Haqse: क्या महिलाओं को भी मिलते हैं समान बौद्धिक संपदा के अधिकार?

जब भी इंटेलेक्चुअल राइट्स की बात होती है तब हमेशा पेटेंट राइट्स पर ध्यान जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में महिलाएं कितने पेटेंट फाइल करती होंगी?

 
How does intellecual property rights work

सुप्रीम कोर्ट की जज हेमा कोहली ने हाल ही में वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी डे के मौके पर कहा है कि महिला इनोवेटर्स के लिए ज्यादा रिसोर्स प्रोवाइड करने की जरूरत है। जज हेमा कोहली के मुताबिक भारत में अपने अधिकारों को बचाने के लिए महिलाओं को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लिंग भेद, कार्यस्थल पर भेदभाव और आईपीआर के संबंध में जागरूकता और शिक्षा की कमी आदि बहुत से कारण हैं जो महिलाओं को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का फायदा उठाने नहीं देता है।

जज कोहली के मुताबिक महिला क्रिएटर्स को भी बराबरी का हक मिलना चाहिए और उन्हें इस देश में आगे बढ़ने के उतने ही मौके मिलने चाहिए। इसमें सामाजिक पैमानों को तोड़ने की जरूरत भी होती है। कई सामाजिक बंधनों के कारण महिलाएं अपनी क्रिएशन का ही फायदा नहीं उठा पाती हैं। महिलाओं को इनोवेटर्स कहा जाता है, उन्हें क्रिएटर्स कहा जाता है, वो घर और व्यापार दोनों अच्छी तरह से संभाल सकती हैं। ऐसे में उन क्रिएटर्स को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए।

जज कोहली की बात का बहुत महत्व है। पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स की बात करते-करते एक बात यह भी समझनी चाहिए कि आखिर ये राइट्स हैं क्या?

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क्या है बौद्धिक संपदा के अधिकार?

IPR या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (बौद्धिक संपदा के अधिकार) उन लीगल राइट्स का जिक्र करते हैं जिनमें एक इन्वेंटर या क्रिएटर को उसकी रचना की सुरक्षा का अधिकार मिलता है। ये राइट्स क्रिएटर को एक्सक्लूसिव अधिकार एक निश्चित समय के लिए ही देते हैं। पेटेंट लॉ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के अंतर्गत ही आता है।

intellectual property rights

इस मामले में क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

हमने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील रवि गुप्ता से बात की। उनका कहना है, "इनोवेशन और क्रिएटिविटी के लिए इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी बहुत जरूरी रोल निभाती है। यह देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाती है। जब इकोनॉमिक ग्रोथ की बात होती है तब पुरुष और महिला दोनों का जिक्र किया जाता है। जितना ज्यादा पार्टिसिपेशन होगा उतनी ही ज्यादा ग्रोथ होगी।"

law about intellectual property rights

"भारत Patent Cooperation Treaty female inventors in 2021 की टॉप 10 लिस्ट में था, लेकिन जब उसमें फीमेल इन्वेंटर्स का शेयर देखा गया, तो वो सिर्फ 10.2% था। वैसे तो भारत में बहुत सीफीमेल एंटरप्रेन्योर हैं, लेकिन उनमें से बहुत ही कम पेटेंट के बारे में सोचती हैं और उसे करवाती हैं। हमें वैसे तो IP के मामले में महिलाओं का अच्छा पार्टिसिपेशन चाहिए, लेकिन अगर कानून की बात करें, तो IP लॉ सबसे ज्यादा फीमेल डोमिनेटेड लॉ में से एक है। महिलाओं के नेतृत्व वाली आईपी कानून फर्मों और प्रमुख महिला आईपी व्यवसायियों की संख्या में हर साल अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है।"

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क्या वाकई महिलाओं का पार्टिसिपेशन है काफी कम?

जिस बारे में एडवोकेट रवि गुप्ता ने बताया वो स्थिति थोड़ी चिंताजनक तो है। अधिकतर महिलाएं अपनी ही क्रिएशन का फायदा नहीं उठा पाती हैं। उसपर स्वामित्व का अधिकार नहीं जमा पाती हैं। ऐसी कितनी महिलाएं होंगी जिन्हें अपने घर से अपनी क्रिएशन को पेटेंट करवाने की जानकारी मिलती होगी? कई महिलाएं बिजनेस खोलने के बाद भी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स को लेकर अंजान रहती हैं। बराबरी के मौकों के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि महिलाओं को इन्हें लेकर जागरूक किया जाए।

आज हम इस विषय में बात कर रहे हैं, लेकिन हममे से कई महिलाएं ऐसी होंगी जिन्हें अभी भी अपने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के बारे में नहीं पता होगा। बतौर एंटरप्रेन्योर यह जरूरी है कि हम अपने अधिकारों के बारे में जानें। हम अपनी संपदा का ध्यान रखें।

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