November Vrat or Tyohar List 2024: नवंबर में है त्‍योहारों की बारिश, पंचांग देखें और कर लें अपने अवकाश की प्‍लानिंग

नवंबर 2024 में मनाए जाने वाले ये त्यौहार न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देते हैं, बल्कि परिवार और समाज में एकता और प्रेम का संचार भी करते हैं। चलिए विस्‍तार से जानते हैं, इस माह के प्रमुख त्‍योहारों के बारे में। 
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नवंबर 2024 में हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाने वाले हैं। इस महीने की शुरुआत से लेकर अंत तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम और पर्व आने वालेहैं, जो विशेष रूप से आपके जीवन में नया उत्‍साह लेकर आएगा। इस लेख में नवंबर 2024 के प्रमुख त्योहारों की सूची और उनके महत्व का विवरण दिया गया है। साथ ही त्‍योहार पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त भी बताया गया है।

नवंबर 2024 के तीज-त्‍योहार

  • 1 नवंबर, शुक्रवार- दिवाली, कार्तिक अमावस्या
  • 2 नवंबर, शनिवार-गोवर्धन पूजा
  • 3 नवंबर, रविवार- भाई दूज
  • 7 नवंबर, गुरुवार- छठ पूजा
  • 12 नवंबर, मंगलवार- देवुत्थान एकादशी
  • 15 नवंबर, शुक्रवार-कार्तिक पूर्णिमा व्रत
  • 26 नवंबर, मंगलवार-उत्पन्ना एकादशी
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दिवाली, कार्तिक अमावस्या

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्योहार है। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन से जुड़ी अलग-अलग मान्‍यताएं हैं। अधिकांश लोग इसे प्रकाश का त्‍योहार कहते हैं। यह दिन श्री राम के वापस अयोध्‍या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। कई लोग इस दिन घर पर लक्ष्‍मी पूजन भी करते हैं और दीप से घर को सजाते हैं।

शुभ मुहूर्त: दिवाली की पूजा के लिए विशेष शुभ मुहूर्त की आवश्यकता होती है, जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन रात के समय लक्ष्मी पूजन करना अधिक फलदायी माना जाता है। इस बार दीवाली को लेकर लोगों के अंदर थोड़ा भ्रम है। कुछ लोग 31 अक्‍टूबर को ही दिवाली मनाएंगे, वहीं कुछ लोग 1 नवंबर को दिवाली मनाएंगे। कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को 3 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 20 मिनट पर समाप्‍त हो जाएगी। लक्ष्‍मी पूजन का समय रात का ही होता है, इसलिए अधिकांश लोग उदया तिथि की जगह लक्ष्‍मी पूजा 31 अक्‍टूबर को ही मना लेंगे। वहीं जो उदया तिथि में दिवाली करना चाहता है, उन्‍हें 1 नवंबर को 6:20 से पहले ही पूजा करनी होगी।

गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा, दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। मगर इस बाद परेवा 1 नवंबर की शाम से लग रही है और उदया तिथि 2 नवंबर को है। इस दिन द्वापर युग में भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई थी। तब से हर वर्ष इस तिथि पर हिंदुओं में घर पर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और फिर उसकी पूजा की जाती है। इस भगवान श्रीकृष्‍ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ता है , जिसमें से लो‍कप्रिय अन्‍नकूट की सब्‍जी भी होती है।

शुभ मुहूर्त: गोवर्धन पूजा के लिए आप 2 नवंबर को सुबह 5: 30 से लेकर सुबह 8:50 तक पूजा कर सकती हैं।

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भाई दूज

भाई दूज, भाई-बहन के सुंदर रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं। ऐसी मान्‍यता है, भाई दूज के दिन बहन अपने भाई को घर बुलाती है और अपने हाथों से पकाया भोजन कराती है। इस दिन भाइयों को उपहार और मिठाइयां दी जाती हैं।

शुभ मुहूर्त: भाई दूज की पूजा का समय भी खास होता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं। आप 3 नवंबर को दोपहर 1:10 बजे से 3:22 बजे तक रहेगा

छठ पूजा

छठ पूजा, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। यह सूर्य देवता की पूजा का त्योहार है, जिसमें लोग उगते और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन लोग 36 घंटे का उपवास रखते हैं।

शुभ मुहूर्त: छठ पूजा के लिए अर्घ्य देने का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय निर्धारित किया जाता है। 5 नवंबर को नहाय खाय है, 6 नवंबर को खरना है, 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और 8 नवंबर को उषा अर्घ्य देकर उपवास खोला जाएगा।

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देवुत्थान एकादशी

देवुत्थान एकादशी, के दिन भगवान विष्णु का जागरण होता है। इस दिन व्रत रखकर भक्त विष्णु भगवान की पूजा करते हैं। ऐसी मानयता है कि इस दिन भगवान विष्‍णु एक लंबी नींद के बाद उठते हैं, साथ ही सारे देवी-देवता का भी यह उठने का दिन होता है। इस दिन से सभी अच्‍छे काम भी शुरू हो जाते हैं। खासतौर पर विवाह जैसे अच्‍छे काम इस दिन से ही शुरू होते हैं।

शुभ मुहूर्त: इस एकादशी के व्रत का पालन करने के लिए सही मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक होता है। 11 नवंबर को शाम 6: 46 पर एकादशी शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 12 नवंबर को शाम 4:05 मिनट पर होगा।

कार्तिक पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा का दिन बहुत खास माना जाता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी दिन कई लोग तुलसी विवाह भी करते हैं। आपको बता दें कि तुलसी जी का विवाह श्री कृष्‍ण के स्‍वरूप सालिग्राम से हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन, नदी और तालाबों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कई लोग इस दिन को देव दिवाली के रूप में भी बनाते हैं। इस दिन भी घर को दीप से सजाया जाता है। जो लोग दिवाली वाले दिन लक्ष्‍मी पूजन नहीं करते हैं, वे कार्तिक पूर्णिमा के दिन कर सकते हैं।

शुभ मुहूर्त: पूर्णिमा की तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:19 पर आरंभ होगी और 16 नवंबर को सुबह 2:55 पर समाप्‍त हो जाएगी।

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