Ashwagandha Plant Growing Tips: अश्वगंधा एक शक्तिशाली औषधीय पौधा है, जो अपने अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के लिए बेहद मशहूर है। इसकी जड़ों और पत्तियों का उपयोग सदियों से पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। अगर आप भी इस चमत्कारी पौधे को अपने घर पर उगाना चाहती हैं, तो आपको इधर-उधर सर्च करके इसके तरीके ढूंढने की जरूरत नहीं है। इस आर्टिकल में कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिसे फॉलो करके आप गमले में ही अश्वगंधा उगा सकती हैं। इसके लिए बस आपको कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना होगा। तो आइए बिना देर किए अश्वगंधा के पौधे को गमले में उगाने का सही तरीका जानते हैं, जिससे आप इसे पूरे साल हरा-भरा रख सकती हैं।
अश्वगंधा उगाने के लिए आवश्यक चीजें
- अश्वगंधा के बीज- अच्छी गुणवत्ता वाले अश्वगंधा के बीज किसी भी नर्सरी या ऑनलाइन बीज स्टोर से खरीदे जा सकते हैं।
- गमला- कम से कम 12 इंच व्यास और गहराई वाला गमला चुनें ताकि जड़ों को विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।
- मिट्टी- अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें। आप रेतीली दोमट मिट्टी या सामान्य मिट्टी में रेत और खाद मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
- पानी- पौधे को नियमित रूप से पानी देने के लिए।
गमले में अश्वगंधा उगाने का स्टेप बाय स्टेप तरीका
- स्टेप 1- अच्छी गुणवत्ता वाले स्वस्थ बीजों का चुनाव करें। बुवाई से पहले, आप बीजों को 2-3 घंटे के लिए गुनगुने पानी में भिगो सकते हैं। यह अंकुरण प्रक्रिया को तेज करने में मदद करता है।
- स्टेप 2- गमले के निचले हिस्से में जल निकासी के लिए छेद सुनिश्चित करें। गमले को तैयार मिट्टी से भरें, लेकिन ऊपर से लगभग 1 इंच खाली छोड़ दें।
- स्टेप 3- मिट्टी में लगभग 1/2 इंच गहराई पर बीजों को लगभग 2-3 इंच की दूरी पर बोएं। एक गमले में 2-3 बीज बोना पर्याप्त है।
- स्टेप 4- बीजों को बोने के बाद हल्के हाथ से पानी दें ताकि मिट्टी नम हो जाए, लेकिन ज्यादा पानी न डालें।
- स्टेप 5- गमले को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ पौधे को रोजाना पर्याप्त धूप मिल सके। बालकनी, छत या बगीचे का धूप वाला हिस्सा इसके लिए उपयुक्त है।
- स्टेप 6- बीज आमतौर पर 1-2 सप्ताह में अंकुरित हो जाते हैं। जब पौधे छोटे हों, तो कमजोर पौधों को हटा दें और सबसे स्वस्थ पौधे को बढ़ने दें।
- स्टेप 7- अश्वगंधा के पौधे को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, खासकर गर्मियों में। मिट्टी को हमेशा नम रखें, लेकिन पानी जमा न होने दें। सर्दियों में पानी की मात्रा कम कर दें।
- स्टेप 8- अश्वगंधा का पौधा आमतौर पर कीटों और रोगों के प्रतिरोधी होता है, लेकिन फिर भी नियमित रूप से पौधे की जांच करें। यदि आपको कोई कीट या रोग दिखाई दे, तो जैविक कीटनाशक या फफूंदनाशक का उपयोग करें।
- स्टेप 9- यदि आपके गमले की मिट्टी उपजाऊ नहीं है, तो आप महीने में एक बार जैविक खाद जैसे कि वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद डाल सकते हैं। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से बचें।
- स्टेप 10- यदि पौधा बहुत घना हो जाए, तो आप कुछ पत्तियों और शाखाओं की हल्की छंटाई कर सकते हैं ताकि हवा का संचार बना रहे।
पूरे साल पौधे को हरा-भरा रखने के लिए क्या करें?
- सुनिश्चित करें कि पौधे को रोजाना पर्याप्त धूप मिले। यदि सर्दियों में धूप कम हो, तो आप ग्रो लाइट का उपयोग कर सकते हैं।
- मौसम के अनुसार पानी की मात्रा समायोजित करें। गर्मियों में अधिक पानी दें और सर्दियों में कम। मिट्टी को सूखने न दें।
- हर साल गमले की मिट्टी को आंशिक रूप से बदल दें ताकि पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहें।
- अश्वगंधा का पौधा गर्म जलवायु को पसंद करता है। अत्यधिक ठंड से पौधे को बचाएं। सर्दियों में यदि तापमान बहुत कम हो जाता है, तो गमले को घर के अंदर ले जाएं।
- यदि पौधा बहुत बड़ा हो जाता है और जड़ों के लिए जगह कम पड़ने लगे, तो उसे बड़े गमले में ट्रांसलेट करें।
- अश्वगंधा का पौधा लगभग 6-8 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। इसकी जड़ों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, जिसका उपयोग विभिन्न औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। पत्तियों का भी उपयोग चाय बनाने या अन्य आयुर्वेदिक उपचारों में किया जा सकता है।
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