गोवर्धन पूजा का मूल उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की लीला और ब्रजवासियों की रक्षा की कहानी से जुड़ा हुआ है। किस तरह श्री कृष्ण ने इंद्रदेव के क्रोध से बचने के लिए अपने हाथ की छोटी सी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। गोवर्धन पूजा पर लोग श्री कृष्ण की पूजा करते हैं, ताकि भगवान उनके सभी दुखों को हर लें। इस दिन कई लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करके अन्न, फल और अन्य खाद्य सामग्रियों की भेंट करते हैं। लोग अपने घरों और मंदिरों को भी सजाते हैं। कई लोग गोवर्धन पूजा पर शायरी और कोट्स अपने स्टेटस में लगाते हैं। अगर आप भी ऐसी कोट्स सर्च कर रही हैं, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा।
1- गोवर्धन पर्व की सुगंध है हवाओं में,
रंग भरे हैं अब अरमानों में,
कृष्ण भक्ति की लहरें हैं दिलों में,
मंगलमय हो ये पर्व दुआओं में।
2- माखनचोर कन्हैया के संग मनाओ ये त्योहार,
गोवर्धन पूजा लाए खुशियों की बहार,
भक्ति में डूबा रहे हर एक दिल,
कृष्ण की कृपा रहे हर बार।
3- कन्हैया की लीला निराली, गोवर्धन पर्व है प्यारा,
जो श्रीकृष्ण को सच्चे मन से पुकारे,
उसका होता उद्धार सारा।
4- गोवर्धन पर्व पर श्रीकृष्ण का नाम लो,
हर दुख से मुक्ति का काम लो,
सच्चे मन से जो भक्ति करे,
गोविंद उसके जीवन में सुख भर दे।
5- गोवर्धन पर्व है आया, खुशियों का सागर लाया,
श्रीकृष्ण संग मनाएं ये त्योहार,
हर घर में प्रेम का दीप जलाया।
जय गोवर्धनधारी!
6- शाम रंगी तेरी बंसी से,
रात महके तेरे नाम से,
हर दिल में बस जाए तू,
ऐ कन्हैया, तेरी मुस्कान के जाम से।
7- तेरी बंसी की धुन में जादू है कन्हैया,
तेरी मुस्कान में सारा ब्रह्मांड समाया,
राधा के मन की तू धड़कन है,
हर भक्त का तू सहारा कन्हैया।
8- मुरली की मधुर तान सुनाए कन्हैया,
हर दिल में प्रेम जगाए कन्हैया,
जिसने भी लिया तेरा नाम सच्चे मन से,
उसका जीवन सुखमय बनाए कन्हैया।
9- माखन चुराए, दिल भी चुरा ले गया,
सबको हंसाए, खुद रुला ले गया,
जिसे देख मुस्कुराए सारी दुनिया,
वो नटखट नंदलाल कन्हैया कहलाया।
10- एक उंगली पर उठा लिया गोवर्धन पर्वत सारा,
दिखा दिया कन्हैया ने, प्रेम से बड़ा नहीं सहारा।
जिसे विश्वास हो बांके बिहारी पर सच्चा,
उसका जीवन कभी न हो दु:ख से कच्चा।
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11- एक उंगली में जो पर्वत थाम ले,
वो कान्हा सबके संकट हर ले,
भक्तों के सिर पर साया जो रखे,
उसकी कृपा से दुनिया तर ले।
12- जब कन्हैया ने एक उंगली उठाई,
धरती ने भी श्रद्धा झुकाई,
प्रेम, भक्ति और शक्ति का रूप वही,
गोवर्धनधारी की महिमा अपार भाई।
13- एक उंगली में सारा ब्रह्मांड समाया,
कन्हैया ने सबको विश्वास दिलाया,
भक्ति में जो रखे सच्चा मन,
उसका हर संकट श्रीकृष्ण ने हटाया।
14- ना शक्ति की शान थी, ना दिखावा कोई,
बस प्रेम था मन में और सच्चाई का जोश,
एक उंगली पर पर्वत उठाकर कन्हैया ने कहा,
भक्ति से बड़ा नहीं होता कोई दोष।
15- इंद्र का अहंकार जब छा गया आसमान पर,
व्रजवासी घबराए थे उस तूफ़ान पर,
तब गोवर्धन उठाकर कन्हैया मुस्काए,
भक्तों की रक्षा ही मेरा धर्म कहलाए।
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16- घनघोर बारिश में भी मुस्कराए कन्हैया,
भक्ति का दिया जलाए कन्हैया,
एक उंगली पर थाम लिया गोवर्धन पर्वत,
संकट से सबको बचाए कन्हैया।
17- न छत थी, न दीवार थी, बस विश्वास का घर था,
इंद्र के कोप में जब हर हृदय डरा था,
तब गोवर्धन उठाकर कन्हैया ने दिखाया,
भक्ति के आगे हर संकट झुका था।
18- गोवर्धन उठाया तो सिर्फ पर्वत नहीं था,
वो भरोसे का प्रतीक और प्रेम का एहसास था,
कन्हैया ने सिखाया,
भक्ति में जो डूबा, उसका हर तूफान पास था।
19- जब बरसने लगे बादल घनघोर,
डर गया हर मन, कांपा था हर ओर,
तब एक उंगली उठाकर कन्हैया ने कहा
भरोसा रखो, मैं हूं तुम्हारा गौर!
20- इंद्र का क्रोध, बादलों की बरसात,
सब भयभीत हुए, नहीं बचा कोई साथ,
तब कन्हैया ने गोवर्धन उठाया,
भक्तों के लिए बन गया भगवान का साथ।
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