ऑनलाइन पेमेंट करना पड़ेगा महंगा! जानें कितना देना होगा हर ट्रांजेक्शन के लिए Extra Charge?

Google Pay के बाद अन्य ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म्स पर भी एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ सकता है। आइए, यहां जानते हैं कि अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर एक्स्ट्रा चार्ज क्यों लगाया जा रहा है और इसे कैसे बचाया जा सकता है।
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कैश और कार्ड से ज्यादा ऑनलाइन पेमेंट करना लोगों को ज्यादा आसान लगता है। यह अब हमारी रोजमर्रा के खर्चों और जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। ऑनलाइन पेमेंट करना सिर्फ आसान ही नहीं है, बल्कि खुल्ले और छुट्टे पैसों के झंझट से भी बचाता है। यही वजह है कि लोग तेजी से UPI, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट से पेमेंट कर रहे हैं। लेकिन, अब ऑनलाइन पेमेंट करना आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है। जी हां, गूगल पे ने पहले ही ऑनलाइन पेमेंट पर एक्स्ट्रा चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है। वहीं, ऐसा माना जा रहा है कि अब यह एक्स्ट्रा चार्ज हर प्लेटफॉर्म पर वसूला जा सकता है।

ऑनलाइन पेमेंट करना क्यों पड़ सकता है महंगा?

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भारत सरकार 2020 से पहले 2 हजार रुपये से कम का UPI यानी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर MDR लगाती थी। लेकिन, इसे 2020 में माफ कर दिया गया था जिसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और UPI के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल सके। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार एक बार फिर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन्स पर MDR लागू कर सकती है। MDR के जिक्र के साथ ही यह सवाल उठना लाजमी है कि यह क्या है और इसका ऑनलाइन पेमेंट्स के क्या कनेक्शन होता है।

MDR क्या है?

MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट। यह एक ऐसा चार्ज होता है जिसे दुकानदार यानी मर्चेंट बैंक को ऑनलाइन पेमेंट प्रोसेस करने के लिए देते हैं। आम भाषा में समझें तो जब आप कोई सामान दुकान से खरीदते हैं और यूपीआई यानी डेबिट कार्ड से पेमेंट करते हैं, तब बैंक की तरफ से सुविधा देने के लिए फीस लेता है। यह फीस इसलिए ली जाती है, क्योंकि बैंक की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा सिक्योरिटी और साइबर सिक्योरिटी मैंटेन रखने के लिए खर्च किया जाता है।

क्यों एक्स्ट्रा चार्ज ले रहे हैं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स?

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के एक्स्ट्रा चार्ज लेने के पीछे एक साफ-सीधा मकसद है और वह है खुद को नुकसान से बाहर निकालना। दरअसल, साल 2024 में भारत सरकार ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन्स पर कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी कम कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सब्सिडी 2484 करोड़ से कम करके 477 करोड़ कर दी है। यही वजह है कि ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म्स ने एक्स्ट्रा चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है।

एक्स्ट्रा चार्ज लगाने के पीछे यह भी वजह बताई जा रही है कि Payment Agreegator कंपनियों का ऐसा कहना है कि नियमों को फॉलो करने की वजह से खर्च काफी बढ़ गया है और अगर MDR की वापसी नहीं होती है तो बिजनेस नुकसान में जा सकते हैं। क्योंकि, कंपनियों को साइबर सिक्योरिटी, कस्टमर सर्विस और टेक्नोलॉजी अपग्रेड में बड़ा निवेश करना पड़ता है।

Google Pay ने एक्स्ट्रा चार्ज किया वसूलना शुरू!

google pay extra charge

MDR वापस लाने की खबरों के बीच गूगल पे ने सर्विस के बदले एक्स्ट्रा चार्ज लेना शुरू कर दिया है। अगर आप गूगल पे से फोन रिचार्ज, बिजली, गैस या पानी का बिल भरते हैं तो अतिरिक्त शुल्क देना होगा। मोबाइल रिचार्ज पर लंबे समय से 3 रुपये बतौर कन्वीनियंस फीस लिया जाता था, लेकिन यह अब बिजली और पानी आदि के बिल पर भी देना होगा। सिर्फ गूगल पे ही नहीं, बल्कि पेटीएम, फोन पे, अमेजन या मिंत्रा पर भी सर्विसेज के लिए एक्स्ट्रा चार्ज वसूला जाता है।

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उदाहरण के तौर पर पेटीएम और मिंत्रा पर प्लेटफॉर्म फीस के नाम पर एक्स्ट्रा चार्ज लिया जाता है। वहीं, अन्य प्लेटफॉर्म्स पर इसे कन्वीनियंस फीस के रूप में भी देखा जा सकता है। हालांकि, सभी प्लेटफॉर्म्स पर सभी सर्विसेज के लिए एक्स्ट्रा चार्ज की वसूली कब से शुरू हो सकती है, इसपर कुछ कहना तो मुश्किल है। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार MDR को टियर सिस्टम में लागू कर सकती है। इसमें छोटे व्यापारियों को कम एक्स्ट्रा चार्ज देना होगा और वहीं बड़े दुकानदारों या व्यापारियों के लिए यह ज्यादा होगा।

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Image Credit: Freepik

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