भारी बारिश से पौधों को बचाने और उनकी देखभाल करने के लिए आप इन टिप्स को अपना सकते हैं। जैसे, अगर आपके बगीचे में कहीं पानी जमा हो रहा है, तो उसे मिट्टी या रेत से भर दें। जरूरत के मुताबिक ड्रेन पाइप का इस्तेमाल करें। पौधों की नियमित तौर पर जांच करते रहें कि उन्हें कोई क्षति तो नहीं हुई है। टूटे हुए तनों, पीली पत्तियों या सड़न के संकेतों को नजरअंदाज न करें।
पहले से ऐसे रोग-प्रतिरोधी किस्मों के पौधों को चुनें, जो रोगों और बदलते हुए वातावरण के प्रति सहनशील हों। कीड़ों या फंगस वाले स्थान पर कीटनाशकों या नीम के तेल को पानी में मिलाकर छिड़काव करें। रोग ग्रस्त पौधे या खरपतवार को नियमित रूप से नष्ट करें। आईएमडी के मानकों के मुताबिक, एक दिन में 124.5 और 244.4 मिमी के बीच होने वाली बारिश को बहुत भारी बारिश के रूप में परिभाषित करता है।
ज्यादा पानी जमा होने से जड़ें सड़ सकती हैं और पौधा मर सकता है। गीली और नम परिस्थितियां फंगस और बैक्टीरिया के लिए अनुकूल होती हैं, जिससे पौधों में रोग हो सकते हैं। भारी बारिश से पौधे के तने कमजोर हो सकते हैं और गिर सकते हैं। बारिश के मौसम की शुरुआत से पहले, पौधों के नीचे की पत्तियों को तोड़कर हटा दें। पानी भरने पर ये पत्तियां गल जाती हैं। अत्यधिक बारिश होने पर पौधों को थोड़े समय के लिए छतरी या प्लास्टिक शीट से ढक दें।
पौधों के आधार के चारों ओर 1-2 इंच (2.5-5.1 सेमी) मोटी परत में ऑर्गेनिक मल्च बिछाएं। इससे बारिश धीमी हो जाती है और भारी तूफ़ान के दौरान मिट्टी और जड़ों को नुकसान से बचाया जा सकता है। मल्च खरपतवारों को नियंत्रित करने में भी मदद करता है और मिट्टी को नम रखता है। मिट्टी की सतह पर ढलान बनाएं ताकि पानी आसानी से बह सके। मिट्टी की सतह पर गीली घास, पुआल या चूरा बिछाएं। यह मिट्टी को धीरे-धीरे पानी को सोखने और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करेगा।
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ज़्यादा नमी की वजह से पौधे सड़ या खराब हो जाते हैं, इसलिए सूखी घास का इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी की नमी नियंत्रित रहेगी। तेज बारिश के दौरान, घास की मदद से पौधे को ढका जा सकता है। इससे बारिश के पानी से बह जाने वाले पोषक तत्वों की भरपाई करने में मदद मिलेगी। हरी खाद फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों को जोड़ने में मदद करती हैं। कवर क्रॉप मिट्टी के क्षरण को रोकने और पोषक तत्वों को संरक्षित करने में मदद करते हैं।
बारिश के दौरान मिट्टी की गुणवत्ता का ध्यान रखने के लिए, सूखी मिट्टी बनाने के लिए उसमें कोकोपीट या गोबर की खाद मिलाएं। इससे बारिश की तेज बारिश और लगातार पानी से चिकनी मिट्टी में जलभराव की समस्या नहीं होगी। मिट्टी में अच्छी मात्रा में कंपोस्ट मिलाएं, जिससे मिट्टी की संरचना बेहतर होगी और जलधारण क्षमता बढ़ेगी।
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गमले के ऊपर तक 3 भाग मिट्टी और 1 भाग गोबर की खाद को मिक्स करके भरें। गमले का ऊपर का हिस्सा खाली छोड़ने पर उसमें पानी भर जाएगा और पौधे सड़ जाएगा। पानी की कमी के दौरान ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करें, जिससे मिट्टी का संरक्षित रहेगा और पानी का सही इस्तेमाल होगा।
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