महिलाओं की सुरक्षा आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए बड़ा मुद्दा है। मगर फिलहाल, भारत में महिलाओं के प्रति जुर्म के बढ़ते मामले ज्यादा चिंताजनक हैं। 09 अगस्त को हुए कोलकाता डॉक्टर रेप और मर्डर केस के मामले ने एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हर साल आने वाली यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट कान खड़े कर देती है।
आज महिलाएं सड़कों पर ही नहीं बल्कि घर पर और वर्कप्लेस पर भी सुरक्षित नहीं हैं। वर्कप्लेस में मजाक-मजाक में होने वाले उत्पीड़न के मामले तो कई बार महिलाएं किसी से कह भी नहीं पाती हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, भारत में 2018 से 2022 तक 400 से अधिक वर्कप्लेस सेक्शुअल हैरासमेंट के केस रिपोर्ट किए जा चुके हैं। हर साल एवरेज 445 केस दर्ज किए जाते हैं। साल 2022 में कुल 419 केस दर्ज किए गए थे, जिसका मतलब है कि हर महीने वर्कप्लेस पर हो रहे सेक्शुअल वर्कप्लेस हैरासमेंट के लगभग 35 केस आते हैं। अगर स्टेटिस्क्स की बात की जाए, तो हर दिन वर्क प्लेस एक ऐसा मामला देखा जाता है।
इसके लिए सेक्शुअल हैरासमेंट (प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन और रिड्रेसल) अधिनियम 2013 बना है, लेकिन बावजूद इस एक्ट के हम वर्कप्लेस पर महिलाओं को हैरासमेंट गुजरते देखते हैं।
क्या है सेक्शुअल हैरासमेंट वर्कप्लेस एक्स 2013?
इसे आमतौर पर PoSH एक्ट के रूप में जाना जाता है और यह कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के उद्देश्य से बनाया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। इसके मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं-
आंतरिक शिकायत समिति (ICC): इसके मुताबिक, दस या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले हर संगठन को यौन उत्पीड़न की शिकायतों को संबोधित करने के लिए ICC की स्थापना करनी जरूरी है। समिति में कम से कम चार सदस्य होने चाहिए, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं होनी चाहिए, जिसमें पीठासीन अधिकारी के रूप में सीनियर महिला कर्मचारी भी शामिल होनी चाहिए।
गोपनीयता: शिकायतकर्ता, आरोपी और कार्यवाही की पहचान को गोपनीय रखा जाना चाहिए ताकि इसमें शामिल लोगों की गरिमा और गोपनीयता की रक्षा की जा सके।
प्रशिक्षण और जागरूकता: एम्प्लॉयर को यौन उत्पीड़न और PoSH अधिनियम के तहत महिलाओं के अधिकारों के बारे में नियमित वर्कशॉप और ट्रेनिंग सेशन आयोजित करने चाहिए।
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जागरण न्यू मीडिया के लीगल कंसल्टेंट जीवेश मेहता के मुताबिक, "PoSH अधिनियम के अनुपालन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। एम्प्लॉयर्स को न केवल ICC की स्थापना करनी जरूरी है, बल्कि यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कर्मचारी अपने अधिकारों और रिड्रेसल के लिए उपलब्ध मेकेनिज्म से अवगत हों। किसी भी महिलाओं को प्रतिशोध के डर के बिना अपनी बात कहने के लिए सशक्त महसूस करना चाहिए।"
वर्कप्लेस पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महिलाएं क्या कदम उठा सकती हैं?
1. अपने अधिकारों और कंपनी की नीतियों को जानें-
PoSH अधिनियम के तहत अपने अधिकारों को समझना और यौन उत्पीड़न पर अपनी कंपनी की नीतियों के बारे में परिचिक होना आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में पहला कदम है।
एक मीडिया कंपनी की एचआर हेड वर्षा सिन्हा कहती हैं कि हर कर्मचारी को खासतौर से महिला को यह समझना चाहिए कि एचआर विभाग इस तरह के मामलों को लेकर काफी स्ट्रिक्ट होते हैं। महिलाओं को अपने एचआर पार्टनर से इसके बारे में जानकारी लेनी चाहिए। हैरासमेंट की शिकायत तुरंत अपने मैनेजर और एचआर पार्टनर से करनी चाहिए। हर ऑर्गेनाइजेशन की अपनी एक पॉलिसी होती है, इसलिए उत्पीड़न की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया से परिचित होना चाहिए।
2. प्रोफेशनल बाउंड्री बनाना जरूरी है-
वर्कप्लेस पर प्रोफेशनल बाउंड्री बनाए रखना महत्वपूर्ण है। ऐसी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें जो आपको कमजोर बना सकती है।
3. किसी भी घटना की तुरंत रिपोर्ट करें-
यदि आप यौन उत्पीड़न का अनुभव करते हैं या देखते हैं, तो तुरंत अपने ICC या HR विभाग को इसकी रिपोर्ट करें। देरी से रिपोर्ट करने से आपका मामला कमजोर हो सकता है और सुधारात्मक कार्रवाई करना मुश्किल हो सकता है।
4. डॉक्यूमेंटेशन है जरूरी-
अगर कोई टेक्स्ट या मेल के जरिए आपके साथ अनुचित व्यवहार कर रहा है, तो उसका डिटेल्ड रिकॉर्ड रखें। आप वॉइस कॉल रिकॉर्डिंग, मैसेज या मेल्स का डॉक्यूमेंटेशन रख सकते हैं। ध्यान रखें कि किसी भी ऐसी घटना की जांच करने के लिए डॉक्यूमेंटेशन बहुत ज्यादा जरूरी है। इस डॉक्यूमेंटेशन में दिनांक, समय, स्थान और शामिल लोगों के नाम जरूर होने चाहिए। अगर आपको शिकायत दर्ज करने के लिए कहा जाता है, तो यह दस्तावेजीकरण महत्वपूर्ण सबूत के रूप में काम आ सकता है।
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5. भरोसेमंद कलीग से बात करें-
अगर आपको किसी घटना की रिपोर्ट करने की जरूरत है, तो भरोसेमंद सहकर्मियों का नेटवर्क बनाने से इमोशनल सपोर्ट मिलता है। अपने साथ हुई घटना के बारे में एक भरोसेमंद व्यक्ति को बता सकते हैं, जो आपके लिए गवाह का काम करेगा। अगर आपको अकेले बोलने में असहजता महसूस होती है, तो समस्या की रिपोर्ट करते समय अपने साथ किसी सहकर्मी को रखें।
वर्कप्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है जिसमें कानूनी ढांचे, कंपनी की नीतियां और व्यक्तिगत सतर्कता शामिल है। अपने अधिकारों को समझकर,बाउंड्री को बनाए रखकर और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके, महिलाएं वर्कप्लेस पर अपनी सुरक्षा को काफी हद तक बढ़ा सकती हैं।
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