बरसात के मौसम में, भारत के ज़्यादातर हिस्सों में पेड़ के साथ-साथ पौधों को लगाने का अच्छा समय होता है। बारिश से पौधों को खुद को जमाने में मदद मिलती है। हालांकि, भारी बारिश के दौरान पौधे लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे मिट्टी बह सकती है और जड़ें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। जुलाई और अगस्त के मानसून के महीनों में मिट्टी ज़्यादातर समय बहुत गीली और नम हो जाती है, और पौधों की जड़ें जमीन पर अच्छी तरह से पकड़ नहीं बना पाती हैं। इसलिए, पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय जून है, जो मानसून के मौसम से ठीक पहले होता है।
मानसून का मौसम कटिंग से पौधे उगाने के लिए बेहतर समय होता है, क्योंकि यह मौसम नमी और तापमान का बेहतरीन संतुलन प्रदान करता है। यहां दी गई तीन पौधों की लिस्ट और उनके उगाने के तरीके उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी हो सकते हैं, जो अपने बगीचे को बढ़ाने का विचार कर रहे हैं। इन पौधों की कटिंग से नए पौधे आसानी से उगाए जा सकते हैं।
चंपा (Plumeria)
चंपा के फूल सफेद और हल्के पीले रंग के होते हैं और इनमें खुशबू होती है। इसका वैज्ञानिक नाम मंगोलिया चम्पाका (Magnolia champaca) है। इसे टेंपल फ्लॉवर के नाम से भी जाना जाता है। चंपा के फूल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है, जैसे कि, पेशाब से जुड़ी बीमारियां, गुर्दे की बीमारियां, स्किन की समस्याएं, सूखी खांसी, पथरी, पेट दर्द, सिर दर्द, आंखों में जलन।
चंपा के फूल को अपने पास रखने और सूंघने से तनाव कम होता है। यह एरोमाथेरेपी में भी काम आता है। उगाने के लिए मदर प्लांट से तने की कटिंग लें और इसे 2-3 दिनों तक छायादार जगह पर सूखने दें। इसके बाद, कटिंग को रेत और मिट्टी के मिश्रण में उगाएं। एक महीने के भीतर नई पत्तियां उगने लगेंगी।
कनेर (Oleander)
कनेर के फूल में कई औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, कनेर के फूल से इन समस्याओं में राहत मिल सकती है। खुजली, दाद, और दूसरी त्वचा संबंधी समस्याएं, हृदय रोग, बुखार, रक्त-विकार, घाव, कुष्ठ रोग, सूजन, पेट से जुड़ी परेशानियां और मूत्र रोग। पत्ती के नोड के ठीक नीचे से तने की कटिंग लें। सभी निचली पत्तियों को हटा दें और समृद्ध, जैविक पॉटिंग मटेरियल में इसे रोपें।
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मधुमालती (Rangoon)
तेजी से बढ़ने वाले इस पौधे को तने की कटिंग से आसानी से उगाया जा सकता है। इसे सीधे मिट्टी में रोपें और अच्छी तरह से पानी दें। मधुमालती की बेल किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से लग जाती है, लेकिन नमी वाली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। ध्यान रखें कि पानी मिट्टी में रुकना नहीं चाहिए, वरना इससे जड़ों के गलने का खतरा रहता है। मधुमालती के पौधे को लगाने के कुछ दिनों तक धूप की बहुत ज़्यादा जरूरत नहीं होती, तो इसे छांव में रखें या फिर इसे ऊपर से प्लास्टिक से कवर कर दें। जब भी पानी दें, तब ऊपर से लेकर नीचे तक पानी से पौधे को भिगो दें। मिट्टी सूखने लगे, तभी दोबारा पानी दें। मिट्टी हल्की गीली है, तो पानी देने की जरूरत नहीं।
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कटिंग से पौधे लगाने का तरीका
- किसी स्वस्थ पौधे से 4-6 इंच लंबी कटिंग लें।
- कटिंग से तने के निचले हिस्से की पत्तियां हटा दें।
- कटिंग के जड़ के ऊपर मिट्टी डाल दें।
- कटिंग को 2 से 6 इंच लंबे टुकड़ों में काट लें।
- काटते समय, पौधे के केंद्र के सबसे करीब वाले सिरे पर सीधा कट लगाएं।
- दूसरे सिरे पर तिरछा कट लगाएं।
- कटिंग को किसी अच्छी जल निकासी वाले रूटिंग मीडियम में लगाएं।
- कटिंग को गीली मिट्टी या कोकोपीट पॉटिंग मिक्स में भी लगाया जा सकता है।
- कटिंग को गीला रखें, लेकिन ज़्यादा गीला न रखें।
- जब तक कटिंग की जड़ें नहीं आ जातीं, तब तक मिट्टी को नम रखें।
- जब आप गमले के जल निकासी छिद्रों से जड़ें निकलती देखेंगे, तो इसका मतलब है कि कटिंग तैयार है और इसे बगीचे में रोपा जा सकता है।
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