बच्चे का लालन-पालन सतत चलने वाली प्रक्रिया है। हर उम्र में उसे कुछ नया सिखाने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। उसमें समय के साथ कुछ अच्छी आदतें डालनी होती हैं। ऐसी ही एक आदत है अपना काम स्वयं करना। बच्चे जब स्कूल जाने की शुरुआत करते हैं, तो कई नए काम जुड़ जाते हैं। शुरू-शुरू में तो माता-पिता हर काम खुद संभालते हैं, लेकिन एक वक्त के बाद लगता है कि अब बच्चे को कुछ कामों के लिए आत्मनिर्भर हो जाना चाहिए। अगर आप भी ऐसा चाहते हैं, तो आज से ही कुछ जरूरी कदम उठाना शुरू कर देना चाहिए। माता-पिता अक्सर बच्चों को हर काम में मदद करते हैं। चाहे वह खाना खिलाना हो, कपड़े पहनना हो या स्कूल बैग तैयार करना हो। हालांकि, यह प्यार और देखभाल का तरीका लग सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह बच्चों को आत्मनिर्भर बनने से रोक सकता है। जो बच्चे अपना काम खुद करना नहीं सीखते, उन्हें बड़े होकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे- आत्मविश्वास की कमी, समस्याओं को हल करने में अक्षमता और दूसरों पर अत्यधिक निर्भरता आदि की परेशानी हो सकती है।
अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना उनके वर्तमान विकास के लिए भी बेहद जरूरी है। यह उन्हें जिम्मेदारी की भावना सिखाता है, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें छोटी उम्र से ही समस्याओं को सुलझाने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है। लेकिन सवाल यह है कि छोटे बच्चों में यह आदत कैसे डाली जाए, खासकर जब वे हर काम के लिए आप पर निर्भर रहते हैं। तो चलिए इस बारे में नई दिल्ली के आर्टेमिस लाइट एनएफसी के वरिष्ठ सलाहकार एवं प्रमुख मनोचिकित्सा डॉ. राहुल चंडोक से कुछ टिप्स जान लेते है, जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को खाना खाने से लेकर कपड़े पहनने तक अपना हर काम खुद करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं।
खाने से करें शुरुआत
हर बच्चा अपने हाथ से खाना चाहता है, लेकिन इस चक्कर में वह अपने कपड़ों को और आसपास फर्श का इतना गंदा कर देता है कि मां उसे डांटकर अपने हाथ से खिलाने लगती है। यह सही नहीं है। बच्चे को सिखाना है तो आपको सफाई की थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार होना चाहिए। दरअसल बच्चा जब खुद से खाता है, तो वह संतुलन बनाना भी सीखता है। यह उसके शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है।
खिलौने समेटना सिखाएं
ऐसी ही एक आदत है खिलौने समेटने की। अक्सर बच्चे खेलने के लिए सभी खिलौने बिखेर लेते हैं और बाद में उन्हें जस का तस छोड़कर चल देते हैं। आपका बच्चा भी ऐसा करता है, तो उसे खिलौने समेटना सिखाएं। जब भी बच्चा खेलकर हटने लगे, उसे सभी खिलौने सही जगह पर रखने के लिए कहें। सभी खिलौने अपनी जगह पर रखने के इस काम को भी आप उसके लिए खेल बना सकती हैं। काम होने के बाद उसे शाबासी दें, जिससे वह अगली बार फिर ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित हो।
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अन्य काम करने सिखाएं
इनके अलावा, बच्चों को कपड़े डालना, जूते पहनना और टाइम टेबल के हिसाब से अपना बैग लगाना भी सिखाएं। शुरुआत में ये सभी काम अपने सामने ही उससे करवाएं। कुछ गलती हो तो हंसकर खेल की तरह समझाएं और फिर दोबारा उसे सही करने के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से बच्चा धीरे-धीरे अपने सभी जरूरी काम खुद ही करने लगता है। यह न केवल आपको राहत देगा, बल्कि उसके विकास में भी मददगार होगा। ये सब आदतें उसे जिम्मेदार बनाती हैं।
बच्चे को बच्चा ही समझें
बच्चे को कुछ भी काम करने के लिए कहते समय यह न भूलें कि वह बच्चा है। उससे किसी काम में अपने जैसी परफेक्शन की उम्मीद न करें। अगर किसी काम में उससे गलती हो जाती है, तो डांटें नहीं, बल्कि समझाएं और सही काम के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चा खाते समय थोड़ा खाना गिरा दे, तो डांटें नहीं। उसे हर काम का आनंद उठाना सिखाएं। काम को बोझ नहीं बल्कि खेल की तरह करना सिखाएं। छोटे-छोटे टार्गेट देना और फिर टार्गेट पूरा होने पर बच्चे को शाबासी या कभी कभी कुछ इनाम देना एक अच्छा तरीका है। और एक बात, बच्चा माता-पिता को देखकर ही सीखता है। इसलिए आप जो अच्छी आदतें उसे सिखाना चाहते हैं, स्वयं में भी वे आदतें डालें।
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