हम सभी के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं, जब हम खुद में नकारात्मक महसूस करते हैं या कई बार हमारे मन पर नकारात्मक विचार हावी हो जाते हैं। वैसे तो यह स्वाभाविक है, लेकिन जब यह नकारात्मकता हमारी पर्सनैलिटी का स्थायी हिस्सा बन जाए और हमारे व्यवहार, बातचीत और दृष्टिकोण में झलकने लगे, तो यह चिंता का विषय बन सकता है। साइकोलॉजिस्ट के अनुसार, नकारात्मक पर्सनैलिटी आपके निजी और पेशेवर रिश्तों को खराब कर सकती हैं। साथ ही, यह आपकी मानसिक शांति, खुशी और सफलता के रास्ते में भी बाधा बन जाती है। कई बार लोग अनजाने में ही नेगेटिविटी के शिकार हो जाते हैं और उन्हें इसका एहसास भी नहीं होता है। वे सोचते हैं कि वे बस यथार्थवादी हैं या आलोचनात्मक हैं, जबकि वास्तव में वे नकारात्मकता फैला रहे होते हैं। अच्छी बात यह है कि अगर आप अपनी पर्सनैलिटी में नकारात्मकता को पहचान लेते हैं, तो उसे सुधारा जा सकता है। आइए, इस लेख में, हम आपको 5 ऐसे महत्वपूर्ण तरीके बताते हैं, जिनसे आप खुद की पर्सनैलिटी में मौजूद नकारात्मकता को पहचान सकती हैं और उसे सकारात्मकता में बदलने के लिए कदम उठा सकती हैं।
अपनी नेगेटिव पर्सनैलिटी को कैसे पहचानें?
अपनी बातचीत पर गौर करें
आपकी बातचीत का तरीका और आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द आपकी पर्सनैलिटी की सबसे बड़ी पहचान होते हैं। क्या आपकी बातचीत में शिकायतें ज्यादा होती हैं? क्या आप अक्सर दूसरों की कमियां निकालते हैं या हर बात में नकारात्मक पहलू देखते हैं? क्या आप बातचीत को हमेशा निराशाजनक मोड़ पर ले जाते हैं? अगर हां, तो आपको अपने अंदर बदलाव लाने की जरूरत है। अपनी बातचीत में सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करना शुरू करें। किसी भी समस्या पर बात करते समय, उसके समाधान पर भी चर्चा करें। दूसरों की सराहना करें और उनकी सफलताओं को स्वीकार करें। नकारात्मक गपशप या शिकायतों में शामिल होने से बचें।
प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करें
आप अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया करते हैं, यह आपकी मानसिकता को दर्शाता है। जब कोई चुनौती आती है, तो क्या आपकी पहली प्रतिक्रिया गुस्सा, निराशा या हार मान लेना होती है? क्या आप छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया करते हैं या हर बात को व्यक्तिगत रूप से लेते हैं? तो हो सकता है कि आपके अंदर नेगेटिविटी है। इसे सुधारने के बारे में आपको विचार करना चाहिए। किसी भी स्थिति पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से पहले एक पल रुकें और सोचें। भावनाओं के बजाय तर्क से काम लें। समस्याओं को सीखने के अवसर के रूप में देखें, न कि केवल बाधाओं के रूप में। अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने के लिए गहरी सांस लेने या ध्यान का अभ्यास करें।
अपने आसपास के लोगों को देखें
आप जिन लोगों के साथ समय बिताते हैं, वे अक्सर आपकी पर्सनैलिटी का आईना होते हैं। क्या आपके दोस्त और परिचित अक्सर नकारात्मक विचारों वाले हैं? क्या आप अक्सर ऐसे लोगों की संगति में रहते हैं जो शिकायत करते हैं, आलोचना करते हैं या नकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं? अगर ऐसा है तो आपके अंदर सकारात्मक बदलाव बहुत जरूरी है। आपको अपने आसपास सकारात्मक लोगों को शामिल करने का प्रयास करें। ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आपको प्रेरित करते हैं, आपका समर्थन करते हैं और आपको बेहतर बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यदि कुछ रिश्ते अत्यधिक नकारात्मक हैं और आप उन्हें बदल नहीं सकते, तो उनसे थोड़ा दूरी बनाए रखें।
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कृतज्ञता का स्तर जांचें
कृतज्ञता एक शक्तिशाली सकारात्मक भावना है। इसकी कमी अक्सर नकारात्मकता का संकेत होती है। क्या आप अक्सर उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो आपके पास नहीं हैं, बजाय उन चीजों के लिए आभारी होने के जो आपके पास हैं? क्या आप दूसरों की मदद को कम आंकते हैं या उसे अपना अधिकार समझते हैं? तो इनसब नेगेटिव आदतों में सुधार करने की जरूरत है। हर दिन उन चीजों के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने की आदत डालें, जिनके लिए आप आभारी हैं। एक कृतज्ञता जर्नल बनाएं और उसमें हर दिन कुछ चीजें लिखें। छोटी-छोटी खुशियों को पहचानना और उनका जश्न मनाना सीखें। यह आपकी सोच को सकारात्मक दिशा में मोड़ेगा।
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आत्म-आलोचना करें
आप खुद से कैसे बात करते हैं, यह भी आपकी नकारात्मकता का एक बड़ा संकेत हो सकता है। पहचानने के लिए आप खुद पर कुछ सवाल कर सकते हैं। जैसे- क्या आप खुद को अत्यधिक दोष देते हैं? क्या आप अपनी गलतियों को लेकर बहुत कठोर होते हैं और खुद को माफ़ नहीं करते? क्या आप दूसरों की गलतियों को तो माफ कर देते हैं, लेकिन अपनी गलतियों के लिए खुद को कोसते रहते हैं? इन सवालों के जवाब खुद से जानने के बाद आप अपने अंदर सकारात्मक बदलाव कर सकती हैं। खुद के प्रति दयालु और समझदार बनें। गलतियां करना मानवीय है। अपनी गलतियों से सीखें, लेकिन खुद को अत्यधिक दंडित न करें। खुद के प्रति वही दया दिखाएं जो आप एक अच्छे दोस्त के प्रति दिखाते हैं। आत्म-करुणा का अभ्यास करें।
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