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"क्या आपको पता है कि इंडिया में हर दस मिनट में एक साइबर क्राइम रिपोर्ट किया जाता है? पिछले साल चार हज़ार से ज्यादा साइबर क्राइम दर्ज़ हुए हैं...मिस आरती आप अकेली महिला नहीं हैं जिसके साथ ऐसा हुआ है..." साइबर क्राइम सेल के हेड हमें समझा रहे थे।
"वो छोड़िये, ये बताइये इनमें से पकड़े कितने लोग गए?" शीतल भी न...कभी भी, कुछ भी बोल देती हैं। आज सुबह ही सुबह घर पहुंच गई और दरवाज़े से ही आवाज़ लगाने लगी.."चल फटाफट, मैंने सब पता लगा लिया है कि कैसे रिपोर्ट दर्ज़ करवानी है।"
दादी के कान खड़े हो गए..."रिपोर्ट? क्या हो गया शीतल? पुलिस का चक्कर हो गया क्या?"
इतने में मम्मी ने भी किचन से आवाज़ लगा दी, " रिपोर्ट? क्या हुआ, हॉस्पिटल से कोई खबर आई हैं क्या?"
"अरे नहीं-नहीं...ऐसा कुछ नहीं हैं...आप दोनों भी न...शीतल तू बाहर चल...जा रहे हैं हम मम्मी...बाय"
इससे पहले की और पूछताछ होती, जैसे-तैसे मैं शीतल को लेकर निकली।
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"अब सुन आरती...हम साइबर क्राइम सेल जा रहे हैं...वहां तुझे अपनी कम्प्लेन लिखित में देनी पड़ेगी, "शीतल ने ऑटो में बैठते ही हिदायत देना शुरू कर दिया...
"पर हम कौन से साइबर सेल में जाए? मतलब इस शहर के या जहां से वो फ़ोन कर रहा हैं वहां के?"
"गुड क्वेश्चन आरती...कोई फर्क नहीं पड़ता...साइबर क्राइम्स ग्लोबल जूरिस्डिक्शन में आते हैं...यानि इसकी रिपोर्ट किसी भी साइबर क्राइम सेल में की जा सकती है।" शीतल पूरी रिसर्च करके आई थी। मैंने उसे एक झोर की झप्पी दी..."थैंक्स यार शीतल, तू नहीं होती, मेरे साथ तो मुझमें ये करने की हिम्मत नहीं होती"
"ऐसा कुछ नहीं हैं आरती, अगर तू मेरे जगह होती तो तू भी यही करती..." शीतल ने मुस्कुराकर कहा।
मैंने अपनी आप-बीती लिखकर साइबर क्राइम सेल में जमा कर दी और तब कुबेर क्राइम सेल के हेड हमसे बात करने आये...शीतल के मुंहफट सवाल का जवाब देने से भी नहीं हिचकिचाए।
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"मैडम, अधिकतर साइबर क्राइम्स कॉग्निजबले ओफ्फेंस, यानि संज्ञेय अपराध होते हैं, जिसमें छानबीन या अरेस्ट के लिए वारंट की भी जरूरत नहीं होती...आप आगे की कारवाही हम पर छोड़ दीजिये" साइबर क्राइम सेल, पुलिस स्टेशन से एकदम अलग था। यहां के अफसर से लेकर ऑफिस तक सब नया और आधुनिक लग रहा था। कंप्यूटर, हार्ड ड्राइव, तरह-तरह की मशीनों के ज़रिये मेरे फ़ोन से, यहां के अफसरों ने सारी जानकारी ले ली। जिस नंबर से मुझे अश्लील मैसेज आ रहे थे, उस नंबर को भी ट्रेस पर लगा दिया गया।

"पर मुझे ये समझ नहीं आ रहा सर की मेरे फ़ोन से मेरी फोटोज उसके पास कैसे पहुंची?"
"क्या आप किसी भी कैफ़े, होटल या पब्लिक जगह में जाकर ओपन वाईफाई इस्तेमाल करती हैं?" ऑफिसर ने हमसे पूछा...और शीतल और मैं दोनों ही बोल पड़े, "हां!"
"ज़्यादातर लोगो को नहीं पता कि भरोसेमंद वाईफाई के अलावा किसी भी ओपन वाईफाई को अपने फ़ोन में एक्सेस देना कितना खतरनाक हो सकता है...क्या आप जानती हैं कि इससे आपके फ़ोन में जो कुछ सेव्ड है, चाहे वो फोटो हो या फिर आपके बैंक की कोई जानकारी, आपके ईमेल के पासवर्ड या सोशल मीडिया के लांग-इन, सब को हैक किया जा सकता है।"
हम, जो अपने आपको समझदार, पढ़ी-लिखी लड़कियां समझती हैं, हमें भी ये सब जानकारी नहीं थी। और हम जैसी कितनी और महिलाओं को ये नहीं पता होगा।
ऑफिसर मेरे फ़ोन से ये जरूरी छानबीन कर रहे थे, और फिर उनके हाथ कुछ सुराग लगा..."लेकिन आपका डाटा तो कॉपी हुआ है, मतलब फिजिकली...कहीं फ़ोन छोड़ दिया था क्या? रिपेयर के लिए दिया हो या कहीं भूल आईं हों..."
"मेहंदी वाली..." मेरे मुंह से निकला
"हैं? कुछ याद आया क्या?" आफिसर डायरी-कलम उठा ली
"वो दरअसल...मेरा फ़ोन उसके पास रह गया था...और मुझे लगा उसने चुरा लिया है...मैं उसके पीछे भागी भी थी पर थोड़ी देर में वो खुद ही मेरा फ़ोन ले आई..." मुझे वो पूरी घटना याद आ रही थी, कैसे मैं उसे चोर समझने के लिए खुद को धिक्कार रही थी, कैसे उसने अपने ईमान का वास्ता दिया था और कहा था कि सिर्फ इसलिए कि वो गरीब हैं उससे चोर समझना ठीक नहीं। लेकिन मेरे फ़ोन के साथ गायब होने के महज़ एक घंटे बाद से ही ये सब मामला शुरू हुआ है।
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"ओह" ऑफिसर ने चौकते हुए कहा, "ये देखिये...आपके फ़ोन में तो रिकॉर्डिंग बग भी डाला हुआ है...कोई आपकी बातें भी सुन रहा था"
"ओह माय गॉड!" अब मुझे कुछ-कुछ समझ आ रहा था..कि कैसे उस दिन अस्पताल में, जैसे ही "बेबी" बोलने पर हम सब हंसे, वैसे ही मेरे फ़ोन पर "हेलो बेबी" मैसेज कैसे आ गया था।
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"ये कोई मामूली साइबर चोर नहीं लग रहा" अफसर ने कहां, "उसका नाम- नंबर कुछ बता सकती हैं आप?" पर मुझे उसका नाम कहां पता था...लेकिन एक बात और याद आई थी मुझे, जो शायद इस केस के लिए महत्वपूर्ण साबित हो।
"मेरे पास उसकी फोटो है, मैंने उसके साथ सेल्फी ली थी। मेरे फ़ोन में जो आखिरी फोटो है, उसे देखिये।"
फोटो खोली गई और फिर मुझे उसके शातिर दिमाग की एक और झलक मिली। उस दिन जब उसने हंसकर अपने चेहरे पर हाथ रख दिया था...तब मुझे लगा था कि बेचारी कितनी मासूम है- शर्मा रही है। पर ये उसकी चालाकी थी...अपने चेहरे को छुपाने की तरकीब। लेकिन मैंने भी उसदिन एक फोटो नहीं ली थी...लगातार चार पांच सेल्फी खींच डाली थी। इन सब फोटो की मदद से साइबर क्राइम की टीम ने उस मेहंदी वाली का चेहरा तैयार कर लिया- और जब मुझे उसकी शकल दिखाई तो मैंने बोला "हां! यही तो हैं वो!"
लड़की की पहचान करवा कर मैं और शीतल वहां से चल दिए...शीतल को घर छोड़कर मुझे ऑफिस भी जाना था। अभी ऑफिस से कुछ दूर ही थी कि मेरा फ़ोन बज उठा, "हाय मिलिंद सर...मैं बस पहुंच रही हूं.." मैंने कहा

"हो कहां तुम आरती? शिखर गोयनका के साथ मीटिंग थी आज.." मिलिंद सर फ़ोन पर चीख रहे थे
"ओह गॉड!"
"व्हाट? तुम भूल गई इतनी ज़रूरी मीटिंग आरती?"
"नहीं...सर...वो बस मैं थोड़ी लेट हो गई..." मैं बड़बड़ाई
"थोड़ी? थोड़ी लेट? आरती तुम्हें अंदाजा भी हैं कि तुम पूरा एक घंटा लेट हो ...और मिस्टर गोयनका ने ये न कहां होता कि हर मीटिंग में तुम चाहिए उन्हें तो मैं कब का मीटिंग निपटा चुका होता- तुम्हारी कोई ज़रूरत न होती..." मिलिंद सर फ़ोन पर ही इतना चिल्ला रहे थे...सामने होती तो न जाने क्या करते।
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"सर में आकर आपको बताती हूं, एक प्रॉब्लम हो गई है..."
"फ्रैंकली आरती, आई ऍम नॉट इंटरेस्टेड...मैं मीटिंग के लिए निकल रहा हूं, तुम पहुंच सकती हो तो पहुंच जाओ" ऐसा कहकर मिलिंद सर ने फ़ोन पटक दिया।
ऑटो वाले को मीटिंग की जगह बताकर, न जाने मुझे क्या हुआ, मैं फूट-फूट कर रोने लगी। ये क्या हो रहा हैं मेरे साथ...एक तरफ भाभी अस्पताल में, दूसरी तरफ मेरा फ़ोन और अकाउंट हैक, पच्चीस हजार रुपये का नुकसान और उस पर ऑफिस का प्रेशर...शिखर गोयनका जैसे क्लाइंट के सामने अब मुझे शर्मिंदा होना पड़ेगा।
क्या करूं कि सब ठीक हो जाए? किसी मंदिर में प्रसाद चड़ाऊं? या किसी बाबा से झाड़ फूंक करवाऊं? क्या किसी ज्योतिषी से मूंगा-नीलम ही बनवा लाऊं? आप विचलित मन को शांत करने के लिए क्या करती हैं? मुझे ज़रूर बताइये...मुझे आपकी सलाह की आज बहुत ज़रूरत है। इस लिंक पर क्लिक करके आप आरती को सलाह दे सकती हैंं।
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