वसीयत बनवाना चाहते हैं? जानें भारत में Will रजिस्ट्रेशन से लेकर स्टांप खर्च से जुड़ी डिटेल्स

वसीयत एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें आपकी संपत्ति किसे मिलेगी यह साफ-साफ दर्ज किया जाता है। अगर आप भी अपनी वसीयत बनवाना चाहते हैं, तो आइए यहां जानते हैं इससे जुड़े भारत में क्या नियम हैं।  
How to make a will in India

भारत में संपत्ति को लेकर विवाद आम समस्या है। संपत्ति ऐसी चीज है, जिसे लेकर भाई-भाई का दुश्मन और बेटा-बाप का दुश्मन बन जाता है। ऐसे में अगर वसीयत होती है, तो संपत्ति को लेकर विवाद की समस्या कम हो सकती है। हमारे देश में आज भी संपत्ति बंटवारे को एक टैबू की तरह देखा जाता है, लेकिन यह बात सच है कि विदेशों में इसकी जरूरत को समझा जाता है और भविष्य में होने वाले विवाद से बचा जाता है। ऐसे में आप चाहते हैं कि आपके इस दुनिया से जाने के बाद प्रॉपर्टी को लेकर परिवार वालों के बीच झगड़ा न हो और वह कोर्ट के चक्कर न काटें तो वसीयत बनवाना ही बेहतर है। अगर आप भी वसीयत बनवाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आइए यहां पहले जान लेते हैं कि यह क्या होता है और इसे बनवाने में कितना खर्च आता है।

क्या होता है वसीयतनामा?

वसीयत या वसीयतनामा एक कानूनी दस्तावेज होता है। जिसमें यह लिखा होता कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति यानी घर, बैंक बैलेंस, ज्वैलरी आदि पर किसका अधिकार होगा। वसीयत में आपकी संपत्ति की डिटेल्स के साथ उन लोगों का नाम लिखा जाता है, जिन्हें आप अपनी संपत्ति देना चाहते हैं। आसान भाषा में कहें तो आपकी मृत्यु के बाद आपकी संपत्ति का वारिस कौन होगा, यह वसीयत में लिखा जाता है।

वसीयत रजिस्ट्रेशन का महत्व क्या है?

how to register will in India

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के तहत, भारत में वसीयत का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी नहीं है। लेकिन, अगर आप वसीयत बनवाते और रजिस्टर कराते हैं तो इसके कई लाभ जरूर हो सकते हैं।

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वसीयत का रजिस्ट्रेशन करवाने से आपकी संपत्ति सही हाथों में जाती है। साथ ही कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विवादों में भी कमी आती है। जी हां, अगर आप वसीयत नहीं बनवाते हैं तो आपकी मृत्यु के बाद पत्नी और बच्चों में संपत्ति बराबर हिस्सों में बंट जाती है। ऐसे में कई बार विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है।

रजिस्टर्ड वसीयत को अदालत में चुनौती देना आसान नहीं होता है, ऐसे में यह संपत्ति को सुरक्षित करने का प्रभावी तरीका बन जाता है।

कौन रजिस्टर करवा सकता है वसीयत?

importance of will registration

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के तहत, 18 साल से ज्यादा आयु वाले वह लोग ही वसीयत रजिस्टर करवा सकते हैं जो मानसिक तौर पर स्वस्थ हों और इसके महत्व को समझने में सक्षम हों।

वसीयत का रजिस्ट्रेशन कैसे हो सकता है?

वसीयत को सफेद और सादे कागज पर भी लिखा जा सकता है। आप चाहें तो इसे स्टांप पेपर पर भी लिखवा सकते हैं। स्टांप पेपर पर लिखने से इसकी प्रमाणिकता बढ़ जाती है और भविष्य में विवाद की संभावना कम रहती है।

वसीयत में आपके नाम, संपत्ति और उन लोगों का नाम साफ-सरल भाषा में लिखा होना चाहिए। जिन्हें आप अपनी संपत्ति देना चाहते हैं। वसीयत में कम से कम दो गवाहों का नाम और उनका सिग्नेचर भी होना अनिवार्य होता है। यह गवाह ऐसे होने चाहिए जिन्हें आपकी वसीयत से कोई लाभ न मिल रहा हो और वह मानसिक तौर पर एकदम स्वस्थ हो।

स्टांप पेपर पर अपनी संपत्ति और सभी के नाम लिखवाने के बाद अपने नजदीकी सब रजिस्ट्रार के ऑफिस जाएं। वहां वसीयत की ओरिजिनल कॉपी के साथ अपना और गवाहों का पहचान पत्र यानी आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट लेकर जाएं।

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वसीयत रजिस्ट्रेशन के लिए आपको फीस भी जमा करनी होगी। यह फीस अलग-अलग राज्यों और उनके नियमों के अनुसार हो सकती है। आमतौर पर वसीयत रजिस्ट्रेशन की स्टैंप फीस 200 रुपये से लेकर 1000 रुपये के बीच हो सकती है।

सब रजिस्ट्रार के सामने वसीयत पर लिखने वाले और गवाहों के सिग्नेचर होते हैं, जिसके बाद ऑफिशियली वसीयत का ऑफिशियली रजिस्ट्रेशन हो जाता है।

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Image Credit: Freepik

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