी माता से क्षमा जरूर मांगें।
आप जब भी तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि सही दिशा में ही मुख करके जल अर्पित करें, जिससे आपको इसका पूर्ण लाभ मिले। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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