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how many parikrama should be done of nandi in temple

मंदिर में नंदी की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए?

सनातन धर्म में परिक्रमा लगाने का विशेष महत्व है। जिसमें व्यक्ति किसी देवता, मंदिर या पवित्र स्थान के चारों ओर दक्षिणावर्त घूमता है। इसे 'प्रदक्षिणा' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'दाहिने ओर घूमना'। परिक्रमा को श्रद्धा, भक्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। अब ऐसे में मंदिर में नंदी की परिक्रमा कितनी बार लगाना शुभ माना जाता है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-02-14, 15:32 IST

हिंदू धर्म में परिक्रमा श्रद्धा, भक्ति और सम्मान के प्रतीक के रूप में की जाती है। यह एक शारीरिक और मानसिक साधना है, जो भक्तों को अपने ईश्वर, देवता या पवित्र स्थान के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए प्रेरित करती है। परिक्रमा के दौरान भक्त किसी पवित्र स्थल या मंदिर के चारों ओर चलते हैं और इस दौरान वे मानसिक रूप से अपने भगवान या देवी-देवताओं का ध्यान करते हैं। परिक्रमा करते वक्त मानसिक शांति और शुद्धता की प्राप्ति होती है, क्योंकि यह एकाग्रता और ध्यान की अवस्था उत्पन्न करता है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि परिक्रमा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, और यह आत्मा को शुद्ध करती है। अब ऐसे में मंदिर में नंदी की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

मंदिर में नंदी की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए?

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अगर आप मंदिर में नंदी की परिक्रमा लगा रहे हैं तो तीन बार लगानी चाहिए। यह परिक्रमा भगवान शिव की पूजा के समय की जाती है, क्योंकि नंदी भगवान शिव के वाहन है। और उन्हें पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। कुछ लोग इसे सात बार भी करते हैं, या फिर जितनी बार करना संभव हो, वे उतनी बार परिक्रमा करते हैं, ताकि अपने मन को शुद्ध किया जा सके और भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जा सके। ऐसा कहा जाता है कि नंदी की परिक्रमा लगाने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। साथ ही व्यक्ति के सुख-सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है। क्योंकि भगवान शिव से मिलने के लिए सबसे पहले नंदी की अनुमति लेनी होती है। इसलिए अगर आपकी कोई मनोकामना है तो सबसे पहले नंदी के कानों में ही बोलनी चाहिए। वहीं भोलेनाथ तक आपकी मनोकामना पहुंचाते हैं।

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नंदी की परिक्रमा लगाने का महत्व

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नंदी भगवान शिव के वाहन के रूप में पूजे जाते हैं, इसलिए नंदी की परिक्रमा करने से व्यक्ति को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह परिक्रमा व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाती है। नंदी की परिक्रमा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में किसी भी तरह की नकारात्मकता और बाधाओं को दूर करता है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन प्रदान करता है। नंदी की परिक्रमा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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Image Credit- HerZindagi

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