हज इस्लाम धर्म के पांच पवित्र स्तंभों में से एक है, जिसे हर मुसलमान पर जिंदगी में एक बार करना फर्ज माना गया है। यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि ईमान, सब्र और खुदा की रजा की तलाश में की जाने वाली सबसे बड़ी इबादत है। हर साल दुनियाभर से लाखों मुसलमान सऊदी अरब के मक्का शरीफ पहुंचते हैं, ताकि खुदा के घर काबा का दीदार कर सकें।
पैगंबर हजरत इब्राहीम और उनके बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में रस्में अदा कर सकें। हज की यह यात्रा एक तय समय पर होती है और इसकी हर रस्म का अपना एक गहरा महत्व है। बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि हज कितने दिन में खत्म होता है और इसके पीछे की परंपराएं व इस्लामिक नियम क्या हैं।
इस्लाम की पांच स्तंभोंमें से एक हज
इस्लाम में मुसलमान होने की पांच बुनियाद है, जिसमें से एक हज है। इन पांच बुनियाद का पालन करना एक सच्चे मुस्लिम होने की निशानी है। इसमेंशाहदा (ईमान का उच्चारण), सलाह (नमाज), जकात (दान), सॉम (रमजान का रोजा) और हज (मक्का की यात्रा)। हज हर मुस्लिम को जिंदगी में एक बार जरूर करना होता है।
इसे जरूर पढ़ें-Dhul Hijjah Ki Ibadat 2025: धुल हिज्जा के 10 दिन क्यों हैं बेहद खास? हज से पहले करें ये काम
हज कितने दिनों का होता है?
हज कुल 5 से 6 दिनों का होता है और यह 8वीं जिल-हिज्जा से 13वीं जिल-हिज्जा तक मनाया जाता है। इसमें कई तरह की इस्लामिक चीजें की जाती हैं। हज का मकसद मुसलमानों को अल्लाह की इबादत और प्यार का इजहार करना होता है। हज उन्हें अपने गुनाहों से माफी मांगने और एक नए जीवन की शुरुआत करने का मौका देती है।
हज में हर दिन की कहानी
हज जिल हिज्जा की 8 जिल हिज्जा को मिना की ओर रवाना होते हैं। 9 जिल हिज्जा को अराफात का दिन होता है, हज का खुतबा होता है। 10 जिल-हिज्जा को दिन ईद-उल-अजहा और शैतान को पत्थर मारे जाते हैं। इसके बाद 11 से 13 जिल-हिज्जा को शैतान के पत्थर के साथ इबादत की जाती है।
हज से जुड़ी प्रमुख परंपराएं और नियम
- हज की शुरुआत इहराम की नीयत से होती है, जिसमें एक खास सफेद रंग का कपड़ा पहना जाता है। इसे हम अहराम भी कहते हैं और इस दौरान हम दुनिया के कामों से दूरी रखी जाती है।
- हज से पहले और बाद में काबा शरीफ का तवाफ के 7 चक्कर और सफा से मरवा तक 7 चक्कर लगाने होते हैं।
- जिल-हिज्जा को अराफात के मैदान में जाना, जहां पैगंबर मुहम्मद ने आखिरी खुतबा दिया था। हज का सबसे जरूरी हिस्सा है, जो बिना अराफात में ठहरे हज मुकम्मल नहीं होता।
- अराफात से लौटकर मुजदलफा में रात बिताई जाती है, जहां पत्थर जमा किए जाते हैं जमारात के लिए।
- 10वीं जिल-हिज्जा को तीन शैतानों को पत्थर मारे जाते हैं और उसके बाद जानवर की कुर्बानी दी जाती है। इसे ही ईद-उल-अजहा के तौर पर जाना जाता है।
- हज पूरा होने के बाद मक्का में आखिरी बार तवाफ किया जाता है, जिसे तवाफ-ए-विदा कहा जाता है।
इसे जरूर पढ़ें-आखिर इस्लाम धर्म में क्यों जरूरी है मुस्लिमों के लिए हज? जानिए हज और उमराह के बीच का फर्क
हज क्यों है इतना खास?
- हज करना सिर्फ इबादत नहीं है, बल्कि एक तरह का सब्र, भाईचारा और खुदा के सामने पूरी तरह रख देने की एक मिसाल है।
- यहां दुनियाभर से लाखों मुसलमान बिना किसी भेदभाव के एक साथ इबादत करते हैं।
- हज करने वाला इंसान गुनाहों से पाक होकर लौटता है, जैसा कि वो मां के पेट से पैदा हुआ था।
इस तरह एक हज मुकम्मल किया जाता है। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@Freepik and shutterstock)
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों