लाड-प्‍यार नहीं.. ये आदतें खराब कर देती हैं बच्चों का दिमाग, अभी से दें ध्यान

बच्चों को सिर्फ प्यार से पालना ही काफी नहीं है, उन्हें मजबूत और स्वतंत्र व्यक्ति बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सही आदतें ही भविष्य को आकार देती हैं। कई बार, सिर्फ लाड-प्यार ही नहीं, बल्कि कुछ और आदतें भी बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डालती है।
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बचपन में दी गई सीख और डाली गई आदतें किसी इंसान के भविष्य का निर्माण करती हैं। माता-पिता की भूमिका केवल बच्चों को प्यार और सुरक्षा देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और जिम्मेदार इंसान बनाना भी उतना ही जरूरी है। कई बार माता-पिता अति-प्रेम या अधिक लाड़-प्यार में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्‍चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

बचपन की आदतें बच्चों की मानसिकता और उनकी सफलता की दिशा तय करती हैं। अगर सही दिशा न दी जाए, तो ये आदतें उनके विकास में बाधा बन सकती हैं। आइए मोटिवेशनल स्पीकर और लाइफ कोच डॉ. संदीप कोचर से जानते हैं कि वे कौन-सी आदतें हैं, जो बच्‍चों के दिमाग को कमजोर बना सकती हैं।

मेहनत न करने की आदत

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हर चीज आसानी से मिल जाना जब बच्चों को बिना किसी मेहनत के सब कुछ मिल जाता है, तो वे संघर्ष करना और मेहनत करना सीख नहीं पाते। जीवन में सफलता पाने के लिए धैर्य और मेहनत आवश्यक हैं। बच्चों को छोटी उम्र से ही यह सिखाना चाहिए कि चीजों की असली कीमत मेहनत से ही बढ़ती है, न कि आसानी से मिलने से। उन्हें लक्ष्य निर्धारित करने और उन पर काम करने की आदत डालनी चाहिए।

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डिजिटल लत और समय की अनदेखी

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आजकल बच्चे स्क्रीन टाइम के इतने आदी हो गए हैं कि उनकी रचनात्मकता और वास्तविक दुनिया से जुड़ने की क्षमता प्रभावित हो रही है। डिजिटल लत और समय की अनदेखी करने की आदतें उनके लाइफस्टाइल को खराब करती जा रही है। माता-पिता को चाहिए कि वे उन्हें संतुलित जीवनशैली अपनाने की आदत डालें—जहां पढ़ाई, खेल, और परिवार के साथ समय बिताने का महत्व हो। टेक्नोलॉजी का उपयोग एक उपकरण के रूप में करें, न कि एक आदत के रूप में।

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खुद से प्रॉब्लम को सॉल्व न करने की आदत

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जरूरत से ज्यादा संरक्षण देना अगर माता-पिता बच्चों की हर समस्या का समाधान खुद करने लगें, तो बच्चे चुनौतियों का सामना करना नहीं सीखते। उन्हें अपनी गलतियों से सीखने और खुद निर्णय लेने का मौका देना बहुत ज़रूरी है। आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास तभी विकसित होते हैं जब बच्चे खुद समस्याओं से निपटना सीखते हैं।

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अनुशासन की कमी

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संस्कार और अनुशासन ही वो आधार हैं, जो बच्चों को सही और गलत का भेद सिखाते हैं। जब बच्चे नियमों और मूल्यों को नहीं समझते, तो वे स्वार्थी और गैर-जिम्मेदार बन सकते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को नैतिकता, सहानुभूति और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाएं, ताकि वे एक अच्छे इंसान के रूप में विकसित हो सकें।

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Image credit- Freepik


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